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Showing posts from March, 2016

चेत्र मास में ०५ गुरुवार के करण राजनेतिक शंकट

Subject: चेत्र मास में ०५ गुरुवार के करण राजनेतिक शंकट चेत्र मास में ०५ गुरुवार होने सेबनारहेगा राजनेतिक शंकट चेत्रमासमें ०५ गुरुवारहै जिससे राजनेतिक शंकट बरकरारबनारहेगा कांग्रेशएवंभारतीयजनतापार्टीकी शीतलहर निरंतर बढ़ेगी|दूसरीओरदेश कीसीमोयोपर आतंकीघुसपेट के मध्य नजर जनतामें अशांति बनी रहेगी यानि इन दिनों सरकारएवंआतंकीगत्विधियो मेंखीचातानीबनीरहेगी३१-०३- २०१६कोशुक्रमीनराशीमें यानिअपनीउच्चराशी मेंगोचर के बाद समाज में विलासता केसाधनबढ़ेगे तथाजोह्रियो एवं सरकरके बीच निरंतरचलनेबालेझगडेकाकोईस्थायी हलहोनासंभव है| -- कोहू न काहू क़र सुख दुःख दाता | निज कृत कर्म भोग फल पाता||   गरल सुधा रिपु करें  मिताई ,गोपद सिन्धु अनिल सितलाई . गरुण सुमेर रैन सम  ताहि ,राम कृपा कर चितवें जाहि  .. Pt.Shriniwas Sharma Mo:9811352415                                                       http:// vedicastrologyandvaastu. blogspot.com/ www.aryanastrology.com Professional charges :Rs1100/Patri,...Prashan  Rs 500 Central bank a/c: SB no: CBIN0280314/3066728613 -

गो सेवा द्वरा ग्रह शांति

---------- Forwarded message ---------- From:  Shriniwas Sharma   Date: 2016-03-16 19:49 GMT+05:30 Subject: ज्योतिष में गौ की महिमा To: shriniwas sharma वैदिक ज्योतिष में  गाय की उपसना का विशेष महत्व है |अगर आप यत्रा कर रहे हो तथा  दूध वाली गाय अपने बछरे के साथ आप के सामने पड़ जाये या आप के दाये अंग से निकल जाये तो समझना चाहिए की आप की यात्रा अब्स्य सफल होगी | जिस घर में गाय रहती है  उस घर की मर्दा के सभी दोष दूर हो जाते है  इस में कोई संदेह नहीं है |  अगर आप की कुंडली में शुक्र जैसा शुभ ग्रह नीच राशी अथवा नीच नवांश में हो  या शुक्र कुंडली के ६.८.१२  में भाव में स्थित हो तो प्रात काल के भोजन में से एक रोटी सफेद रंगवाली गाय को खिलने से  आर्थिक शंकट दूर होता  है एवं विवाहिक शुख भी मिलता है | अगर आप की कुंडली में  पितृ दोष हो  तो जीवन में बड़ी परेशानी झेलनी पड़ती है |अगर आप का जीवन पितृ दोष से परेशान हे तो अमब्स्या के दिन गाय की सेवा करने  तथा चारा अदि की सेवा से गौ माता प्रशन होती है  तथा पितृ ऋण से मुक्ति देती है | अगर आप की कुंडली में गुरु की स्थति अनकूल नहीं है  गुरु के

