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Showing posts from 2009

वर्ष २००१० का सामाजिक तथा राजनैतिक प्रभाव

वर्ष २००१० का शुभ आरम्भ हिंदी मास माघ कृषण पक्ष प्रीतपदा दिन शुक्रवार चन्द्रनक्क्षत्र आद्रा के तीसरे चरण से हो रहा है आद्रा नक्षत्र का स्वामी राहू जो इन दिनों गुरु के नवांश में गोचर करेगा फलसरूप नूतन वर्ष मै शनि का मंगल के नवांश मै होने के कारण तथा गुरु का शुक्र के नवांश में गोचर के कारण वर्ष की पर्स्थाती विषमता पूरण होगी इन दिनों गुरु के राशी परवर्तन के कारण जो देश की कुडली के दसम घर मै है राजनेतिक पर्स्थितीय बहुत अनुकूल नहीं होगी नूतन वर्ष मे शुक्र जो सुख का कारक माना गया है सूर्य के नवांश में सूर्य के साथ गोचर के कारण समाज की आर्थ वेवस्था में कमजोरी होगी समाज में नारियो को आपमान सहन करने पड़ सकते है जिस के चलते सरकार पक्ष को भरी नुकसान उठाना पढ़ेगा नूतन वर्ष २००१० मे गुरु तथा शनि की परस्पर द्रस्ती होने के कारण विवक शील व्यकितियो द्वारा समाज को मार्ग दर्शन मिलने के कारण समय समय पर आई समस्यों निस्तारण होता रहेगा वर्ष २००१० में राहू का गोचर गुरु के नवांश में होने के कारण तथा शनि गोचर बुध की राशी कन्या एवं मगल के नवांश में होने के कारण शेयर मार्केट में धाधले वाजी के संकेत है

2010 का आगमन भारत वर्ष के लिए विश्म्तापूरण परिस्थितिओं वाला होगा

2010 का आगमन भारत वर्ष के लिए विश्म्तापूरण  परिस्थितिओं वाला होगा आनेवाला वर्ष २०१० का शुभागमन दिन शुक्रवार तिथि पूर्णिमा तथा आद्र नक्षत्र के तीसरे चरण से आरम्भ हो रहा है. नक्षत्र स्वामी राहू होगा

कालसर्प दोष जोतिषमै है मिथ्या पूरण

आधुनिक समयमै कल सर्प दोष के मधियम से जोतिष मै बढ़ी भिरान्तिसमाज मै बयाप्ता है जिस के कारण जोतिष तथा जोतिशियो मै भिरान्ति पैदा कर रहा है फलसरूप समाज को बढ़ी भिरंतियो का सामना करना पर रहा है अह एक बिद्म्व्ना की बात है यधपि जोतिष सस्त्रो की बात कही जाये तो कालसर्प दोष की कही भी पुष्टिनहीं होती है जबकि आधुनिक समय मै कल सर्प दोष पर चैनल मध्यम से प्रचार प्रसार चरम सीमा पर है जब की इसकी पुष्टी जोतिष के किसी भी शात्र मैं नहीं हो ती है यधपि जोतिष शास्त्रोनो मैं मानवी जीवन को प्रभावित क़र ने वाले अनके योग और दोष हैं जिनका वर्णन मिल ता है लकिन कालसर्प दोष नाम से जन्हा तक मेरा ख्याल है कोई दोष नहीं है जब की बाजार मैं जोतिषयो लिखी गयी पुस्त्नको के भंडार हैं अर्ध कल सर्प दोष तथा पूर्ण कालसर्प दोष थता उसकी शांति की बात समाज मैं आम हो गयी है प्रचार प्रसार के अधिकता के कारण जीविन मैं पीढ़ित लोग जोतिषयो के पास कालसर्प दोष की खूब ही चर्चा करने लगे हैं आधुनिक जोतिषयो के अनुसार जब किसी कुंडली मैं सभी ग्रहे राहू और केतु के प्रभाव मैं आ जा ते हैं तब उसको कालसर्प दोष मन जा ता है तथा कोई एक ग्रहे एक इस

