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Showing posts from April, 2009

देवी अराधना और सफलता

देवी अराधना और सफलता हिंदू दर्शन के अनुसार इस सृष्टि का शुभारम्भ ब्रह्मा के द्बारा उत्पन्न मनु और सतरूपा के मैथुनिक कर्म के द्बारा हुआ। मनु एवं सतरूपा के नाम के पर्याय के कारण मानव जाती का नाम मनुष्य व मानव पडा। कहा जाता है की सृष्टि विस्तार को बढाने हेतु प्रजापति ब्रहमा ने अपने दायें अंग से पुरूष तथा बाएँ अंग से स्त्री पैदा की,जिसके कारण मैथुन कर्म के द्बारा उस नारी के गर्भ से सृष्टि का विस्तार हुआ। फलस्वरूप गर्भ में जीव को धारण करने के कारण उसका एक नाम स्त्री तथा नर के साथ जुड़ने के कारण नारी पड़ा। शास्त्रों के अनुसार गर्भ धारण कर सृष्टि के कार्य को आगे बढाने के कारण नारी का उद्देश्य नर से उंचा कहा गया है। इसीलिए इस नारी की समय समय पर देवी अम्बा लक्ष्मी रूपों में पूजा होती रही है दूसरा शास्त्र गत एक कारण और भी बताया गया है कि ब्रह्मा की सृष्टि में नारी परा एवं अपरा दोनों रूपों में नारी ही काम करती है ,परा रूप में प्रत्यक्ष होकर शारीरिक प्रदर्शन ,वाणी एवं सम्मोहन द्बारा संसार को भ्रमित कर मैथुन कर्म को प्रभावित कर सृष्टि विस्तार को आगे बढाती है । दुसरा रूप अपरा शक्

ईश्वरीय कृपा : जीवन सफलता

जीवन में सफलता के लिए इश्वारिए कृपा का होना आवश्यक है. चतुर मानव जीवन में मिलने वाली सफलताओं को मात्र अपने कर्म का फल ही मानता है और सर्वशक्तिमान प्रभु को भूल जाता है. सत्य तो यह है कि ईश्वरीय कृपा से ही मानव ऐसे सैट कर्म करता है जो सफल होते हैं अन्यथा अपने कर्मों के उद्देश्यों को लेकर भटकता ही रहता है. ज्योतिषीय मतानुसार भी ग्रह एवं दशाओं के माध्यम से जीवन में पनपनेवाली विषमता ईश्वरीय कृपा से एवं प्रार्थना से समता या अनुकूलता में बदल जाती है. इस लिए मानव को चाहिए विपरीत एवं प्रति कुल परिस्थितियों में सांसारिक विडंबनाओं को भूल कर विश्वास और लगन के साथ इश्वारिए प्रार्थना करे एवं उस प्रार्थना पर विश्वास करे .वैदिक शास्त्र एवं सभी पुराणों का मत है कि जीवन के हर क्षण पनपने वाली विषमता एवं ग्रहों कि प्रतिकूल परिस्थिति ईश्वरीय कृपा से अनुकूल बनती है फलस्वरूप जीवन में सरलता सुगमता और सफलता प्राप्त होती है इसीलिए मर्मग्य गोस्वामी तुलसीदास जी लोक हित के लिए एवं रावान के अत्याचार से मुक्ति हेतु पृथ्वी ,देवता ,ब्रह्मा ,शिव सभी से ईश्वर कि प्रार्थना करवाते हैं जिसका वर्णन राम चरित मानस के प्रथ