गर्भ रक्षक श्री वासुदेव सूत्र

गर्भ रक्षक श्रीवासुदेवमन्त्र- भगवान श्रीक्रष्ण द्वरा उतराके गरब कीउस समयरक्षाकरी जब अशुशथामा द्वरा उतराके गरब को खंडित करने केलिएब्रह्म शाश्त्र का प्रयोग किया जिस से प्रथ्वी काप उठीसभीदशाये भयभाय होने लगी यहघटनाउस समय हुयीजब भगवानश्रीक्रष्ण द्वरिकाकेलिएजानेकेलिए रथपरसवार होकर द्वारिका जारहे थे| उतराकीचीखजबभगवानश्रीक्रष्ण ने सुनी तबउसे अपनेपीताम्बर से ढक लिया और मक्षर का रूपधारण करगर्भ में प्रवेश किया जिस सेउसकेगर्भकीरक्षा हो सकी उतराकेगर्भकीरक्षा उसमन्त्र जिसका नाम श्रीवासुदेव सूत्र केप्रभाव से हूई यहभगवतकरोकामाननाहै| मन्त्रकाविधान-श्रीवासुदेवसूत्र का पाठकिसीअनुभवीपंडितयास्वयम भगवानकेप्रतिपूर्णश्रधा रखकर उस समय करनी चाहिए जबतीनमहीने सेअधिक अधिकका गर्भ हो| इसकीसाधनाकेलिएसाधकको सूर्यकीतरफ मुहकरकेखड़ा होना चाहिए तथासूतके धागेसे साधककोपैरो से सिर तक नाप कर गाठ लगा देनी चाहिए तथा धागे केप्रतेक छोर परअमोघअक्षरकोलिखनाचाहिएतथागा ठबालेछोरपरस्वहालिखदेनाचाहिए इस प्रकारसातफेरेपूरण होनेके बादउस लपेटकरमालाबनालेनी चाहिए मालाबनतेसमय यहध्यानरखेकी सूतका धागा टूटे नहीं| इसमालाकोसाधिकाके

म्रत्यु के लक्ष्ण

समय की शुभता या अशुभता अचानकनहीं होतीहै उसके कुछलक्ष्ण पूरबआभास होनेलगतेहै लेकिनअभिमान के बसिभुत मनाब उसे स्वीकार नहीं करना चाहता है | हमारेज्योतिष शहस्त्र में म्रत्यु आने सेपूरबअनेक अनेकशगुन लक्ष्ण दिखलाई देते है | जोइसप्रकार है- १ अगर अपने शीने छिद्र दिखलाई दें तो समझना चाहिए कि छ महीने समझना चाहिए २-अगरआप सपने अपनेको तेललगा हूआ देखे तोसमझाचाहिएआपकोम्रत्युतुल्य कष्ट होगा याआपकोभयानक बीमारी होगी ३-अगरआप अपने को भैसेपर सवार हूआदेखे तोसमजे आपके जीबन में प्राणहरण कष्ट आसकता है | ४ अगरआपको अपनीप्रक्षायीमें छिद्र दिखाईपड़ेतोसमझनाचाहिए कि मरत्यु छ महीनेकेअंदरहीहै |समय की शुभता या अशुभता अचानकनहीं होतीहै उसके कुछलक्ष्ण पूरबआभास होनेलगतेहै लेकिनअभिमान के बसिभुत मनाब उसे स्वीकार नहीं करना चाहता है | हमारेज्योतिष शहस्त्र में म्रत्यु आने सेपूरबअनेक अनेकशगुन लक्ष्ण दिखलाई देते है | जोइसप्रकार है- १ अगर अपने शीने छिद्र दिखलाई दें तो समझना चाहिए कि छ महीने समझना चाहिए २-अगरआप सपने अपनेको तेललगा हूआ देखे तोसमझाचाहिएआपकोम्रत्युतुल्य कष्ट होगा याआपकोभयानक बीमार

राहू पीड़ा से शांति के उपाय

राहूग्रहकीपीड़ा सेशांति अगरजातककीकुंडलीमेंराहू अशुभ भाव में स्थित हो औरउसकीदशाचलरही हो तोजीवन को नरकबनादेता है इसमेंकोईसंदेह नहींहै| अगरआप परराहू कीदशाचलरही हो जिससे आप कोम्रत्युतुलीकष्ट होरहाहो तोआप राहू कीशांति हेतुनिम्न उपाय वुधवारअथवा शनिवारकेदिन करे अबस्यकसामग्री[राहूशांतिकेदानके लिए] १-सरसोंकातेल २सीसा ३काले तिल ४-कम्बल ५-तलवार ६-सुरण[सोना] ७ नीलावस्त्र ८ सूप ९ गोमेद १०-कालेरंगकापुष्प ११- अभ्रक १२दक्षिणा इनसभीवास्तुओ कादान शनिवारकेदिनशनिमंदिरमेंपूजाकरने बाले पुजारीकोदेना चाहिए अथवाशनिकेदानलेनेबालेकोदेनाचहि ये यावुधवार कोशिवमंदिरमेंरात्रि काल मेंछोरना चाहि इसके साथसाथ राहू से सरीरक पीड़ा कम करने के लिए निम्नवस्तुओ कालेपन वुधवारएवंशनिवारको करनाचाहिए जोइसप्रकारहै- १-कस्तूरी २-तारपीन ३ गजदांत भस्म ४-लोबान ५चनदनकाइतर इनसभीकोशुद्धजलया गंगाजल में मिलाकरबुधवारअथवाशनिवारको स्नानकरने सेराहूपीड़ासे सरीरकोबचया जाना संभव है | इसउपायकेलिएवार योग नक्षत्रदिशा सभीका ध्यानरखनाचाहिए| राहूपीड़ासे शांति क

