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Showing posts from 2010

कुंडली में राहू

कुंडली में राहू का प्रभाव ज्योतिष अनुसार राहू और केतु सूर्य के क्रांति पथ पर पड्नें वाले वो बिंदु हैं जिसका पृथ्वीके जन जीवन पे प्रभाव पड़ता है किन्तु इनको ग्रह नहीं माना जाता है .यह दो बिंदु हैं तथा जिनका सूर्य के चारोँ ओर अन्य ग्रहों की तरह परिक्रमण नहीं है. लेकिन ज्योतिष शास्त्र का मानना है की इनका जन जीवन पर गहरा प्रभाव होता है लेकिन यह किसी भी राशी का अधिपत्य नहीं करते हैं ना ही इनकी कोई राशी होती है. अर्थात यह जिस ग्रह की राशी में स्थित होते हैं उसी का अधिपत्य ले लेते हैं तथा उसी ग्रह के सामान कार्य करते हैं वैसे स्वाभाव के अनुसार केतु को मंगल के सामान बताया गया है और राहू को शनि के सामान बताया गया है राहू का प्रभाव: राहू को शनि के सामान वजा ग्रह कहा गया है अर्थात जिग भाव में स्थित होता है उसे अत्यंत सक्रिय क़र देता है फलस्वरूप अत्यंत सक्रियता के कारण उस भाव का नाश होने लगता हैं .अगर यह स्थिति कुंडली के ६,८,१२ भाव में हो तो अच्छी मानी जाती है. यह भाव ख़राब कहे गाये हैं और इनके सक्रिय होनें से जीवन पर बहुत गहरा प्रभाव नहीं पड़ता है. लेकिन अगर राहू केंद्र या त्रिकोण भाव के स्व

गोवर्धन पूजा का महत्त्व

गोवर्धन पूजा का महत्त्व  दिवाली के अगले दिन यानि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के प्रतिपदा वाले दिन गोवर्धन के  रूप में भगवन श्री कृष्ण  की पूजा होती है .गोवर्धन  भगवन श्री कृषण का ही एक स्वरुप है जिसको गिरराज धरण के नाम से भी जाना जाता है कहा जाता है की जब भगवन श्रीकृष्ण ब्रज के अन्दर बल लीला करते थे  उन दिनों ब्रज में इंद्र की पूजा ,मेघों के अधिपति होने के कारण अन्न दाता के रूप में होती थी तथा लोगों का विश्वास था की इंद्र की वो लोग पूजा नहीं करेंगे तो वर्षा नहीं होगी ,वर्षा के आभाव से अन्न पैदा नहीं होगा अतः सृष्टि का सञ्चालन इंद्र ही करता है वो ही भगवान है . भगवान श्री कृष्ण नें इस परम्परा का खंडन क़र दिया तथा इंद्र की जगह पर एक परबत की पूजा करवानी शुरू की और बतलाया की सभी आपत्तियों से यह परबत हमारी रक्षा करता है अतः देवराज इंद्र से इसका महत्त्व अधिक है गायों के चर्नें के कारण इस परबत का नाम गोवर्धन था पूजा को बंद हुआ देख देवराज इंद्र तिलमिला उठा और उसनें १६ की १६ मेघ मालाएं ब्रिज्मंडल को दुबनें के लिए छोड़ दी फल स्वरुप ब्रज डूबनें लगा और चारोँ ओर त्राहि त्राहि मच गयी.सभी भयभीत लोग भग

शुभकामनाएं सहयोग वा आशीर्वाद

शुभकामनाएं सहयोग वा आशीर्वा द मनुष्य जीवन में परोपकार की भावनाएं उअके जीवन की सफलता के आधार को सरल और सहज बनाती हैं .अगर मानव अपना कर्तव्य समझ क़र किसी कमजोर ,असहाय और वृद्ध व्यक्ति की सेवा वा सहयोग करता है तो उसके बदले में उसे मिलनें वाले आशिर वचन भविष्य में सफलता की सीडी बन जाते हैं इस लिए भारतीय दर्शन नें परोपकार को सबसे बड़ा धर्म कहा है तथा दूसरों को पीड़ा या कष्ट देने को सबसे बड़ा अन्याय माना है . ज्योतिष शास्त्र में भी कुंडली के पंचम घर से पूर्व जन्म का लेखा जोखा प्रकट होता है जो नावें घर से सम्बंधित दशा आनें पर मनुष्य को भोगना पड़ता है अर्थात कुंडली का पंचम घर पर अगर शुभ प्रभाव है तो पूर्व में किये हुए कर्मों के आशिर वचन या वरदान के कारण मनुष्य को जीवन में सफलता मिलती है अगर पंचम घर पर अशुभ और पाप प्रभाव है तो पूर्व में किये हुए कर्म का सम्बन्ध किसी को कष्ट पीड़ा (श्राप ) होनें के कारण जीवन में अड़चन आती हैं तथा असफलता मिलती है. अगर गहनता के साथ किसी कुंडली का अध्यन्न गम्भीरता के साथ किया जाये और देखा जाये की उसका नवांश का सम्बन्ध पंचम और पंचमेश से है तो वर्तमान जीवन की साड़ी सफ

