दुर्गा सप्त सती पाठ का महत्व





सप्तसती के माध्यम चरित्र के गुणगान से निर्धन भी बनता है धनवान
मार्कंडेयपुराण देवीसप्तसती में माँ भगवतीके तीन चरित्र है| प्रथमचरित्र जिसका एक अध्यायहै| अधत्मक कीदेवी महाकाली का है| यानिमाँ महाकाली जीव केअंदर संचारहोने बाली अधयातकशक्ति है जोसांसारिक बन्धनोंको काट कर भवसागर से पार करती है| दूसराचरित्र महा लक्ष्मीका है जो धनकी देवी है एवंगुणोंकाभंडारहै कुछलोग धनकोही लक्ष्मी मानतेहै जबकी एसा नहींहै| यानिलक्ष्मी गुणों लक्षणों को कहाजाताहै| अत माध्यमचरित्र हमें अन्य शिखने तथा ईश्वरीयशक्तिपर भरोषा कर संसारकेदुखोकोदूर करने कीप्रेनादेताहै|
दुर्गासप्तसतीमेंअंतिम चरित्र उतम चरित्र है यहचरित्र शिक्षाकीदेवी सरस्वतीकाहै|शिक्षा जीवनकासबसेउतमधनहै जिसे संस्कारकान्हाजाताहै यानिदेवीकेमाध्यमचरित्रएवंउतमचरित्रका तात्पर्य एक ही है| शिखना अध्यनकरना वैसे यहसम्पुरणशास्त्र शिखने ग्रहणकरनेकीशिखादेताहै|तथातीनोचारित्रिकशिक्षा लोकिकनहीं अलोकिकहै|वसअंतरकेबलइतनाहै की प्रथमचरित्र प्रतक्ष है अन्य दोचरित्र अप्रतिक्ष है अत दुर्गासप्तसतीका प्रतिदिन पाठ करनेसेदेवीकीक्रपारुपीशक्ति हरहाल में प्रतक्षरूपसे मनाबकेअंदर कार्यकरतीहै| वैसेभी दुर्गा वहबल है जोसंसारमें कठिनसेकठिनकाम कोभीसरलबनतीहै|आयो क्रपामयी भगवतीका गुणगान कर उनकीक्रपाप्राप्तकरे एवंमनाबजीवनका उद्देश्य सफल बनाये |
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मंगल भवन  अमंगल  हारी, द्र्वयु सो  दशरथ  अजर बिहारी |
दीन दयाल  विरद  सम भारी,   हरयो  नाथ  मम शंकट भारी .||.
Pt.Shriniwas Sharma
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