इंडिया टी .वी. में देखाय जाने वाले महाप्रलय के संकेत गलत

इंडिया टी .वी. में देखाय जाने वाले महाप्रलय के संकेत गलत श्री गणेशाय नमः    आधुनिक समय मैं जोतिषी एक मिथ्याचार एवंम भर्मित करने वाली विज्ञानं रह गयी है , जिस के बल पर मात्र समाज को गुमरहा किया जाता है, फल सवरूप जोतिषी से जोतिस्यी के मेथ्याचार के कारण समाज भ्रमित है | तथा जोतिषी से विश्वास हट गया है फलस्वरूप जोतिश आधुनिक समाज  मैं मात्र धन कमाने या मनोबिज्ञान के रूप मैं जाने जाना लगा है | जब की एसा नहीं है , जोतिश एक वज्ञान है और अपने मैं पूरण है जो वदिक काल से चली आ रही है |  दुर्भाग्य का विषय यह है की समाज मैं सही जोतेषी नहीं हैं , दूसरा आधुनिक समाज भी साही जोतिषी का मार्ग दर्शन तथा सही रूप को आपने स्वार्थ के कारण नहीं चुनना चाहा ता है फलस्वरूप समाज व  जोतिषी के कमीओ के कारण जोतिषी जसी प्राचीन विधा आज मिथ्याचार के हात चढ़ गयी है , और समाज मैं आपना विश्वास खो रही है यह एक दुर्भाग्य पूरण विषय है, इस समय इंडिया टीवी चैनल के माधयम से महामाया कलेंडर को साक्षी कारण कर महाप्रलय की बात धोरही जा रही है जो सही नहीं है , कवेल आधुनिक समाज को भ्रमित कर ने वाली है वैदिक जोतिषी

शेयर बाज़ार की भविष्य में गिरावट : २८ फ़रवरी २०१० तक

शेयर बाज़ार की  भविष्य में गिरावट : २८ फ़रवरी २०१० तक  आधुनिक समाज की ऐसी परम्परा बन गयी है जिसके  माध्यम से वो चंदक्षणों में अच्छा धन कमा क़र मालामालहोना चाहते है ,ये सपना वर्तमान समय में हेर युवक युवती का है जो एक विडंबना का विषय है . मालामाल होने की इच्छुक लोग बिना सोचे समझे ही शेयर बाज़ार में भरी जोखिम पर अपना धन व्यये  करते हैं फलस्वरूप कई बार कुछ लोगों को बहुत अधिक फायदा होता है कई बार बहुत लोग डूब जाते हैं. ये शेयर बाज़ार के चड़ते उत्तरते भाव पर निर्भर है.जो ज्योतिषय आधार पर प्रतिदिन के ग्रेह गोचर पर निर्भर करता  है. ज्योतिष में रहू व शनि को जनता का कारक माना गया है तथा रहू को ही लोटरी ,सट्टा,काला बाजारी आदि का ग्रेह भी मानते हैं. जो इन दिनों गुरु के नवांश में है. गुरु सूर्य के नवांश में है जो बाज़ार का कारक ग्रेह है. शुक्र जो इन दिनों सूर्य बुध के साथ मंगल की राशी वृश्चक में है नवांश चंदर का है.  शनि कन्या राशी एवं गुरु के नवांश में है. फलस्वरूप गुरु शनि और राहू की स्थिति अच्छी नहीं है इस कारण शेयर बाज़ार में आने वाले दिनों में भरी मात्र में चडाव उत्तार रहेगा .कंपनियों के बेइ

