लका के राजा रावन का नाम समर्धि में आज के इतहास में भी जाना जाता है |रावन का विलासता पूरण जीवन यस प्रतिस्था  बहुबल से कोन परचित नहीं है |इन सभी के पीछे रावन की सुंदर लंका का वास्तु अनुसार बना होना भी था |
बाल्मीकि रामयण में रामायण के पंचम स्कंध सुंदर कांड में हनुमान जी की यात्रा यंत्रा के दोरान जो वारणमिलता है उस में लंका की भव्यता दिखलाई पड़ती है |लंका के अंदर भवनों की भव्यता  कमल अक्रती का बना होना भवनों के दरवजे फर्श अदि की बनाबट भवनों में लगी स्फेटक नीलम अदि रत्नों का झारको में लगा होना |सोने के दरबाजे होना तथा चादी के खम्बे स्तभ का होना आदी सभी रावन के जीवन की प्रसाधि का कारण रहे है |रावन के स्वस्थ की निरोगता आदीका प्रमाण सभी लंका की वास्तु की देनहै |लंका का अंतपुर इस प्रकार बना हूआ था इस के चारो और समुद्र एक पहरे दारके समान रक्षक था दूसरी बात लंका पर्वत के उच्च शिकर पर इस प्रकार बसी थी कि लंका बसियो को प्रकतिक ऊष्मा उपयुक्त मात्र में मिलती थी की रोगी होने का कारण ही नहीं बनता था परिणाम स्वरूप लंका वासी निरोगी समर्ध जीवन था |
बाल्मीकि रामायण अनुसार लंका के जिन भवनों को हनुमान जी ने देखा वह कमला अक्रती के बने थे जिन में ऊष्मा अत्य अधिक मात्रा में एकत्रत होती थी |कमला अक्रती के भवनों में वस्तु अनुसार सबसे अधिक अन्कूलता मिलती है |यही कारण है लोट टेस्टटेम्पल दिल्ली के अंदर वास्तु दिल्ली का सबसे बड़ा अजूबा है |
नदियों का हमरे जीवन की सफलता में विशेष योग दान है |हमारे प्राचीन नगर प्रसिद्ध नगर नदियों के किनारे स्थित है |रावन की लंका की प्रशिधि का कारण सुमुद्र ही था |आप वास्तु का प्रवाह रावन के चरित्र से मिलता है जिस का विद्धा एवं बल का डंका तीनो लोको में बजता था |
लंका की अशोक बाटिका एवं अन्य बाटिका तथा उस के अन्य रमणीय स्थान भी रावन के बल एवं समर्धि को और बड़ाबादेता है | इस में कोई संदेह नहीं है 





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कोहू न काहू क़र सुख दुःख दाता |निज कृत कर्म भोग फल पाता||  
गरल सुधा रिपु करें  मिताई ,गोपद सिन्धु अनिल सितलाई .
गरुण सुमेर रैन सम  ताहि ,राम कृपा कर चितवें जाहि  ..
Pt.Shriniwas Sharma
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