दीपावली पर वास्तुशास्त्र अनुसार करनें योग्य उपाय

दीपावली पर वास्तुशास्त्र अनुसार करनें योग्य उपाय दीपावली ज्ञान और समृद्धि का पर्व है. माना जाता है की इस दिन शुरू किया गया कोई कार्य एक लम्बे समय तक निर्विघन चलता है तथा सफल होता है .मनुष्य के चहु मुखी विकास के लिए विवेक,धन और ईश्वरीय कृपा की आवश्यकता पड़ती है जो दीपावली पर भगवान् गणेश ,लक्ष्मी तथा पालनहार विष्णु की कृपा से प्राप्त होती है. यह माना जाता है की दीवाली वाली रात अर्ध रात्रि से धन की देवी लक्ष्मी अपनें पति भगवान् विष्णु के साथ पृथ्वी पर भ्रमण करती है तथा अपने जन्म उत्सव देखती है .उनके भ्रमण के समय जिस घर के द्वारेखुले मिलते हैं ,ज्योतिर्मय मिलते हैं या फिर उस समय जिस घर में उनकी पूजा हो रही होती है उन सभी घरों में अपनें पति के साथ लक्ष्मी चिर काल के लिए निवास करती है. लक्ष्मी और लक्ष्मी नारायण की प्रसन्नता हेतु वास्तु विदों नें कुछ उपाय इस प्रकार बतलाये हैं १) दिवाली वाले दिन साधक को प्रातः काल शांत भाव से उत्तार दिशा   की तरफ मुह क़र के  बैठ लक्ष्मी वा लक्ष्मी नारायण का ध्यान करना चाहिए . २)पारिवारिक वृद्ध जानो से आशीर्वाद ग्रहण क़र घर की सफाई करनी चाहिए तथा घर के प्रांग

दीपावली पूजन

                           दीपावली पूजन  ॐ महलक्ष्म्ये च विद्माही विष्णु पत्नी च धीमहि           तन्नो लक्ष्मी प्र चोदयात || दीपावली को ज्ञान ,सुख ,समृद्धि का पर्व माना गया है|वैसे तो विजयादशमी ,राम नवमी ,वसंत पंचमी और दीपावली किसी काम को शुरू करनें के अभिजत महूरत माने गाये हैं ज्योतिष अनुसार इस दिन शुरू किया गया काम सुख कारी एवं सफल होता है तथा निर्विघन पूरण होता है| दिवाली के दिन से राम राज्य की अखंडता का ज्योतिष ये ही कारण मानती है | वैसे  दिवाली पर्व के पीछे अनेक पौराणिक कथाओं तथा मान्यताओं का प्रश्न है रामराज्य की कथा के साथ साथ लक्ष्मी का जन्म भगवन श्री कृषण द्वारा भामसुर का वध ,कर पृथ्वी का भार उतारनाके साथ साथ अनेक पौराणिक कथा हैं जो इस पर्व से जुडी हुई हैं | कहा जाता है की धन वा गुणों की देवी लक्ष्मी  का जन्म दिवाली के दिन ही समुद्र मंथन के समय हुआ था. जो नारायणी स्वरुप में जन कल्याण हेतु मानी गयी हैं ल लक्ष्मी की  बडी बहन कुलक्ष्मी का जन्म : कहा जाता है की समुद्र मंथन के समय लक्ष्मी की बडी बहन कुलक्ष्मी का जन्म लक्ष्मी से पहले हुआ शास्त्र अनुसार कुलक्ष्मी को १४ स्थान समाज म

पूर्व जन्म सिद्धांत ऋणआध बंधन (श्राप)

