वर्तमान जीवन को सफल एवं असफल बनाते पूरब जन्म के कर्म


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From: Shriniwas Sharma 
Date: 2015-08-01 18:56 GMT+05:30
Subject: पूरब जन्म के कर्मो के आधार पर वर्तमान समय की सफलता एवं असफलता
To: shriniwas sharma



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मानस का कर्म पर पूरण अधिकार है |कर्म के माध्यम से ही मानब को सफलता मिलती है |लेकिन कर्म ही उस के जीवन में जंजाल भी बन जाते है |स्वतिक प्रवर्ती से किया गया कर्म स्वतिक फल देता है एवं अशुभ प्रवर्ती से किया गया कर्म अशुभ् फल दाई होता है |लेकिन केई बार शुभ कर्मो के फल अशुभ एवं बुरी मानसिकता या अशुभ कर्मो के फल शुभ देखे गये |केई बार परोपकार भाव से किये गये कर्मो को सजा में तबदीलहोते देखा है |केई बार अशुभ कर्मो से किया कर्मो को सफल होते देखा है |इस के अनेक उदाहरण जीवन में मिलते है |लेकिन इन सभी के पीछे पूरब जन्म के संचित शुभ एवं अशुभ कर्म कार्य करते है |पूरब जन्म में किये गए पाप कर्म हमारे इस कर्म की शुभता ख़तम कर देते है एवं पूरब जन्म में पुन्य कर्म पाप कर्मो का पाप प्रभाव कम करते है |यही कारण है केई बार मानब के समझ में नहीं अता क्या ठीक है क्या गलत है ?क्या करना चाहिए क्या नहीं करना चाहिए |
ज्योतिष पूरब जन्म के कर्मो के आधार पर दो प्रकार की कुंडलियो को मानता है जिन को पूरब जन्म में पापकर्म द्वरा दर्शया जाता है उन्हें शापित कुंडली कहते है |जिस की विवेचना पंचम भाव में स्थित कुंडली में ग्रहों के आधार पर किया जाता है |अगर पंचम घर एवं पंचमेश में शुभ प्रभाव में है तो माना जाता है जातक द्वरा पूरब जन्म में पुन्य कर्म किये है |यह कर्म ही जातक के सफलता एवं असफलता का आधार बनता है |इन सभी प्रस्थतियोमें चर्चा करते हूए मुझे सूरदास जी का एक पद उस समय का याद आरही है जब उद्धव जी गोपिया ब्रज यात्रा के समय कहती है -
उद्धव कर्मो की गत न्यारी 
मुर्ख राज राज अधिकारी ,ज्ञानी बने भीकारी |
सुंदर नारी पुत्र को तरसे , फुगरजन जन हरी ||
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कोहू न काहू क़र सुख दुःख दाता |निज कृत कर्म भोग फल पाता||  
गरल सुधा रिपु करें  मिताई ,गोपद सिन्धु अनिल सितलाई .
गरुण सुमेर रैन सम  ताहि ,राम कृपा कर चितवें जाहि  ..
Pt.Shriniwas Sharma
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