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Showing posts from August, 2015

भद्र मास में 05 रविवार होने के कारण जनता में अन अबश्यक वर्षा से उत्पन्न होगी बीमारियाँ

---------- Forwarded message ---------- From:  Shriniwas Sharma   Date: 2015-08-28 17:39 GMT+05:30 Subject: भद्र मास में 05 रविवार होने के कारण जनता में उत्पन्न होंगी नई बीमारियाँ To: shriniwas sharma गुजरात में घटनायों के और बढ़ने के साकेत  इन दिनों शुक्र एवं मंगल की युति बनी हूई है दूसरा मंगल अपनी नीच राशी में है |जिस से देश की पुलिस एवं सैनिको के भ्रष्ट होने की संभवना है |इस के साथ भद्र मास में 05 रविवार होने के कारण यह मास भी जनता के लिए अच्छा नहीं है |इस मास में 05 रविवार होने के कारण प्रतिकूल वर्षा से फसलो को हानी होगी नई नई बीमारिया जन्म लेगी |केंद्र एवं राज्य सरकारों के मध्य दूरी बढ़ेगी |इस के साथ साथ कुछ राज्यों में आन्तरिक कलह के कारण राज्य शक्ता भंग के पूरण योग है |अत यह मास राजनैतिक गलियारों से लेकर नौकरसाहियो के कटु व्यवहार के कारण जनता के लिए ठीक नहीं रहेगा  सही एवं उत्पन्न बीमारियों के कारण आम जनता के लिए ठीक नहीं रहेगा ||  -- कोहू न काहू क़र सुख दुःख दाता | निज कृत कर्म भोग फल पाता||   गरल सुधा रिपु करें  मिताई ,गोपद सिन्धु अनिल सितलाई . गरुण सुमेर रैन सम  त

पूरब जन्मो के कर्मो के आधार पर तैय होता है जन्म समय एवं जीवन के सुख दुःख

जीवन में सफलता असफलता अछी संतान अच्छे माता पिता पत्नी या अन्य सबंधी इन सभी में बहुत कुछ आपके पूरब जन्मो के कर्मो के भोगो पर निर्भर है |इतना ही आपका जन्म समय  जिस से सारी जीवन व्यवस्था उतार चढ़ाव सभी पूरब जन्म के कर्मो के फल अनुसार कहे गए है |जो समाज में स्पष्ट रूप से दिखलाई देता है जो इस प्रकार है -मान लीजिये एक शहर में एक दिन दो बच्चो का जन्म हुआ एक रहिस परिवार मिला जिस से माकन वहन का आनन्द जन्म समय के बाद ही मिल गया एवं माता पिता द्वरा लाखो रूपये उस के दशोटनमें लगा दिए गये जब की नब जातशिशु द्वरा कोई कार्य ही नहीं किया गया | दुसरे बच्चे का जन्म फुट पातपर या रेलवे स्टेशन पर हूआ एक भिकारी के घर न रहने का सहारा न खाने को भोजन | इस के साथ साथ रहिस परिवार में पैदा बच्चे को लाखो रूपये के उपहार बिना बच्चे के मांगे दिए गए ये सभी उस के पूरब जन्म के शुभ कर्मो के फल थे | गरीब परिवार में पैदा बच्चे की माँ दवा के लिए भीक मांगती है जिसे भीक में दवा हेतु पुरे पैसे नहीं मिलते है |अगर गंभीरता से बिचार किया जाये तो इन दोनों बच्चो द्वरा कोई शुभ या अशुभ कर्म नहीं किया गया है |बस इतना है उन्ह

