महा गौरी पूजन




कल माँ भगवती गौरी के पूजन का दिन है |महा गौरी नवरात्री की अष्टम दुर्गा है |
देवी नेहिमाचल के यहा जन्मलेकर भगवन शिव को वर स्वरूप में प्राप्त करने हेतु 12 साल तक तपस्या करी जिस के कारण देवी का सरीर कालाहो गया था |सनकादिक मुनियाँ द्वरा काफी समझने के बाद भी देवी अपनी प्रतिजा नहीं तोड़ीदेवी की माँ मैना तथा पिता द्वरा काफी समझया गया लेकिन देवी अपनी प्रतिजा पर कायम रही और उन्होंने सप्त ऋषियों के समझने पर कहाँ था कि 
सुनो सप्त ऋषि रगर हमारी |
 वरे  शिव  नहीं  राहू कुवारी ||
परिणाम स्वरूप देव लोक में हलचल मंच गयी देवो भगवानशिव को प्रशन्न किया तथा भगवानशिव जिन्होंने कामको जला कर क्षारकर दिया था |ब्रह्मा अदि देवो की स्तुति पर सहमत्त हो गए तथा माँ भगवती पार्वती से विवहा के लिए वचन दिया तथा माँ भगवती की अभिलाषा पूरण करने हेतु भगवन शिव पारवती के समुख प्रकट हूए तथा उन्हें अशिवचन देकर अस्वस्थ किया एवं उनके तपस्या के द्वरा काले सरीर को गंगाजल से धोया जिस से उनका सरीर चन्द्र के सामान उज्ज्वल हो गाया |तभी से देवी भगवती का नाम महा गौरी पड़गाया |देवी के इस स्वरूप की पूजा आठवे दिन होती है |देवी साधक की सभी कामनाये पूरण करनेवाली  है |देवी अवस्था आठ साल है |
अत देवी की पूजन में आठसाल तक की छोटी आयु बाली कन्यायो का विधवत पूजन करना चाहिए 
कल माँ गौरी की विधवत पूजा करे तथा जीवन सफल बनाये |
जय माता की 

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कोहू न काहू क़र सुख दुःख दाता |निज कृत कर्म भोग फल पाता||  
गरल सुधा रिपु करें  मिताई ,गोपद सिन्धु अनिल सितलाई .
गरुण सुमेर रैन सम  ताहि ,राम कृपा कर चितवें जाहि  ..
Pt.Shriniwas Sharma
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