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Showing posts from September, 2011

आराध्य शक्ति महामाया दुर्गा

आराध्य शक्ति महामाया दुर्गा नवरात्री नौ निधि प्राप्त करनें की योगीजन का एक विशेष पर्व है. इस पर्व पर महामाया देवी की उपासना का योगी योग को प्राप्त करते हैं तथा भोगीजन सांसारिक भोगों की कामना करते हैं इस सृष्टि में महामाया शक्ति के रूप में दो तरह के कार्य करती है  १) संसार में भ्रम पैदा करना तथा आसक्ति में फ़साये रखना, दो अदृशय है जिसको जाना नहीं जा सकता  २) सांसारिक जीवों का पालन करना तथा ज्ञान एवं भक्ति द्वारा शक्ति संचार कर उन्हें जागृत करना एवं सांसारिक बन्धनों से मुक्ति देना अर्थार्त जीव को सांसारिक बन्धनों में बांधे रखना तथा बन्धनों से मुक्त करना दोनों ही कारण महामाया शक्ति के हैं.  गीता में भगवान् श्री कृषण नें अर्जुन को उपदेश करते हूए यह बात कही थी की संसार में मैं कुछ भी नहीं करता हूँ फिर भी तू मुझे सभी कार्यों का करता मान तथा किसी वास्तु का भोग न करते हूए भी मुझे सभी वस्तुओं का भोगता मान अर्थार्त में कुछ न करते हूए भी संसार के प्रत्येक कार्य को करता हूँ मेरी माया मेरे संकेत पर इस संसार के सभी कार्य पूरण करती है इसलिए तू अपना कर्तव्य मेरी इच्छा को स्रोधार्य कर मैं तुझे सफलता द

देश का संकटकालीन समय १० सितम्बर से ३० अक्तूबर तक

देश  का  संकटकालीन समय १० सितम्बर से ३० अक्तूबर तक  ज्योतिष अनुसार इन दिनों मंगल का गोचरीय संचार १० सितम्बर से अपनी नीच  राशी कर्क में संचार कर रहे हैं . मंगल स्वतंत्र भारत की कुंडली में चन्द्र कुंडली के अनुसार राजयोग कारक है तथा लगन कुंडली के अनुसार सप्तम और द्वादश भाव का भी स्वामी है.मंगल का कर्क राशी में गोचर लगन एवं चन्द्र कुंडली के अनुसार शुभ संकेत नहीं है.इस गोचर से देश की सरकार को,देश का सुरक्षातंत्र ,पडोसी देश एवं मित्र राजनेता ,मंत्री आदि से धोखा होने की सम्भावना हैगुरु के १२वे घर में गोचर के कारण कानून व्यवस्था पहले ही सरकारी नियंत्रण से बाहर है.यह समस्या भविष्य में तब और वृद्ध हो सकती है जब १५ नवेम्बर २०११ को सायें ४.३० शनि कन्या राशी को त्याग कर तुला में गोचर करेंगे .परिणाम स्वरुप गुरु व शनि की परस्पर दृष्टि होगी .फलस्वरूप सरकार को भ्रष्टाचारी अधिकारी और राजनेता के विरुद्ध कारवाही को लेकर अपमानित होना होगा..अतः वर्तमान सरकारके कारण देश की छवि धूमिल होगी. इस वर्ष का नया आलम गुरु के १२वे घर में गोचेर के कारण देश की कानूनी व्यवस्था साधू,संत व त्यागिजनो के हाथों में जाने के कार

**श्राद्ध विघ्ने पुन: श्राद्धम**

**श्राद्ध विघ्ने पुन: श्राद्धम** जिन लोगों ने आज [१२-९-२०११] को पूर्णमासी का श्राद्ध किया है, उनके श्राद्ध में विघ्न आ गया है---- क्योंकि जो पूर्णमासी का श्राद्ध था, वह तो ११-९-२०११ को था, जो आज [१२-९-२०११] श्राद्ध कर रहे हैं या जिन्होंने किया है वह सब शास्त्र विरुद्ध है------- अब ऐसे में क्या किया जाये या करना चाहिये ?--- इसका उत्तर यह है कि अब इसकी शुद्धि के लिये, अर्थात आये विघ्न के लिये पुन: श्राद्ध करना होगा------ और यह श्राद्ध २७-९-२०१२ होगा! वैसे कई प्रकार के शास्त्र में श्राद्ध विघ्न कहे गये हैं! विघ्न आने पर पुन: श्राद्ध करने को शास्त्र में कहा गया है! प्रतिपदा का श्राद्ध १३-९-२०११ को है और इसी दिन से श्राद्ध पक्ष शुरू हो रहा है! -------------------- श्राद्ध--निर्णय --------------------- ------ पूर्णिमा का श्राद्ध----- तिथि----------निर्णय------ - ----- एकादशी का श्राद्ध तिथि समय------ निर्णय------- कई पंडितजन, मंदिरों में बैठे पंडित वा ज्योतिषी पूर्णिमा का श्राद्ध १२-९-२००११ को कह रहे हैं! क्या यह शुद्ध तिथि है? पूर्णिमा श्राद्ध निर्णय------ यह पार्वण श्राद्ध है,