व्यापारियों एवं व्यापार की व्यवस्था ठीक नहीं

इन दिनों व्यापारियों  व्यापार ठीक नहीं रहेगा  आज कल शुभ ग्रह शुक्र अस्थ हो गया है  जिस से लोगो को अपनी उपभोग प्रब्रती पर अन्कूस लगाना होगा |क्योकि सरकार की नीतियों के कारण व्योपरियो को व्यापार में काफी हानी उठानी पड़सकती है |फलस्वरूप व्यापरियों का बजट बिग रेगा इस का कारण निरंतर वस्तुओ के भावो में गिराबट हो सकती है |सोना एवं चादी के भाव अभी और भी गिर सकते है | 12 अगस्त से 07 सिप्तम्बर तक गुरु के अस्थ होने के कारण आतंकबादी बारदात निरंतर बढ़ेगी समाज में चौरी लूटपाट की घटना निरंतर इस प्रकार बघेगी कि सरकारों की व्यवस्था फीकी नजर आएगी |क्योकि गुरु मैधनीज्योतिष में कानून का कारकमाना गया है |गुरु के अस्थ होने के कारण कानून व्यवस्था ढीली पड़ना सुभाबिक है |अत लोग कानून के साथ साथ स्वयम सूझ बूझ से कार्य करे | -- कोहू न काहू क़र सुख दुःख दाता | निज कृत कर्म भोग फल पाता||   गरल सुधा रिपु करें  मिताई ,गोपद सिन्धु अनिल सितलाई . गरुण सुमेर रैन सम  ताहि ,राम कृपा कर चितवें जाहि  .. Pt.Shriniwas Sharma Mo:9811352415                                                       http:// vedicastrolog

अछी संतान के लिए अबस्यक है शुभ महूर्त में गर्बाधान

गर्बाधान  के समय से होता है शिशु का जन्म समय का निर्धारण आज के समय में लोग उतम गुण करी संतान हेतु ज्योतिष का सहारा लेते है |जिस के कारण समाज में अजीव सी प्रथा का प्रचलन हूआ है कि लोग ज्योत्षी से प्रसब यानि शिशु का जन्म समय का निर्धरण करबाते है तथा ज्योत्षी की सलहा पर शुभ महूर्त पर शेल्यचिकत्सा द्वरा मादा के सरीर से शीशु को प्रथक कर उस के उज्जवल भविष्य की कामना करते है |यह सिधांत ज्योत्शीय आधार पर अ माननीय है एवं निंदनीय है |अगर किसी माता पिता कु उत्तम संतान की आबस्य्कता है तो उन्ह प्रसब समय की जगह गर्बाधानज्योतिष का सहारा लेना चाहिए |हमारे ज्योतिष शास्त्र में उतम संतान के लिए अनेक महूर्त पूजा पाठ अदि प्रतेक पंचांग में है जो सरलता से उपलब्ध हो जाते है |लेकिन संतान के इच्छुक दम्पति उन नियमो का पालन न कर के प्रक्रति के सिधांत के खिलाप एसा जघन्य अपराध करते है |जिस से जननी एवं शिशु किसी का भी जीवन खतरे में पड़ सकता है |एवं जन्म जातशिशु का उतम भाग्य तो क्या उसका सरीरक विकाश रुक सकता है |एसा चिकत्सको का भी मानना है मुझे श्रीमत भगवत पूरण का हरिराक्ष जो हरिना क्रशव के बड़े भाई के उत्पत्ति का उ

गरब गीता दर्शाती है पूरब जन्म के संचित कर्मो के प्रभाव

गरब गीता बतलाती है पूरब जन्म में संचित कर्म  इस म्रत्यु लोक में हर जीव हर क्षण अपने पूरब जन्मो के कर्मो का फल भोगता है |चाहे वह राजा हो या रंक निर्धन हो या धनी सब को अपने कर्मो की सजा भोगनी पड़ती है |इस में कोई संदेह नहीं है |जीवन में भोगके किये गरब गीता  एवं रोंग दोनों का सम्बन्ध जातक के पूरब जन्म से होता है |इस में कोई संदेह नहीं है |जातक को पूरब जन्म में दुस्क्र्मो के कारण वर्तमान जन्म में यातना कष्ट एवं रोंग भोगने पड़ते है  |पूरब जन्म में किये पुन्य कर्मो के कारण जीवन सफल सरल एवं सहिज बन जाता है|अत जातक के पूरब जन्म में किये कर्म वह पूजी के सामान है जिस के कारण वर्तमान जीवन अधिकतर प्रभावित होता है |किस कर्म की क्या सजा यावं दंड है उनके साक्षात् प्रमाण भगवन श्री क्रष्ण द्वरा रचित गर्ब गीता देती है  |अत अपने पूरब जन्म से संचित कर्मो जान ने के लिए गरब गीता का गहीनता से अध्यन करना चाहिए |एसा करने से जातक वर्तमान कर्मो के किये गए कर्मो के बारे में सचेत पूरब कर्म करता है --  कोहू न काहू क़र सुख दुःख दाता | निज कृत कर्म भोग फल पाता||   गरल सुधा रिपु करें  मिताई ,गोपद सिन्धु अनिल