भारत को साम्प्रदायिक सौहार्द का खतरा

भारत को साम्प्रदायिक सौहार्द का खतरा  भारत को साम्प्रदायिक सौहार्द का खतरा बना हुआ है. स्वतंत्र भारत की कुंडली वरिश लगन तथा कर्क राशि की है. जिसमें चन्द्र कुंडली के अनुसार लगन में स्थित ग्रह चन्द्र ,शुक्र, बुध , सूर्य व शनि हैं एवं द्वादश भाव में मंगल स्थित है जो नवांश में गुरु की राशी में है. सर्वाश्टक वर्ग अनुसार मिथुन राशी को जिसमें मंगल स्थित है मात्र १९ अंक मिलते हैं इस समय देश में सूर्य की दशा चल रही है जिसमें मंगल का अन्तेर ९-२-२०१० तक है. मंगल  देश की कुंडली में मार्ग स्थान का स्वामी है . इन दिनों हुए ग्रहों के गोचर परिवर्तन से सूर्य ने बुध के साथ मंगल की राशि वृषक में परिवर्तन किया है. शनि इन दिनों बुध की राशी कन्या में चल रहे है. इन दिनों बुध और चन्द्र के साथ शनि के ही नवांश में है. ज्योतिष में शनि को जनता का कारक माना गया है. बुध को तर्क एवं कानून का -फलस्वरूप इन दिनों हुए गोचर परिवर्तन के कारण क़ानूनी प्रक्रिया को लेकर जनता पर संकट आ सकता है. मंगल का साथ में गोचर होने के कारण शास्त्र द्वारा हिंसा  भारक्नें की संभावना है.इन दिनों राहू  का गोचर गुरु की राशी और गुरु के ही नव

रक्षाबंधन

रक्षाबंधन रक्षाबंधन हिंदुओं का सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है. यह त्यौहार भाई और बहन के बीच अटूट प्रेम संकेत. यह त्यौहार सा व न हिंदु माह के पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. इस वर्ष 2009 में, यह 5 अगस्त को मनाया जाएगा. शब्द "रक्षाबंधन" आत्मीय और भौतिक सुरक्षा के के लिए खड़ा है. यही कारण है कि जब एक बहन के संबंधों को राखी गाँठ, वह कहते हैं, "भाई! मैं तुम्हारे पास आई हूँ, आप मेरी सभी बुराइयों से रक्षा करोगे ." इस शुभ दिन पर, बहन अपने भाइयों की कलाई पर एक पवित्र बैंड राखी बाँध कर मिठाई खिलाती है . बदले में, अपने भाई बहनों के विभिन्न उपहार देते हैं. यह दंत कथा पुरातन काल से कही जा रही है कि द्रौपदी , पांडवों कि पत्नी और राजा द्रुपद की बेटी थी , एक बार जब कृष्णा su दर्शन chakr से 'हाथ ओं घायल हो गया और वह बुरी तरह से खून बहने लगा. द्रौपदी देखा जिस क्षण, वह उसकी साड़ी का एक कोना फाड़ और कृष्णा 'हाथ नों पर लिपटे. पौराणिक कथाओं कि कृष्णा जब Duhshasana उसे नंगा करना करने की कोशिश की कि कर्ज चुकाने के ल

दीपावली पर करें कन्या पूजन

दीपावली पर करें कन्या पूजन  वैसे तो हिन्दुओं के प्रतेयक पर्व पर सिध्ही बुध्ही के स्वामी गणेश तथा आदि शक्ति माँ भगवती कीउपासना का अति प्राचीन विधान है. जिसके फल स्वरुप जब तक आदि शक्ति माँ भगवती की कृपा न हो तब तक जीवन से सुख ओर शांति एवं सफलता कोसों दूर रहती है . इस सृष्टि में महामाया देवी की शक्ति के दो रूप हैं अद्रिशय व दृश्य देवी के अद्रिशय स्वरुप को मेधा के नाम से जाना जता है. जो इस संसार को सम्मोहित करने,भ्रमित करनें एवं भावः जंजाल में फसनें का काम करती है. जो ईश्वरीय इच्छा पर चलती रहती है. दूसरी शक्ति जो दृश्य है वह सांसारिक संबंधों को नारी के रूप में स्थापित करती है. जिसके संसार में अनेक रूप बहन, बेटी, माता व भार्या के रूप में है. जो इस संसार में पुरुष के साथ शक्ति संचार हेतु कंधे से कंधा मिला केर इस सृष्टि के कार्यों को करती है. पर्त्येक मानव की इस संसार से चार प्रकार की उपेक्षा प्राचीन काल से ही मानी गयी है. जिनको धरम, अर्थ,काम ओर मोक्ष के नाम से जाना जाता है .इन चारों अवस्थाओं में आदि शक्ति देवी का नारी के रूप में संलगन होना मानवीय सफलता के लिए अत्यंत आवश्येक है वेदों ओंर पु

