रावण का पुष्प विमान का वास्तु




रावण का पुष्प विमान भी उस समय की विज्ञानं के एक अनोखा आयुध  था |जिस की अनोखी विशेषता यह थी |वह विमान उस रथ में वेठे व्यक्ति योधा की इच्छा के अनुसार चलता थापुष्प विमान  रावण के महल का आधा भाग था |इस के आन्तरिक भाग में बने कक्ष नीलम रतन तथा अन्य चमकीली मडियोसे बने  थे  |जिस से अधेरे भागो में भी शुक्ल पक्ष में दिखलाई देने बाले चन्द्र के सामान प्रकाश होता था |जिस के प्रकाश से शत्रु चका चौद होकर भाग जाता था |या फिर मारा जाता था क्योकि इस विमान में युधा के इच्छा अनुसार प्रकट होने तथा अद्रश्य होने की पूरण क्षमता  थी |दूसरा इस विमान में योधा को कोई असुबधा नहीं होती थी |
इस विमान का निर्माण ब्रह्मा जी के लिए विश्वकर्मा जी द्वरा किया किया था |इस विमान को कुवर जी  ने ब्रह्मा जी से माँगा था तथा कुवेरसे बल पुर्बक रावन द्वरा लें लिया गया था |इस विमान को किसी प्रकार के आयुधो से तोडना कठिन था |इस बिमान में एसी सुबधाये थी जैसी किसी देवता एवं देवराज इंद्र के विमान में भी नहीं थी |क्यों कि ये विमान विशेष रूप से विश्वकर्मा जी द्वरा ब्रह्मा जी द्वरा तैयार किया गया था |ये विमान उस समय के वास्तु सुबधायो द्वरा बना होने के कारण योधा को हर प्रस्थति में सफलता दिलाता था |

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कोहू न काहू क़र सुख दुःख दाता |निज कृत कर्म भोग फल पाता||  
गरल सुधा रिपु करें  मिताई ,गोपद सिन्धु अनिल सितलाई .
गरुण सुमेर रैन सम  ताहि ,राम कृपा कर चितवें जाहि  ..
Pt.Shriniwas Sharma
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