श्रावण मास रहेगा जनता के लिए शोकयुक्त

-- श्रावण मास जनता को रहगा शोकयुक्त एवं रोगा युक्त  श्रावण मास जंहा हिन्दू लोग रोज श्रावणी कर्म करते है तथा तीर्थ करते हूए आनन्द लेते है |लेकिन यह आनन्द इस बार शयद भगवन शिव को मंजूर  नहीं  है |अत इस मास में इनेक नई बीमारी होगी इस मास में 05 शनिवार होने के कारण वर्षा के कारण तथा वर्षा की कमी के कारण अनेक बीमारी पैदा होगी |इस के साथ इस मास में दो शुभ ग्रह 05 अगस्त को शुक्र एवं 12 अगुस्थ को गुरु अस्थ होने के कारण एवं मंगल के नीच राशी कर्क में एवं शुक्र के साथ होने के कारण राजनेतिक गत विधियों के कारण अधिकतर राज्यों को कानून गत विधिया जन विरोधी होगी |दिल्ली बिहार उत्तर प्रदेश अदि राज्यों का केंद्र के साथ तकरार बढ़ सकता है |दूसरी और आतंकबादी गत बिधि समाज में निरंतर बढ़ने के कारण समाज में भय व्याप्त होगा |अत इस समय राज नैतायो को आपसी झगरा छोड़ कर जन हितो का ध्यान रखना चाहिए  कोहू न काहू क़र सुख दुःख दाता | निज कृत कर्म भोग फल पाता||   गरल सुधा रिपु करें  मिताई ,गोपद सिन्धु अनिल सितलाई . गरुण सुमेर रैन सम  ताहि ,राम कृपा कर चितवें जाहि  .. Pt.Shriniwas Sharma Mo:9811352415            

वर्तमान जीवन को सफल एवं असफल बनाते पूरब जन्म के कर्म

---------- Forwarded message ---------- From:  Shriniwas Sharma   Date: 2015-08-01 18:56 GMT+05:30 Subject: पूरब जन्म के कर्मो के आधार पर वर्तमान समय की सफलता एवं असफलता To: shriniwas sharma | मानस का कर्म पर पूरण अधिकार है |कर्म के माध्यम से ही मानब को सफलता मिलती है |लेकिन कर्म ही उस के जीवन में जंजाल भी बन जाते है |स्वतिक प्रवर्ती से किया गया कर्म स्वतिक फल देता है एवं अशुभ प्रवर्ती से किया गया कर्म अशुभ् फल दाई होता है |लेकिन केई बार शुभ कर्मो के फल अशुभ एवं बुरी मानसिकता या अशुभ कर्मो के फल शुभ देखे गये |केई बार परोपकार भाव से किये गये कर्मो को सजा में तबदीलहोते देखा है |केई बार अशुभ कर्मो से किया कर्मो को सफल होते देखा है |इस के अनेक उदाहरण जीवन में मिलते है |लेकिन इन सभी के पीछे पूरब जन्म के संचित शुभ एवं अशुभ कर्म कार्य करते है |पूरब जन्म में किये गए पाप कर्म हमारे इस कर्म की शुभता ख़तम कर देते है एवं पूरब जन्म में पुन्य कर्म पाप कर्मो का पाप प्रभाव कम करते है |यही कारण है केई बार मानब के समझ में नहीं अता क्या ठीक है क्या गलत है ?क्या करना चाहिए क्या नहीं करना चाहिए |