पूर्व जन्म  सिद्धांत ऋणआध बंधन  (श्राप)  मानव को अपनें जीवन के दुःख एवं दर्द को जाननें एवं उसके निवारण हेतु उपाय करनें के सदैव चेष्टा रहती है. ज्योतिषीय मान्यता अनुसार प्रत्येक जीव को अपनें पूर्व जन्म में किये कर्मों के फल भोगनें पड़ते हैं जिसके परिणाम स्वरुप वो सुख-दुःख की अनुभूति करता है. साधारण तय  लोग समाज में पूर्व जन्म के ऋण  संताप की कहानी कहते सुनते देखे जाते हैं अर्थात भारतीय वैदिक सिद्धांत तथा दर्शन दोनों ही इस बात पर बल देते हैं के पूर्व जन्म में किये कर्म के द्वारा ही वर्तमान जीवन में सुख-दुःख उत्त्पन्न होते हैं ज्योतिष की मान्यता के अनुसार कुंडली का पंचम घर तथा पंचमेश पूर्व जन्म के अच्छे वा बुरे कर्म एवं उनके परिणाम की ओंर संकेत करता है अगर पंचम घर पर शुभ प्रभाव है तथा पंचमेश भी शुभ प्रभाव में है तो पूर्व जन्म के अच्छे कर्म एवं उनके प्रभाव के कारण जिन्हें वरदान कहा गया है अनायास ही जीवन में सफलता मिलती है.अगर पंचमेश और पंचम घर पर अशुभ प्रभाव है तो जीवन को श्रापित समझना चाहिए जिसके कारण कर्म फल अनुकूल नहीं मिलता है एवं अनेक परेशानी झेलनी पड़ती है. ज्योतिषीय सिद्धांत के अ

बल्रिष्ट तथा उसके परिणाम

 बल्रिष्ट तथा उसके परिणाम  ज्योतिष में बलारिष्ट यानि बच्चे के जन्म से मता-पिता को होने वाली परेशानी को दर्शाता है. अर्थार्त पूर्व जन्म के योग अनुसार यह कष्ट मता पिता  को भोगना पड़ता है. अगर किसी जताक की  कुंडली में पिता का कारक  सूर्य तथा माता का कारक चन्द्र पीड़ित स्थिति में हो या फिर नवांश कुंडली में सूर्य शनि के साथ या राहू के साथ हो तथा चंद्रमा भी पाप प्रभाव में हो या फिर छे आठ बारह के साथ सूर्य चन्द्रमा की युति हो या उनके नवांश में हो तो प्रबल बलारिष्ट योग बनता है. अगर किसी जातक की कुंडली में कुंडली के चोथे वा नें घर पर पाप प्रभाव होने से जातक के जनम के बाद माता पिता को अरिष्ट भोगना पड़ेगा अर्तार्थ कष्ट होगा अगर   किसी  कुंडली में सूर्य भी पाप प्रभाव में हो या पाप नवांश में हो तथा नवें घर पर पाप प्रभाव हो एवं नोमेश कुंडली के छे आठ बहरह के स्वामी के साथ हो तो जातक के जनम समय पिता की मृत्यु हो जाती है. इसी प्रकार चंद्रमा पीड़ित होने पर तथा चोथे घ में पाप प्रभाव होने से मता को मृत्यु तुल्य कष्ट होता है इसके साथ साथ बलारिष्ट के कारण माता पिता को बंधन कारावास ,भयानक बिमारी ,देश निकाला
विवाह के पर्दे में देह व्यापार के ज्योतिषय आधार   ज्योतिष के अनुसार कुंडली के सप्तम घर से जीवन साथी के गुण वैवाहिक जीवन की सफलता एवं असफलता तथा आपकी मैथुनिय शक्ति के बारे में आंकलन किया जाता है.  इस के साथ साथ जीवन में सामजिक लोकप्रियता भी सातम घर पर ही निर्भर करती है ज्योतिष में शुक्र एवं गुरु दोनों को विवाह का कारक माना गया है अगर यह दोनों ग्रह किसी स्त्री पुरुष की कुंडली में  कमजोर या पीड़ित भाव में हों या पाप प्रभाव में हों अथवा ग्रह युद्ध में हरे हुए हों या फिर वृश्चिक ,सिंह के नवांश में हों तो वैवाहिक जीवन में सफलता नहीं मिलती है दूसरी ओरचारित्रिक कमजोरी को लेकर अनेक प्रकार के लांछन जीवन में लगते रहते हैं . वैवाहिक जीवन की सफलता /असफलता का पूर्ण ज्ञान नवांश कुंडली  द्वारा ज्ञात होता है अगर किसी कुंडली का नवांश उसके ६-८-१२  भाव में पढनें वाली राशियों से बन गया है तो विवाह होने में तथा वैवाहिक जीवन यापन करनें में कठिनायियन रहेंगी. अगर किसी कुंडली का नवांश कुंडली के एकादश भाव में पड्नें वाली राशी से हो ऐसी कुंडलियों में लाभ ,पद व्  प्रलोभन   को लेकर वैवाहिक रिश्ते बनते हैं और स्वार

