Posts

Showing posts from April, 2010

वास्तू में पेरामिड का रेहास्य

वास्तू बसने की एक एसी कला है जिस के द्वारा मानब का चाहु मुखी विकाश संभब है वैसे वास्तू के दोसो को दूर करने के अनेक उपाय वास्तू बिदोने कहे है जिस में एक पिरामिड है पिरामिड अकरती में उर्जा एकर्तीत करने की एक अनोखी शक्ती है जो अपनी सकारात्मक उर्जा के द्वारा नकारात्मक उर्जा को दूर करता है इसी लिये प्राचीन काळ से ही वास्तू में पिरामिड का विशेष महत्य रहा है वैसे पिरामिड का जन्म मिस्र की शाभ्य्ता में सबसे पहले कहा गया है लेकीन इस का मतलब ये नही की भारतीय सभ्यता में इसका कोई महत्य नही है भारत की धार्मिक इमारते की उपरी अकरती जिसे बोल चल की भाषा में गुमद कहा जाता है एक प्रकार का चातुस्य कोनीयपिरामिड ही है जो हमे अध्यात्मिक सुख तथा सन्ति प्रदान करने बाला होता है वेसे किसी भी धार्मिक स्थळ चाहे वह मंदिर हो या मस्जिद या फिर चर्च या गुरुद्वारा सभी की उपरी अकरती गुमद अकरती का एक पिरामिड है पिरामिड का महत्य वास्तू में सबसे अधिक है क्योकि पिरामिड अकर्तीको कही भी वास्तू दोष युक्त जगह पर लागनेसे वास्तू दोष दूर होता है लेकीन निर्भर करता है की पिरामिड की आक्र्ती सयाज आदि क्या हो वास्त

भारत वर्ष के लिए प्राकृतिक आपदा मई २०१० में आ सकती है

भारत वर्ष के लिए प्राकृतिक आपदा मई २०१० में आ सकती है  २ मई   २०१० को मंगल अपनी राशी मिथुन को परवर्तित कर के कर्क में होगा तथा इसकी नवांश में स्थिति कुम्भ के नवांश में शनि एवं सूर्य के साथ होगी. मंगल का अपनी नीच राशी में आना तथा गुरु द्वारा दृष्टित ना होना भारत के हित में नहीं है क्यूँ की स्वतंत्र भारत की कुंडली में मंगल मार्ग स्थान का स्वामी है और मार्क भाव में बैठा हुआ है.इस कारण से अशुभता के और संकेत हैं. दूसरा कारण देश की चन्द्र कुंडली कर्क राशी से बनती है.जिस पर मंगल का गोचर है. कर्क राशी का स्वामी चंद्रमा जल का स्वामी है अतः २  मई २०१० को जब मंगल अपनी नीच राशी कर्क के साथ साथ कुम्भ के नवांश में शनि और सूर्य के साथ में गोचर करेगा और गुरु द्वारा दृष्ट नहीं होगा ऐसी स्थिति में देश के अंदर सैनिक एवं राजनैतिक समस्याएं उत्पन्न होने की संभावनाएं हैं. इसके साथ साथ जल से सम्बंधित प्राकृतिक आपदा जिसका सम्बन्ध भूमि से भी होगा उत्पन्न होगी और सरकार के लिए चिंता का विषय बनेगी. मंगल १३.५ से १९.५ तक कुम्भ के नवांश में ही रहेगा ऐसी स्थिति में बुद्धिजीवी वर्ग को सोच विचार क़र के कदम उठाने होंगे.ज