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कन्या राशी में शनि मंगल की युति जनता के लिए कष्टकारी सिद्ध होगी (22 जून से 5 अगस्त ) ज्योतिषीय ग्रहों के आधार पर उत्पन्न परिस्थिति का अवलोकन तथा निर्णय करती है ज्योतिष के अनुसार 22 जून 2012 से मंगल सूर्य की राशी सिंह का त्याग कर बुध की  राशी कन्या में गोचर करेगा जहाँ पहले ही शनि का मार्गीय अवस्था में गोचर है। शनि एवं मंगल की युति ज्योतिष में भिन्न कारक होनें के कारण किसी भी स्थिति में  नहीं मानी जाती है। ज्योतिष अनुसार मंगल अग्नि तथा बल का कारक है तो शनि जनता मल ,दरिद्रता आदि का कारक माना गया है ,जो किसी भी स्थिति में शुभ नहीं होती शनि एवं मंगल की युति कन्या राशी में होनें के कारण व्यापर एवं बुद्धिजीवी वर्ग पर सबसे जयादा असर पड़ेगा किओं की कन्या राशी का स्वामी बुद्ध है . इसके साथ साथ अग्नि से सम्बंधित परेशानी जैसे बम्ब ब्लास्ट ,अग्नाय घटनाएं होंगी एवं रेल यातायात पर बुरा प्रभाव पड़ेगा इस युति के प्रभाव स्वरुप आतंकवादी गतिविधि बढेंगी तथा देश की कुंडली के तीसरे घर में गोचर का प्रभाव होनें के कारण पडोसी राष्ट्रों से धोखा एवं देश के मित्रवत सम्बन्ध कमजोर हो सकते हैं इसके साथ साथ देश के