ज्योतिष धर्म और अपवाद

ज्योतिष धर्म और अपवाद  ज्योतिष  को वेदों  का  प्राण  कहा  जाता  है  | वैदिक  मत  के  अनुसार  ऐसा   माना  जाता  है  कि हमारे  वेदों  में  एक  लाख  श्लोको  में  दस  हजार   श्लोक  ज्योतिष  के  माने  गाये  है  इसी  लिए  पुराणों  ने  ज्योतिष  को  वेदों  की आंख  माना  है |  ज्योतिष  गणतीय  पद्धति  पर  निर्भर  होने  के  कारण  इसका  वैज्ञानिक  आधार  भी  है | दुनिया  में  ज्योतिष  एक  ऐसा  शास्त्र  है  भूतकाल  वर्तमान  तथा  भविष्य  की  परमानिकता   बतलाता  है | क्योकि  खगोलीय  पिंड  जिनका  प्रथ्वी  पर प्रथ्वी  के  जन  जीवन  पर  गहरा  असर  पड़ता  है | इसी लिए  शास्त्रों  में  ज्योतिषी  को  दैवज्ञ  कहा  जाता  है | फलसरूप  मानव   के  सुख  दुःख  की  चिंता  करने  बाला  पृथ्वी   का देवता  माना  जाता  है | प्राचीन  काल  में  जब  वैज्ञानिक  यंत्रो  की  कमी  होती  थी |  उस  समय  ज्योतिष  माध्यम  द्वारा  भविष्य  की  संशय का  निवारण  इसी  विधा  द्वारा  होता  था |यधपि  महाभारत  के  युद्ध  में  विद्द्वानो  के मारे   जाने  के  कारण   ज्योतिष  शास्त्र  को  काफी  क्षति  हुई  | आधुनिक  समय  में  ज्योतिष  ---आधुन

खाप पंचायत : स्वगोत्र :वैवाहिक विवाद

खाप पंचायत : स्वगोत्र :वैवाहिक विवाद  हरियाणा राज्य  से  खाप   पंचायत  के  माध्यम  से  जो  आवाज़  उठी  है  कि  स्वगोत्र  में  उत्पन्न  युवक   तथा युवती आपस  में  बहन  और  भाई  होते  है | ये  मामला  बिनाकिसी  आधार  के  इतना  तूल पकड  गया  की कानून  बनाने  बाले  तथा  सरकार  चलने  बाले  राजनेता  चाहे  वह  कोई  मंत्री  या  मुख्य  मंत्री  है  सभी  वोटो  की  राजनीति   को  लेकर  धर्म  के  ठेकेदार   जो  आये  दिन  खाप  पंचयत  के  माध्यम  से  नित  नई  बाते  उठाते  रहते  है | सभी  उनका  पक्ष  करने  लगे  है  तथा  नई  कानून  की  मांग  करने  लगे  है | इतना  ही  नहीं स्व  गोत्र  को  लेकर   दिल्ली  हाई कोर्ट  को याचिका   खारिज  करनी  पड़ी  तथा  यचिका   करता  के  सामने   ये  कहा  की  वे  कोर्ट  का  कीमती  समय  नष्ट  ना  करे अन्यथा   आर्थिक दंड देना  होगा | मैंने   अपने  पिछले  ब्लॉग  में  इस  पर चर्चा  करी  थी  तथा  जनता  से  आग्रह  भी  किया  था  कि  स्वगोत्र  को  लेकर  चल  रहे विवाद  में  किसी  भी  कानून  कि आवश्यकता  नहीं  है |यद्यपि  में  किसी  सिद्धांत   को  लेकर  राजनीति  नहीं  करना  चाहता  हूँ 