गजेन्द्र मोक्ष स्त्रोत्र : मूल पाठ

गजेन्द्र मोक्ष स्त्रोत्र : मूल पाठ विश्व की उत्पत्ति का कारण हरि जो स्वयं बने, सत चित और आनंद के रस से सने ॥ दूर करते तीन ताप को कृपा मय द्रष्ट से । नमन है श्री क्रष्ण को सुख दे हमें निज द्रष्ट से।। इस सम्पुरण संसार की रचना इश्वर की इच्छा पर ही हुई है वाही सृष्टि की उत्पत्ति संघार और पालन के कार्य और कारण है जिन का स्वरुप सत्य चित और आनंद से परिपूरण है। जिनकी कृपा मय दृष्टि दैविक ,दैहिक और भौतिक सभी प्रकार के कष्टों कोप दूर करने वाली है। ऐसे परमात्मा भगवान् श्री क्रष्ण को हमारा नमन है। निवेदन है कि अपनी कृपा मय दृष्टि सुख और आनंद दें। गज ग्रेह

गजेन्द्र के पूर्व जन्म संस्कार

गजेन्द्र के पूर्व जन्म संस्कार लोक शिक्षा के लिए अवतार था ,जिस ने लिया। जन अदृशय हो कर के भी , जन स्दृशय को कौतिक किया ॥ राम नाम ,नाम जिसका सर्व मंगल धाम है । नमन है श्री कृष्ण को ,श्रद्घा में प्रणाम है ॥ भगवान् श्री हरि के दर्शन पा कर ग्रह श्री हरि के समान रूप बना कर सभी देवताओं के देखते देखते देव लोक को चला गया तथा गजेन्द्र भी अपने हाथी की योनी को छोड़ कर श्री हरि के समान रूप वाला होकर वैकुण्ठ धाम को गया। इस रहस्य के पीछे भगवत महा पुराण में गज और ग्रह दोनों के पूर्व जन्म संकार की कथा मिलती है जिस से यह सिद्ध होता है कि सृष्टि का प्रत्येक जीव अपने पूर्व जन्म के कर्मों के अनुसार ही सुख और दुःख भोगता है। सुखदेव जी ने अर्जुन पौत्र परीक्षत को समझाते हुए उनके पूर्व जनम कि कथा का वर्णन इस प्रकार किया कि गज पूर्व जन्म में पांडव कुल में उत्पन्न इन्देर्धुमन नाम का राजा था जो प्रजा पालन में कुशल वैष्णो का चरण अनुरागी था कालांतर में उसने इस आशय से राज पाठ स्त्री और पुत्र सभी का त्याग कर दिया कि वह प्रभु भक्ति कर अपने जीवन को सफल और सुखद बनाएगा फलस्वरूप इन्देर्धुमन जंगल में जा कर प्रभु चरणों

