ज्योतिष धर्म और अपवाद
ज्योतिष धर्म और अपवाद ज्योतिष को वेदों का प्राण कहा जाता है | वैदिक मत के अनुसार ऐसा माना जाता है कि हमारे वेदों में एक लाख श्लोको में दस हजार श्लोक ज्योतिष के माने गाये है इसी लिए पुराणों ने ज्योतिष को वेदों की आंख माना है | ज्योतिष गणतीय पद्धति पर निर्भर होने के कारण इसका वैज्ञानिक आधार भी है | दुनिया में ज्योतिष एक ऐसा शास्त्र है भूतकाल वर्तमान तथा भविष्य की परमानिकता बतलाता है | क्योकि खगोलीय पिंड जिनका प्रथ्वी पर प्रथ्वी के जन जीवन पर गहरा असर पड़ता है | इसी लिए शास्त्रों में ज्योतिषी को दैवज्ञ कहा जाता है | फलसरूप मानव के सुख दुःख की चिंता करने बाला पृथ्वी का देवता माना जाता है | प्राचीन काल में जब वैज्ञानिक यंत्रो की कमी होती थी | उस समय ज्योतिष माध्यम द्वारा भविष्य की संशय का निवारण इसी विधा द्वारा होता था |यधपि महाभारत के युद्ध में विद्द्वानो के मारे जाने के कारण ज्योतिष शास्त्र को काफी क्षति हुई | आधुनिक समय में ज्योतिष ---आधुन