वास्तु दोष युक्त है बसेमेंट का निर्माण

  आधुनिक  समय  में  बेसमेंट  का  प्रचलन  दिनों दिन  बढ  रहा  है | बेसमेंट  धरातल  से  निचे  की स्थति  में  स्थित  होने  के  कारण  दोष  युक्त  माना  जाता  है |  धरातल  से  नीचा होने  के  कारण   अनकूल  वायु , तथा  प्रकाश  दोनों  की  भरी  मात्र  में  कमी  होती  है |  जिस  से  सरीर  में  अनकूल  उर्जा  की  भरी  कमी  हो  जाती  है | अर्थात  स्वस्थ  पर  बिपरीत प्रभाव  परता  है | बेसमेंट  में  रहने,  खाना  खाने , तथा  सोने  से.  स्वस्थ  पर  बिपरीत  प्रभाव  पड़ता  है | इस  के  साथ  साथ  धरातल  से  अधीक  उचा  या  अधीक  नीचा  रहने की   बिधा  भोगालिक  अनकूलता प्रदान  नहीं  करता  है |  इतना  ही  नहीं  धरातल  की  अधीक  उचाई  भी  अधीक  नीचाई के  समान  दुःख  देने  बाला  होता  है | इसी  कारण  पहाड़ो  पर  रहना या   बेमेंट  दोनों  स्थति  में  मानसीक  बल  कमजोर  होता  है | साधू  सन्यासी  यो  को  छोड़  पहाड़ो  पर  रहना  किसी  को  आकुल  नहीं  माना  गया  है  तथा  मंदिर  या  किसी  धार्मिक  स्थल  को  छोड़  भवन  अदि  का  निर्माण   बरजित  माना  गया  है |  बेसे  धरातल  से  उचे  स्थानों  पर  प्रकाश  तथा 

स्वगोत्र :खाप पंचायत : विवाह

स्वगोत्र :खाप  पंचायत : विवाह विवाद भागवत पुराण के अनुसार ब्रह्मा के बाएँ अंग से महिला की उत्पत्ति हुई और दायिने अंग से पुरुष की उतपत्ति हुई अर्थात स्त्री और पुरुष एक ही शारीर के दो अभिन्न अंग है जिनके कारण सृष्टि का सृजन हुआ और चलता आ रहा है जहाँ तक गोत्र का निर्धारण है हिन्दू समाज में उसकी दो प्रकार से व्यवस्था है पहली पिता के द्वारा दूसरी गुरु के द्वारा/पति के द्वारा .इसके साथ साथ  किसी भी महिला को अपने जीवन साथी चुनने की गुण,वंश और बल के आधार परदी गयी है. जिस से प्रभावित हो कर कोई स्त्री अपने जीवन की रक्षा एवं व्यवस्था का भार किसी पुरुष को सोंपती है या उसके माता पिता कन्यादान के माध्यम से करते हैं इसके बाद कन्या का नाम गोत्र व जाति पति की सुविधा अनुसार हो होती है. हिन्दू समाज में कुछ लोग क्षत्र वाद को मान्यता देते हैं ,कुछ वंश वाद को देते हैं कुछ गोत्र वाद को देते हैं अर्थात अपनी नानी मामी आदि के गोत्र में विवाह करना वर्जित मानते हैं,कुछ लोग एक ही गोत्र में विवाह को ठीक मानते हैं लेकिन क्षेत्रीय अन्तेर को अनिवार्य मानते हैं एवं कुछ दुसरे लोग बुआ,विवाहित बहन के गोत्र में शादी को वर

