पूरब जन्मो के कर्मो के आधार पर तैय होता है जन्म समय एवं जीवन के सुख दुःख






जीवन में सफलता असफलता अछी संतान अच्छे माता पिता पत्नी या अन्य सबंधी इन सभी में बहुत कुछ आपके पूरब जन्मो के कर्मो के भोगो पर निर्भर है |इतना ही आपका जन्म समय  जिस से सारी जीवन व्यवस्था उतार चढ़ाव सभी पूरब जन्म के कर्मो के फल अनुसार कहे गए है |जो समाज में स्पष्ट रूप से दिखलाई देता है जो इस प्रकार है -मान लीजिये एक शहर में एक दिन दो बच्चो का जन्म हुआ एक रहिस परिवार मिला जिस से माकन वहन का आनन्द जन्म समय के बाद ही मिल गया एवं माता पिता द्वरा लाखो रूपये उस के दशोटनमें लगा दिए गये जब की नब जातशिशु द्वरा कोई कार्य ही नहीं किया गया |
दुसरे बच्चे का जन्म फुट पातपर या रेलवे स्टेशन पर हूआ एक भिकारी के घर न रहने का सहारा न खाने को भोजन |
इस के साथ साथ रहिस परिवार में पैदा बच्चे को लाखो रूपये के उपहार बिना बच्चे के मांगे दिए गए ये सभी उस के पूरब जन्म के शुभ कर्मो के फल थे |
गरीब परिवार में पैदा बच्चे की माँ दवा के लिए भीक मांगती है जिसे भीक में दवा हेतु पुरे पैसे नहीं मिलते है |अगर गंभीरता से बिचार किया जाये तो इन दोनों बच्चो द्वरा कोई शुभ या अशुभ कर्म नहीं किया गया है |बस इतना है उन्हें अपने पूरब जन्म के कर्मो के बल पर ये सभी शुख दुःख प्राप्त है |इसे ही भाग्य कहते है |मेरा यह स्पष्ट मान ना है कि व्यक्ति चाहे कितनी ही चतुराई से कार्य करे लेकिन कर्म गति से कोई नहीं बच सकता है |कर्मो के फलो के अनुसार जीवन में वह इश्वर क्रपा पाकर सहज तो कर सकता है लेकिन बदल नहीं सकता है |ज्योतिष आपके जन्म के समय से म्रत्यु का समय निश्चित करती है |लोगो का एसा मान न के मनुष्य का जन्म परिवार माता पिता इस की इच्छा पर मिलते है  एक दमगलत है |उसका जन्म समय पिता माता पत्नी संतान सभी सुख उस के पूरब जन्म के कर्म फल पर निर्भर करता है |इस में कोई संदेह नहीं है |मेरा ज्योत्शीय आधार पर मत है  जिसे मै स्वीकार करता हूँ |
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कोहू न काहू क़र सुख दुःख दाता |निज कृत कर्म भोग फल पाता||  
गरल सुधा रिपु करें  मिताई ,गोपद सिन्धु अनिल सितलाई .
गरुण सुमेर रैन सम  ताहि ,राम कृपा कर चितवें जाहि  ..
Pt.Shriniwas Sharma
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