Posts

Showing posts from June, 2020

bhart banega vishw guru

अगर हम  भारत की कुंडली की बात करे तो स्वतंत्र भारत की कुंडली दिनाक 14  अगस्त 1947  समय रात्रि ००.30    दिल्ली पर विचार करे तो  स्वंत्र भारत की कुंडली वृषभ लग्न एवं मिथुन राशि की बनती है  लग्न कुंडली अनुसार सूर्य ,बुध ,शनि,शुक्र तीसरे भाव यानि कर्क राशि में है  अगर चंद्र कुंडली की बात करे तो  यह युति दूसरे भाव में बनता है  यानि अगर लग्न से विचार करे तो तीसरा भाव जिसे संबंधित भाव कहा जाता है पीड़ित है  अगर चंद्र से विचार करे दूसरा भाव पीड़ित हो जाता है जो आंतरिक कलह की और संकेत  करते है।  अत  यह बात स्पष्ट है कि भारत को आंतरिक कलह  एवं पडोशी राष्टों  से हमेशा जूझना पड़ेगा।  भारत के लग्न में राहु देश की धर्म निरपेक्षता को प्रकट करता है एवं सप्तम भाव में केतु जो मंगल की राशि वर्षिक में है एवं इस का स्वमी अपने से अष्टम भाव में मंगल के साथ है। अगर हम हिन्दुतय की बात करे तो हिन्दुतय का कारक  गुरु  जो छटे भाव में शुक्र की राशि  तुला में है  एवं शुक्र के नवांश में है  अत  देश के अंदर  हिंदूवादी ताकत कमजोर स्थति में रहेगी  एवं अन्य धर्मो की ताकत बढ़ती रहेगी  इन दिनों देश की कुंडली में शुक्र की दशा

china par arthik prtibandh

आज  जंहा पूरा विश्व में जहा कोरोना का संकम्रण  चर्म  पर  है.इस संकम्रण की जननी चीन का माना  गया है |  इतना ही नहीं चीन के वुहान  शहर से उत्पन्न कोरोना ने विश्व भर बड़े पैमाने पर जाने गई है  यानि विश्व भर में ४ १४ ५ ८८  से अधिक लोगो  की मौत हो चुकी है | पुरे विश्व में चीन को लेकर नफरत के अंकुर उत्पन्न हो गए है | अगर ज्योतषीय आधार पर बात करे तो चीन की कुंडली २८ अक्टूबर १९५९  अनुसार मकर लग्न एवं मकर राशि की बनती है नम्ब्बर २०१९ में चीन की कुंडली में शनि की दशा बीत चुकी है एवं बक्री बुध की दशा चल रही है  जिस की स्थति नवांश में अच्छी नहीं है जो इस बात का संकेत हैं की चीन की सोच कभी भी विश्व के लिए अच्छी नहीं रही है | सप्तम घर में स्थित  नीच का मंगल चीन के नीच कर्मो के दवरा विश्व में सफलता की और उठे कदमो की और संकेत देता  है चीन के तीसरे भाव में राहु जो गुरु की राशि में  हैतीसरा घर  काम तिरकॉड भाव कुंडली का माना जाता है तीसरे भाव में बैठे ग्रह जीवन में बहुत बड़ा परिवर्तन लाते  है शनि की दशा से पहले चीन की कुंडली में गुरु की दशा थी जो १६ वर्ष रही इस से पहले राहु की दशा जी बहुत अनकूल रही है |