गजेन्द्र मोक्ष स्त्रोत्र

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गजेन्द्र मोक्ष स्त्रोत्र गजेन्द्र मोक्ष की पौराणिक कथा महारिशी वेड व्यास द्बारा रचित भगवत महापुराण जिसे सुख सागर के नाम से जाना जाता है के पूर्वार्ध में मिलती है। पौराणिक मत के अनुसार अष्टम मान व्येंत्र में हु हु नाम का एक ग्रह मानसरोवर के जल में रहता था जो अत्यन्त बल शाली था। मानसरोवर में हाथिओं के राजा गजेन्द्र जो अपने बल और विवेक के लिए प्रसिद्ध था का संध्या के समय परिवार के साथ जन आना हो गया गज अपनी पत्नी के साथ मानसरोवर में नित्य प्रति जल क्रीडा करता था तथा अपने बचों के साथ भी खेलता था। एक लंबे समय के बाद सरोवर में रह रहे हु हु नाम के ग्रह से गज का बैर हो गया। एक दिन जब गज अपने परिवार के साथ जल क्रीडा करने हेतु मानसरोवर गया हुआ था जल क्रीडा के समय ग्रह ने उसका पैर पकड़ लिया फलस्वरूप दोनों में युद्ध शुरू हो गया गज अपने पैर को छुडाने के लिए भरपूर बल का प्रयोग करने लगा लेकिन जल के अंदर.ग्रह का बल अधिक होने के कारण वो गज को खीनता ही चला गया .यह युद्ध लगातार ६ महीने चलता रहा गज का बल दिन प्रतिदिन कम होता गया ग्रह का बल बढता गया एक दिन निराश मन से उस गज को उसकी पत्नी और बच्चों ने भी छोड़

स्वेत आर्क के वास्तु गणेश

स्वेत आर्क के वास्तु गणेश वास्तुशास्त्र में हिंदू दर्शन के अनुसार गणेश की प्रतिमा तथा पूजन का आवासीय शुद्धि एवं अनुकूल ऊर्जा के लिए विशेष महत्तव है इसलिये सभी प्रकार के वास्तु दोषों को दूर करने हेतु दोष्वाले स्थान पर वास्तु गणेश लगाने का विशेष प्राचीन विधान है। वैसे तो वास्तु गणेश अनेक प्रकार की धातुओं के बनाये जाते हैं जिन में सभी के अपने अलग अलग प्रभाव हैं.लेकिन स्वेत आर्क का वास्तु गणेश सभी प्रकार के दोषों को मुक्ति हेतु सबसे सरल साधन तथा मनोकामना सिद्ध करनेवाला कहा जाता है। स्वेत आर्क एक ऐसा पौधा होता है जिसको हिंदू दर्शन के अनुसार साक्षात् ही गणेश का रूप कहा जाता है इस पौधे के अंतर्गत अनेक औश्धिये एवं दैविक गुण होने के साथ साथ एक विशेष यह भी गुण है कि इसकी जड़ में स्वयं गणेश जी कि आकृति बनी होती है। अगर जड़ को ध्यान से देखा जाए तो इसके बराबर में निकली दो शाखाएँ गणेश जी के दो दातों का कार्य करती हैं एवं इस से आगे का भाग साक्षात् गणेश जी का रूप बना देता है। इस लिए इस पौधे के पूजन तथा प्रतिमा का विशेष महत्त्व है। प्रतिमा के आभाव में इसकी लकड़ी एवं पुष्प पत्ते सभी भवन को वास्तु दो