कंहा लगाय कोन सा पौधा घर के अंदर

  वृक्ष  इस  धरा का  आभूषण  है | वृक्ष  धरा  का  देवता  है |  सभी  विकारोको  अपने  उपर  ग्रहण  कर  मानब  जीवन  में  सुख  तथा  सन्ति  देने  बाला  वृक्ष  ही  मना गया  है | महाभारत  काव्य  के  राचीय्ता  वेद  व्यास  जी  ने  अपने  महाभारत  पुराणमें  लिखा  है किवृक्ष  श्राष्टी के  अलंकार  है  तथा  मानब जीवन  के  देवता  भी  है | वृक्ष  कटना  महा  पाप  है  तथा  वृक्ष  रोपण  महा  पुण्य  है इतना  ही  नही  वेद  व्यास जी ने  महा भारत  में  लिखा  कि वृक्ष  रोपण पुत्र  के  समान  सुभ  फळ  दायी  है  जीन  के जीवन  में  संतान  नही  है  ऐसे  दाम्पत्ती  वृक्ष  रोपण  कर  के  पुत्र  प्राप्ती  के  समान  पुण्य  प्राप्त  कर  सकते  है अर्थात  वृक्ष  कटना   पुत्र  वधके  समान  दुख  दायी  है | घर  के  अंदर  वृक्ष  तथा  लातायो  का  विशेष  महत्य  है जिस  से  घर  के  वास्तू  दोष  दूर  होते  है  तथा  जीवन  में  सुख  ओर  सन्ति  मिळती  है | लेकीन  वृक्ष  रोपण से  पहले  ये विचार  कर  लेना  चाहिये  कि  कोनसा  पौधा  कहा  लागाय जाये |वास्तू  अनुसार  इनकाविवेचन  इस  प्रकार  है | [१]-अशोक ,पुन्नाग ,मौलसिरी,शमी

ग्रह दशा :३१ अक्टूबर १९८४:१८से १९ मई २०१०

ग्रह दशा :३१ अक्टूबर १९८४:१८से १९ मई २०१० ३१  अक्टूबर १९८४ की ग्रेह स्थति  पर ज्योतिषिये आधार पर अगर विवेचन करें तो ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार की बनती है जो मानव जीवन को अत्यंत प्रभावित  करने वाली तथा देश के लिए दुर्भागयापुरण सिद्ध हुई .उस समय की ग्रह स्थिति जिसका आंकलन स्वतंत्र भारत की कुंडली में किया जाये तो देश के लिए कमजोर और भयानक परिस्थिति थी जिसका आरम्भ किसी राजनेता के भाषण या धर्म आधार को माना जाये.,तो ज्योतिषीय स्थिति स्पष्ट हो जाती है.स्वतंत्र भारत की कुंडली वृषलगन और कर्क राशी की है जिसका नवांश मीन राशी से बनता है. उस समय कुंडली में सूर्य में केतु का अंतर चल रहा था.केतु भारत की कुंडली में सप्तम घर ,मारक स्थान में है ३१ अक्टोबर वाले दिन कानून का  कारक गुरु मंगल के साथ १२ वें घर वानप्रस्थ अवस्था में था. फलस्वरूप जो घटना घटित हुई उस पर कानून और सेना ने नियंत्रण हेतु कोई कार्य नहीं किया घटना स्थलों से सेनाओं की दुरिएअन  होने   के कारण घटना घटित होती रही . इस घटना का एक दूसरा ज्योतिषीय कारण शक्तिशाली सूर्य जो सरकार वा सत्ता का   कारक माना जाता है घटना स्थल से दुरी या दे

वास्तू में पेरामिड का रेहास्य

वास्तू बसने की एक एसी कला है जिस के द्वारा मानब का चाहु मुखी विकाश संभब है वैसे वास्तू के दोसो को दूर करने के अनेक उपाय वास्तू बिदोने कहे है जिस में एक पिरामिड है पिरामिड अकरती में उर्जा एकर्तीत करने की एक अनोखी शक्ती है जो अपनी सकारात्मक उर्जा के द्वारा नकारात्मक उर्जा को दूर करता है इसी लिये प्राचीन काळ से ही वास्तू में पिरामिड का विशेष महत्य रहा है वैसे पिरामिड का जन्म मिस्र की शाभ्य्ता में सबसे पहले कहा गया है लेकीन इस का मतलब ये नही की भारतीय सभ्यता में इसका कोई महत्य नही है भारत की धार्मिक इमारते की उपरी अकरती जिसे बोल चल की भाषा में गुमद कहा जाता है एक प्रकार का चातुस्य कोनीयपिरामिड ही है जो हमे अध्यात्मिक सुख तथा सन्ति प्रदान करने बाला होता है वेसे किसी भी धार्मिक स्थळ चाहे वह मंदिर हो या मस्जिद या फिर चर्च या गुरुद्वारा सभी की उपरी अकरती गुमद अकरती का एक पिरामिड है पिरामिड का महत्य वास्तू में सबसे अधिक है क्योकि पिरामिड अकर्तीको कही भी वास्तू दोष युक्त जगह पर लागनेसे वास्तू दोष दूर होता है लेकीन निर्भर करता है की पिरामिड की आक्र्ती सयाज आदि क्या हो वास्त