विवाहिक जीवन में मांगलिक दोष एवं उस के प्रभाव

---------- Forwarded message ---------- From:  Shriniwas Sharma   Date: 2016-03-05 18:43 GMT+05:30 विवाहिक जीवन में मांगलिक दोष एवंउसकेपरिहार जबमंगल कुंडली के १ ,४ ,७ ,.८ ,एवं१२बेभाव में होता है तोमांगलिकदोषबनता है|जिसेमांगलिक कहते है मांगलिकदोष काप्रभाववैसे तो जीवन केसभीपहलूओ परपड़ता है लेकिन इस का विशेष प्रभाव विवाहिक जीवन परमाना गयाहै दुहेरा मांगलिक दोष---- जबउपरलिखेभावो मेंमंगल किसीभी भावमें अपनीनीचराशी में हो तोमंगल का अशुभ प्रभाव दोगुना होजाता है | तीनगुना मांगलिक दोष-जब उपरोक्तभावो में किसी भाव मेंनीच काहोने केसाथ साथ शनि राहू एवंकेतु के साथ हो तोमंगल का प्रभाव सामान्यसे तीनगुना होजाता है| मांगलिक दोष के परिहार------- मांगलिकदोष कीपुष्टि किसीअछेज्योतिषी द्वार करनीचाहिए तथामांगलिक दोषको लग्न चन्द्र एवं नवांश तीनोकुंडलियो मेंअच्छी प्रकारसे देखनाचाहिए| कुछलोग विनाकुंडलीकीविवेचना केमांगलिकआदि दोष कीमिथ्यापूरणगरना करसमाज कोगुमराहकारते है जिससे समाजमें ज्योतिष केप्रति सम्मानकमजोर हूआहै| अत इसेलोगो से बचनाचाहिए|अगरकुंडली में मांगलिकदोष हैतोमिलानकेसमय निम्नबाते

ज्योतिष में भद्रा

ज्योतिष में भद्रा ज्योतिष में भद्रा का अपना विशेष महत्व है |अगर कोई कार्य भूल कर भी भद्रा काल में शुरू कर दिया जाये तो वह भूल कर भी पूरा नहीं होता है इसीलिए कोई नयाकार्यकरतेसमय यायात्रा आदि करतेसमय भद्राका विशेषध्यानरखनाचाहिए| ज्योतिषशास्त्रएवंपुराणों अनुसारभद्राके विषयमें दोमान्यताहै जो इसप्रकार है- भद्रासूर्यकीपुत्रीहै एवंशनिकी छोटीबहन है भद्राका वर्णकलाएवंभयानक है केसलम्बेऔरदांत बिकराल है|मनाजाता हैकिजन्मते हीयहसंसार काग्रासकरनेकेलिए दौरीतथायगअदिमें बाधापहुचाने लगी उत्सव एवं मंगलकार्योमें बाधापहुचानेलगी तथा पूरेजगतको बाधापहुचानेलगी भद्राकेभयानकरूपएवं कार्यकेकारन उससेकोईविवहा करनेकोतैयारनहींथा|| सूर्यनारायण नेअपनीबेटी केविवहाकेलिए अनेकविवाहिकउत्सवोंकाआयोजनकिया लेकिन भद्रा द्वरा तौरण मंडप आदिसभीको खंडित करदिया जिससे आयोजनका विध्यंश होगया सूर्यनारायण नेभद्राको समझाने के लिएब्रह्मा जी सेप्रार्थनाकरी जिसपरब्रह्माजी द्वाराभद्रा को समझाया औरकंहा हेभद्रे तुम बव बालव कौलब तैतिल आदिचर करनो के अंत में सातवे कारन के रूप में स्थित रहो| जोव्यक्ति आप के समय यात्रा ग्रहप्रव