क्रष्ण अबतार की अबस्कता

भागवान श्रीक्रष्ण का अबतार जिस परस्थितियो में हूआ वे प्रस्थित यो में हूआ समाजिक अनोखा खेल था |जरासिंध कंस का अत्याचार तथा अन्य क्षत्रियो राजोयो का प्रजा के अधिकारों की अनदेखी करना निरतर बड़ते बल अपराध इस के साथ साथ भगवन राम द्वरा माँ कैकई  को वचन देना त्रेता युग संभव मनु की द्वरा करी गयी तपस्या कंस द्वरा देवकी वासुदेव पर अत्याचार के साथ साथ धर्म धुरंधर महराज अग्रसेन पर अत्याचार इस के साथ साथ ऋषी मुनियों द्वरा ब्रज गोपी रूप में ताप करना  कासी नरेस के साथ साथ अन्य सभी राजाओ का अत्याचारी होना भक्तो के हित के लिए अनेक लीलाए करना |वेसे भगवन को भक्त वत्सल कहा जाता है भगवान् को सर्व अधिक भक्तो का मानअधिक प्यारा होता है |भागवान को भक्तो के मानसे अधिक कोई माननहीं है इसी को तुलसी दासजी ne मानसमें दोहराया है - सब मम प्रय ,सब मम उपजाए |सबसे अधिक मनुज मोय भाए|| मनुजो  में प्रय  मोह  ज्ञानी       |   ज्ञानी    से     प्रय     बिज्ञानी || इन   सब  प्रय  मोह निज  दसा   |  सत्य कहू छोड़  ना दुसरी असा | गोस्वमी जी आगे लिखते है - जब  जब  होय   धर्म के   हानि    | बड़े पाप  अधम  अभमानी   || कर  हे कुद

skand mata poojn vidhi

नव रात्रि के पंचम दिन देवी स्कंद माता का पूजन होता है |पुराणों में स्कन्द नाम भगवन कार्तिकेय  जी का है |जो देवासुर संग्राम में देवो के सेनापति बने तथा भयानक देत्य तारका सुर का नाश किया था | पुराणों में कर्तिके  जी को  शक्ति धर के नाम से भी जाना जाता है इन का बहन मोर है | भगवन कार्तिके की देवी को माँ होने के कारण स्कन्द माता के नाम से जाना जाता है |इन की पूजा नवरात्री के पाचवे दिन होती है |उस दिन साधक का मन विशुद्ध  चक्र में होता है |इन के विग्रह में भगवन स्कन्द जी माँ की गोद में बेठे होते है |देवी की दाई भुजा  जो उपर को उठी होती है कमल पुष्प है |वाई उपर बलि भुजा बर  मुद्रा में है |वाई तरफ की नीचे से उपर की और उठी भुजा देवी कमल पुष्प लिए हूए है देवी का  सुरूप पूर्ण ते शुभ्र है |माँ भगवती का बाहन सिंह है  नवरात्री के पांचवे दिन कमल पुष्प  महत्व माना जाता है इस चक्र में उपस्थित मन बाले साधक समस्थ बह किर्या एवं चित विर्तियो का लोप हो जाता है |                      पंडित - श्रीनिवास शर्मा { देवज्ञ }                                 वास्तु विद    ज्योतिषी  कथाबाचक               

durga saptsati ka dwtiy strot laxmi poojan

दुर्गा सप्तसती के माध्यम चरित्र का पाठ साधक की सभी कामनाये पूरण करने बाला है |इस चरित्र में तीन अधयय है | पहले अध्याय में माँ लक्ष्मी के स्वरूप का वर्रण है द्वतीय अध्याय में महिसासुर के साथ युध है तथा देवी की युध में अनेक लीलायो का व्र्रण है |तथा महिसासुर की सेना का संघार है | इस के बाद त्रतीय अध्याय यानि 04 अध्याय में शुक्र अदि क्षेत्र में देवतायों द्वरा माँ भगवती की स्तुर्ती है | इस स्तुर्ती में लगभग 23 स्लोकं है जो भक्तों की कामनाएं पूरण करती है | ये स्तुर्तियाभक्तों की सभी कामनाएं पूरण करती अत दीपावली पर्व पर साधक को देवी का स्त्रोतों का पाठ करना चाहिए  वैसे माँ लक्ष्मी को कमल गठा ,शहद ,कामलके पुष्प ,चंदन पावडर काले तील .अक्षत  हलवा अदि अष्ट गंध कुमकुम ,जायफल ,बड़ी इलयची ,इत्रअदि से देवी का पूजन करना चाहिए  इस स्त्रोत से किया गाया साधन  साधक की सभी कामनाये पूरण करता है |अत साधक को विधिवत माँ लक्ष्मी का पूजन इस स्त्रोत से करनी चाहिए | माध्यम चरित्र से किया गया जाप हवन पूजन साधक की सभी कामनाये  पूरण कर ऋण  भैयशोक का नास करता है  इस में कोई संदेह नहीं है | साधक को चाहिए द