भारत वर्ष के लिए प्राकृतिक आपदा मई २०१० में आ सकती है

भारत वर्ष के लिए प्राकृतिक आपदा मई २०१० में आ सकती है  २ मई   २०१० को मंगल अपनी राशी मिथुन को परवर्तित कर के कर्क में होगा तथा इसकी नवांश में स्थिति कुम्भ के नवांश में शनि एवं सूर्य के साथ होगी. मंगल का अपनी नीच राशी में आना तथा गुरु द्वारा दृष्टित ना होना भारत के हित में नहीं है क्यूँ की स्वतंत्र भारत की कुंडली में मंगल मार्ग स्थान का स्वामी है और मार्क भाव में बैठा हुआ है.इस कारण से अशुभता के और संकेत हैं. दूसरा कारण देश की चन्द्र कुंडली कर्क राशी से बनती है.जिस पर मंगल का गोचर है. कर्क राशी का स्वामी चंद्रमा जल का स्वामी है अतः २  मई २०१० को जब मंगल अपनी नीच राशी कर्क के साथ साथ कुम्भ के नवांश में शनि और सूर्य के साथ में गोचर करेगा और गुरु द्वारा दृष्ट नहीं होगा ऐसी स्थिति में देश के अंदर सैनिक एवं राजनैतिक समस्याएं उत्पन्न होने की संभावनाएं हैं. इसके साथ साथ जल से सम्बंधित प्राकृतिक आपदा जिसका सम्बन्ध भूमि से भी होगा उत्पन्न होगी और सरकार के लिए चिंता का विषय बनेगी. मंगल १३.५ से १९.५ तक कुम्भ के नवांश में ही रहेगा ऐसी स्थिति में बुद्धिजीवी वर्ग को सोच विचार क़र के कदम उठाने होंगे.ज

ज्योतिष करम बदीहै -भाग्य बादी नहीं

देव दुर्लभ मनाब देह  कर्म करने के लिए है  बसे हर प्राणी का कर्म पर पूरण अधिकार होना चाहिए  यह हमारे सद ग्रंथो तथा अबतार बादसभी  का निर्णय है  इस में कोई अतो सूक्ति नहीं  है  अतः एह स्पस्ट  है मनाब कर्म से महानबनता  है लेकिन कर्म ठीक तथा सही दिशा में हो  उस के लिए जोतिष्य मार्ग दर्शन कहा गया  है जोतिष को वेदों की चछु कहा गया  है . इसलिए सही गलत का निर्णय करना  जोतिष की प्राथमिकता है  .अतः जोतिष मार्ग दर्शन के लिए है .लेकिन  मार्ग दर्शन सही हो  उस के लिए गुरु का सही होना  अति अब्स्क  है आधुनिक समाज में बढ़ी बिडम्बना की बात यह की समाज सत्य से परेहट ता जा रहा है  समाज के अधिकतर लोग जो इश्वरी विधान को अपने अंकुल बना कर चलाना  चाहते  है . सत्य  से हट कर जीवन जी रहे है -जो बढ़ी बिडम्बना  तथा आश्चर्य  है  इसी प्रस्थिति में जोतिश्यी सही मार्ग दर्शन मिलना कठिन ही नहीं असमभाब भी है  जोतिष का निरंतर बढ़ता दूर प्रयोग चिंता का विषय है .वेशे तो हमारे देश में हर तीसरा व्यक्ति भविष्य बकता बना हुआ  है  अनेक प्रकार के मत ,सिद्ध धन्तो का नूतन रूप में रोज ही जनम हो रहा  है  जो समाज को लुटने 