सभी प्रकार के वास्तु दोषों को दूर करते है सिद्धिदाता गणेश

सभी प्रकार के वास्तु दोषों को दूर करते है सिद्धिदाता गणेश भगवन श्री गणेश जी को प्र्थ्मेश्वर विघन हरने वाले सिद्धेश्वर के नाम से जाना जता है। कहा जता है की गणेश उपासना से मानसिक शान्ति के साथ साथ सुख व समृद्धि मिलती है। हिंदू दर्शन के साथ साथ गणेश जी के बारे में जैन धर्म में भी इनकी पूजा तथा प्रर्तिमायें मिली हैं जैन धर्म के अनुसार भगवन गणेश जी को गणेश्वर विनायक के नाम से जाना जाता है जिसका उल्लेख १६वी सदी से १८वी सदी के श्वेताम्बर जैन कवियों की हिन्दी एवं राजस्थानी भाषाओँ में मिलता है। इसके अलावा बौधों ने भी अपने धर्म के प्रचार के साथ साथ हिंदू धर्म के देवता श्री गणेश एवं अन्य देवी देवताओं को कुछ अन्तर के बाद ज्यों का त्यों मान लिया है। जिसका उल्लेख नेपाली बौध साहित्य के प्रमुख ग्रन्थ गणपति ह्रदय में मिलता है। जो बौधों की सभी कामना सिद्ध करने वाला ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ का प्रत्येक मन्त्र - ॐ नमस्तुते गणपतये स्वाहा ,ॐ गणपतये स्वः से प्रारम्भ होता है। भगवान् श्री गणपति जी के जन्म के बारे में हिंदू दर्शन में उल्लेख मिलता है। जिसके अनुसार धर्म तत्व स्थूल के साथ साथ सूक्ष्म बन कर ब

नरेंद्र मोदी को देंगे निकटवर्ती लोग धोखा

नरेंद्र मोदी को देंगे निकटवर्ती लोग धोखा ज्योतिष के अनुसार नरेंद्र मोदी जी की कुंडली तुला लगन एवं वृश्चिक राशिः की बनती है जिसके अनुसार दुसरे घर में चन्द्र और मंगल की युति के कारण वाणी का विवाद तथा द्वादश भावः में केतु , सूर्य व् बुध होने के कारण पाश योग दर्शाता है । चन्द्र कुंडली के अनुसार वर्तमान समय में बृहस्पति का गोचर मार्गी हो कर चौथे घर पर है । फलसवरूप राजनैतिक गतिविधियों में मोदी जी को अपने निकटम विश्वसनीय लोगों द्वारा धोखे होने की पूर्ण संभावना है । १५ जुलाई ले बाद में जब बृहस्पति वक्री होंगे मोदी जी की राजनैतिक स्थिति में सुधार तथा प्रसिद्धि बढेगी । लेकिन मोदी जी पर चलने वाली सूर्य की महादशा जो १ . ५ . २००६ से १ . ५ . २०१२ तक रहेगी । सूर्य में शनि का अन्तर २२ . २ . २०१० तक है । जो ठीक नहीं है । अतः मोदी जी पर कानूनी अटकल तथा परेशानी बनी रहेंगी । जिसको लेकर समय समय पर समाज में छवि खराब होने के संकेत हैं । २२ . २ . २०१० के बाद में बु

कठिन होगा सरकार बनाना

कठिन होगा सरकार बनाना ज्योतिष के अनुसार अगर स्वतन्त्र भारत की कुंडली का आंकलन किया जाए जो वरिश लगन तथा कर्क राशी की बनती है। इस के अनुसार कर्क राशी पर शनि का गोचर सादे साती का प्रबल विपरीत प्रभाव होने के कारण देश में रहनैतिक संकट बने रहेंगे। इस के साथ साथ दो मई से गुरु के मार्गी होने के कारण राजनैतिक प्रतिकूलता और भी बढ जायेंगी फलस्वरूप किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत मिलने के ज्योतिशिये संकेत नहीं हैं। १५ अगस्त २००९ तक देश की कुंडली में शुक्र में केतु का अन्तर इस बात की ओर भी संकेत करता है कि १५ अगस्त तक सरकारी तंत्र कि कमजोरी के कारण तथा जनता का विश्वास वरिष्ट एवं गणमान्य राज नेताओं के स्वाभिमान को भी धूमिल कर सकता है। अतः राजनीती के कारण समाज में आंतरिक कलह होने कि भी संभावना है। प्रधान मंत्री इन वेटिंग श्री लाल कृष्ण अडवाणी जी कि कुडली को देखा जाए जो वृश्चक लगन तथा मेष राशी कि बनती है जो एक राजनैतिक योग के साथ साथ