uttri bhart men gram hava evm khand varsha ke yog

उतरी भारत में रहेगा गर्म हवायो तथा खंड वर्षा के योग  ज्योतिष अनुसार दिनाक २४ -05 -२०१५ से बुध पछिम में बक्री होगया है तथा अस्थ भी है |जिस के कारण अचानक मौसम में बदलाव के संकेत है |अत इन दिनों तेज लू जो लोगो को जान लेवा हो सकती तथा तेज अधि एवं वरिश खंड वर्षा के पूरण योग है |इस मास में 05 मंगलबार होने के कारण इन प्राक्रतिक आपदा के कारण धन जन की हानिके साकेत है |अत मेरा अनुरोध है कि मौसम के मिजाज को परख कर ही निकला जाये |तथा बदलते मौसम से बचाव रखा जाये | -- कोहू न काहू क़र सुख दुःख दाता | निज कृत कर्म भोग फल पाता||   गरल सुधा रिपु करें  मिताई ,गोपद सिन्धु अनिल सितलाई . गरुण सुमेर रैन सम  ताहि ,राम कृपा कर चितवें जाहि  .. Pt.Shriniwas Sharma { devagya} Mo:9811352415                                                       http:// vedicastrologyandvaastu. blogspot.com/ www.aryanastrology.com Professional charges :Rs2100/ each kundli  evm 1100/ prshn evm marrige maching  Central bank a/c: SB no: CBIN0280314/3066728613 -- 

21 jun 20 se kam hoga korona sankmarn

२१ जून २०२०  को दिन रविवार को चूड़ामड़ी नामक सूर्य ग्रहण होगा | यह ग्रहण दो नक्षत्रो में होगा  आद्रा एवं मृगसरा इस में अद्रा नक्षत्र का स्वामी मंगल एवं आद्रा  का स्वामी राहु होने से विश्व में राजनैतिक स्थर बड़ा बदलाव संभव है | यह ग्रहण दिल्ली में 10. २२ से १३. ४८ तक होगा एवं १३। ४४  के बाद इस का ग्रास पुराण होगा | इस ग्रहण का ग्रास ९५/ होगा | ज्योतिष शास्त्र अनुसार जब जब चूड़ामड़ी ग्रहण होता है तब कुरुक्ष' हरिद्वार  इलाहबाद  बनारस में सूर्य उपसना  गंगा स्नान पूजा एवं दान का महत्व बढ़ जाता है | माना जाता है जब चुरामडी नामक सूर्य ग्रहण होता  है तो बड़े पैमान पर सरकारों का शंकट  बड़े पैमाने  बड़ जाता है | अत इस ग्रहण प्रभाव स्वरूप अमेरिका  चीन पाकिस्तान  में सरकार  तंत्र में ा जन आक्रोश के चलते परिवर्तन संभव है | इस के साथ  भारत देश के अंदर  भी कुछ प्रान्त  जैसे बंगाल  महाराष्ट  राजस्थान   एवं अन्य राज्यों में जन आक्रोश  एवं सरकार  के परिबर्तित होने की सम्भावना है  पाकस्थान में आंतरिक कलह के चलते  इमरान सरकार  की छवि अंतर् राष्टीय लेवल पर ख़राब होगी  एवं देश के विभाजन की सम्भावना बन सकती है  इ