मार्गी मंगल के प्रभाब

मंगल जोतिष में बल तथा सेना का कारक माना गया है ,इन दिन मंगल अपनी नीच राशी कर्कमें चल रहा है . जिस ने १०मर्च को मार्गी गति ली है ,देश की कुंडली में मंगल का अपना एक विशेष रोल है .मंगल देश की कुडली में योग कारक का रौल कर रहा है,लेकिन कर्कराशी में होने के कारण जल से सम्भित घटनाये जिन का रूप प्रकिर्तिक हो घटित होने की संभाबना है .अतः मंगल के कर्क राशी में गोचर होने के कारण सुनामी जैसी घटना घटित हो सकती है.इन दिनों मंगल जब शनि के बराबर अंशो में गोचर करेगा राजनैतिक घटनाये प्रभाबत हो सकती है 'अतः २४,२५,२६,२७,मार्च देश में राजनेतिक गत विधि पर बर्तित कर सकती है .इन दिनों कानून में प्रबतन तथा किसी राजनेता को लेकर कानून के प्रभाबित होने के पूरेसंकेत है .एह मंगल may मास में ८म नाबंश में जायेगा .जिस से केंद्र सरकार को भरी मुसीबतों का सामना करना पर सक्ता है मंगल के नीच राशी तथा ८ब नाबंश में होने के कारण अग्नि से भयतथा रेल यता यात पर बिपरीत प्रभाब परेगा अतः मंगल का नीच राशी ८ब नाबंश किसी भी प्रकार का राजनैतिक बदलाब कर सकती है इसी लिए एह अबस्क्य है बिजली सम्बन्धी उपकरणों के प्रयोग तथा किसानो को ख

वर्ष २०१० का सामाजिक तथा राजनैतिक प्रभाव

वर्ष २०१० का सामाजिक तथा राजनैतिक प्रभाव वर्ष २०१० का शुभ आरम्भ हिंदी मास माघ कृषण पक्ष प्रीतपदा दिन  शुक्रवार चन्द्रनक्क्षत्र  आद्रा  के तीसरे चरण से हो रहा है | आद्रा नक्षत्र का स्वामी राहू जो इन दिनों गुरु  के नवांश में गोचर करेगा | फलस्वरूप नूतन वर्ष में  शनि का मंगल के नवांश में  होने के कारण  तथा  गुरु का शुक्र के नवांश  में गोचर के कारण वर्ष की पर्स्थाती विषमता पूरण होगी | इन दिनों गुरु के राशी परवर्तन के कारण जो देश की कुडली के दसम घर मै है | राजनेतिक परिस्थितियां  बहुत अनुकू ल नहीं होगी | नूतन वर्ष मे  शुक्र जो   सुख का कारक माना गया है सूर्य के नवांश में सूर्य के साथ गोचर के कारण समाज की आर्थ वेवस्था  में कमजोरी होगी | समाज में नारियो को आपमान सहन करने पड़ सकते है | जिस के चलते  सरकार पक्ष को भरी  नुकसान उठाना पढ़ेगा | नूतन वर्ष २००१० मे गुरु तथा शनि की परस्पर  द्रस्ती होने के कारण विवक शील व्यकितियो द्वारा समाज को मार्ग दर्शन मिलने के कारण समय  समय पर आई समस्यों निस्तारण होता रहेगा | वर्ष २००१० में राहू का गोचर गुरु के नवांश में होने के कारण तथा शनि गोचर बुध की राशी कन्या ए

गुरु के मार्गी होने के प्रभाब

गुरु के मार्गी होने के प्रभाब जोतिष अनुसार जब जब शुभ ग्रह मार्गी होते है तब तब उनकी शुभता बढजाती है तथा बक्रीहोने  पर  उनकी अशुभता बदती है इस में कोई संदेह नहीं है .अशुभ ग्रह के बक्री होने पर उनकी अशुभता इतनी बढ जाती है किसमाज में अनेक प्रकार के तनाब असमानता उत्पन होती रहती है कि जन जीवन तिराहतिराह करने लगता है .अनेक प्रकार कीघटना घटने लगती है इस में कोई संदेह नहीं है शभ ग्रह जब जब मार्गी होते है तब तब उनकी शुभता इस प्रकार बदने लगती है किसमाज में उसका सीधा असर सीधा देखने को मिलता है इस में कोई संदेह नहीं है  इन दिनों शनि का कन्या राशी में बक्री होना प्राक्रतिक अशुभता को बढारहा है  दूसरी ओर मगल का अपनी नीच राशी कर्कमें आना पुलिस सेना की कमजोरी सैनिक बालो का जनता पर अतियाचार क़ानूनी      बालो की कमजोरी की ओर संकेत करता  है इस में कोई संदेनहई   i है  इन दिनों जोतिष अनुसार मंगल तथा शनि का बक्री होना समाज के लिए कास्ट दाई बन गया है लेकिन गुरु की शनि पर द्र्स्टीहोने  के कारण समाज में बचाब होता रहेगा .शनि 30may को मार्गी होगा तथा मंगल के १०मर्च को मार्गी होने से जनता की समस्या कुछ हल होगी सै