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Showing posts from July, 2016

स्वेत आर्क के फूलो से करे शिव का पूजन

भगवान आशुतोष को प्रशन्न करे स्वेत आर्ककेपुष्पपूजनसे भगवानशिवको आशुतोषकहाजाताहै यानि थोरेमें संतोष करनेवाले एवंसंतोष करनेबालेहै| भगवानशिव एकइसे दाता हैकि स्वयम केलिए उनकेपास कुछनहीं लेकिन भक्तो केलिएकोई कमीनहीं इसलिए संसार इनको ओडन दानीभी कहताहै| भोले नाथ जिसपर प्रशन्न हो वह भक्त दुनियांमें पीछे मुड कर ही नहींदेखताहै| भगवानशिवकापूजनभीअतियंत सहज सरल एवं सुगम है |बेलपत्र दुर्बा आक बैरागियो का प्रिय धतुरा गंगाजल एवं पंचाम्रत तथा फलो में निम्नकोटिकाफलबैर एवं लेपन में भसम भगवान शिवको विशेष प्रिय है लेकिन भोलेनाथ की पूजामें अगर आप नेस्वेतआर्क सामिल कर दिया तो फिर आशुतोष भगवानशिव आपपर प्रशन्न होनेमें कोई देरी नहीं लगायेगे| इसलिए भगवान शिव पर स्वेत आर्क के फूल चदना नहीं| स्वेतआर्क कोभगवान गणेशका स्वरूप माना जाता है यहएक औषधीय पौधा है इसका वास्तुदोष निवारण में भी विशेष महत्व है |इसीलिए श्रावण केमहीनेमें जब भी रुद्रा अभिषेकयाशिव मानसपूजा करे तोभोलेनाथ भगवानशिवको स्वेतआर्क चदना नभूले | ॐ नम शिवाय -- कोहू न काहू क़र सुख दुःख दाता | निज कृत कर्म भोग फल पाता||   गरल सुध

श्रावण में शिव की पूजा

--  श्रावण मेंनित्य करे श्रावणी करम श्रावणमास सबसे उतम मासों में जानाजता है| इस मासमें मनाब भगवानशिव एवंशक्ति स्वरूपा माँभगवतीकीपूजाकर मनवां छित फल हीनहींप्राप्त करता है | अपितु अपनेसभी मानसरोगोंको धोताहै| हमारे शास्त्रों के अनुसार भगवानशिवको प्रथ्वी कादेवता मानाजाता है | प्रथ्वीकेदेवता होने के करण इनकी क्रपा मनाबको सहजता सेमिलजातीहै| दूसरा भगवानशिव को आसुतोष कहा जाताहै यानिजल्दी प्रशन्नहोने बाले| आकाशमंडल में रहनेबाले देवता जिव परप्रशन्नहोने एवं क्रपा करने में काफी समय लेते है | लेकिन भगवान शिव शीघ्रप्रशन्नहोने बाले एवंक्रपाकरने बाले माना जाता है|शास्त्रों में भगवानशिवको महादेवभी कहा जाताहै अर्थातभगवानशिव देवो अधिपतिहै| अतजिसपरभगवानशिव प्रशन्नहो उसकीसारीभावीख़त्म होजातीहै| लेकिनशिवजिस केबिपरीत हो उसेसरे संताप घेरलेते है| मानसमर्मग्य तुलसीदास के अनुसार भावी मिटाने समर्थ अगर हैतो भोलेनाथ में है| बाणासुर, सहस्रबाहू अर्जुन रावण काबल एवं अशुरय जो जगविख्यातहै| भगवानशिवकीक्रपा ही देन है| इतनाही नहीं भगवानश्रीराम भगवानश्रीक्रष्ण कुन्ती पुत्रअर्जुन भगवानशिवके आशीवादके बिना

हरिशयन एकादशी आज

                                                     आज दिनाक १५-०७-२०१६ को हरिशयनी एकादशी है इसदिन सेसन्यासियोंकोचातुर्मासशुरूहो ताहै|उत्तरीभारतबालेलोग हरीशयनएकादशीसे लेकर देवउठानएकादशीतक कोई विवहाअदिशुभकार्यनहींकरतेहै| उनकामाननहै इस दिनसेभगवानका शयनकालहै यानिभगवान विष्णुसोतेहै एवदेवउठानएकादशीकोजागतेहै| यदपिसहीमायनेमें तोभगवान कभीनहींसोते है | अगर भगवानसोजायंगेतो सारासंसारसो जायेगा लेकिनइसदिन सेयोगी जानोका चातुर्मासशुरूहोता है अतयहकाल भगवान की पूजा उपसनाकेलिएऔरभीबढ़जाताहै| इनदिनों में तीर्थकरना विष्णुसहस्रनामकापाठकरना गोवर्धनपरिक्रमाकरना नारायणगयात्रीमन्त्रकाजप करना गोसेवा करना ब्रह्मणोंकीसेवा करना भगवतकथा सुननाएवं भगवतकथाकरना एवंमौन ब्रतकरनाएवंब्रह्मचारियका पालनकरना सभीउतमसाधन कहेगए है| अतयेसाधन जीवकेलिए अतियंतशुखदाईहै| आज दिनाक १५-०७-२०१६ को हरिशयनी एकादशी है इसदिन सेसन्यासियोंकोचातुर्मासशुरूहो ताहै|उत्तरीभारतबालेलोग हरीशयनएकादशीसे लेकर देवउठानएकादशीतक कोई विवहाअदिशुभकार्यनहींकरतेहै| उनकामाननहै इस दिनसेभगवानका शयनकालहै यानिभगवान विष्णुसोतेहै एवदेवउठानएकाद