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Showing posts from May, 2011

मेष राशी में ग्रहगोचर : सरकार पर प्रभाव

मेष राशी में ग्रहगोचर : सरकार पर प्रभाव  इस समय बुद्ध ,शुक्र,मगल व् गुरु का गोचर मेष राशी में है जिसका स्वामी मंगल है नवांश में मंगल और शनि के बुद्ध के नवांश में स्थित होने के कारण तथा गुरु के मंगल के नवांश में होने से यह समय जनता के लिए कष्ट दाई तथा प्राकृत आपदा से युक्त सिद्ध हो सकता है जिसमें भूकंप आदि के झटके या सुनामी जैसी आपदा संभव है. अगर हम देश की कुंडली की बात करें तो देश की कुंडली में यह गोचर कुंडली के दसवें घर को जागृत करता है. जो केंद्र व राज्य सरकार की कार्य क्षेत्र कही जाती है .कुंडली का सप्तमेश शनि जो जनता के भाव को प्रकट करता है अपनें से नवं घर में है तथा मंगल के साथ बुद्ध के नवांश में है अर्थात इन दिनों केंद्र सरकार कीकुछ ख़राब नीतिओं के चलते देश के अन्दर आंतरिक कलह हो सकती है.जिसका कारण केंद्र सरकार का पूर्व इतिहास होगी. देश की कुंडली में वर्तमान समय में चलनें वाली दशा(१५ अगस्त २००९ से १५ अगस्त २०१५ तक) में अन्तर्दशा राहू जो ३ फ़रवरी २०११ तक रहेगा ही,तथा  गुरु का प्रत्यंतर  ११ अक्टूबर २०११ तक होने के कारण राजनीती में महिलाओं के बढते कदम संकट प्रदान करेंगे. अर्थात महिल

दत्तक पुत्र

दत्तक   पुत्र  संसार के हर प्राणी की इच्छा संतान उत्त्पन्न करने तथा उसका पालन पोषण कर बड़े  करने की होती है. जो इस सृष्टि के शुभ्रम्भ से ही चली आ रही है. लेकिन इसमें मनुष्य एक ऐसा प्राणी है की वो अपनी संतान को अपनें ही हाथों पाल पोस कर बड़ा करने की प्रबल इच्छा रखता है. हिन्दू दर्शन के अनुसार पुत्र को माता पिता के सुंदर कर्मों का फल माना गया है. जो वंश वृद्धि में सहायक होता है. इसीलिए मनुष्य की प्रबल इच्छा होती है की उस से उत्त्पन्न संतान में एक पुत्र हो.  ज्योतिष अनुसार संतान की उत्पत्ति मनुष्य के पूर्व जन्मों का फल है. अर्थात पूर्वजन्मों के कर्मों का फल संतान देने में सहायक सिद्ध होता है जब की मुर्ख जन उसे अपने मैथुनी कर्ण का प्रभाव और फल समझते हैं मैथुनी कर्ण ब्रह्मा की मैथुनी सृष्टि के अनुसार मनुष्य का स्वाभाविक कर्म बन गया है. लेकिन उसका साधन संतान या पुत्र उत्त्पति हो आवश्यक नहीं है. अगर कुंडली का पंचम और पंचमेश पाप प्रभाव में है.तथा संतान का कारक गुरु पीड़ित अवस्था में है तो मनुष्य को संतान का सुख मिलना असंभव होगा लेकिन अगर गुरु ही पीड़ित अवस्था में है और उसका पंचम और पंचमेश से स