प्रतिशोध की प्रबल इछ्यो के कारण कारण शारीर {पुनर जन्मसिधांत ]


---------- Forwarded message ----------
From: Shriniwas Sharma 
Date: 2015-07-29 19:06 GMT+05:30
Subject: कारण सरीर सिधांत
To: shriniwas sharma




प्रबल इछायो के कारण कारण शारीर 
जब इस श्रष्टि के किसी भी जीब की म्रत्यु होती है तो जीव के मन की इच्छा आत्मा यो के साथ ही चली जाति है एसा हमारे दर्शन शास्त्रों का मानना है यही कारण है जीवन में अशांति द्वेष  बसना अदि सभी निर्वाण कार्यो में बाधा पैदा कर जीव को पुनर जन्म में धकेल देता है |क्योकि मन की अशांति एवं परवल इच्छा ही पुनर जन्म का साधन बनती है |अगर किसी मनाब का मन प्रतिशोध के कारण मन अशांत है |तो उसकी आत्मा कारण सरीर धारण कर अपने प्रति शोध को पूरण करता है जिसे भूत प्रेत की योनी माना जाता है |यह अशांत मन प्रतिशोध की भाबनायोको लेकर इधर उधर भटक कर अपना प्रतिशोध पूरण करता है |तथा उस मानब को बाधा पहुचता है जिस से उस का प्रतिशोध है तथा केई बार उसकी म्रत्यु का कारण भी बन जाता है |इसी को ज्योतिष में ऋण आदि बंधन माना जाता है |
ज्योतिष पुनर जन्म सिधांत को केवल मान ती नहीं यधपि उस के परिणामो को भी सत्यापित करती है |किसी कुंडली के 12 भावो में पंचम भाव परब जन्म में किये गए कर्मो को दर्शता है तथा नोवा भाव भविष्य के कर्मो को दर्शाता है |यही कारण है कि प्रेम विवहा एवं संतान अदि के विषय में पूरब जन्म के कर्मो की अहम भूमका होती है |जीवन में अछी शिक्षा  अछी संतान प्रेम विवहा में सफलता असफलता  अच्छे विचार इस के अलाबा जीवन के वह कर्म जो वह  करता नहीं लेकिन भोगता अबश्य है |इस श्रष्टि में हर जीव को अपने कर्मो का फल आगे पीछे भागना पड़ता है यह स्रष्टि का सिधांत है |चाहे उस की पूर्ति कारण सरीर के द्वरा हो या पुनर जन्म के द्वरा लेकिन कर्म फल हर जीव को भोगने पड़ेगे |
संत कबीर दास जी ने मानब मन की दशा के बारे में वर रन किया है जो इस प्रकार है -  माया मरी ना मन मरे ,मर मर गए शारीर |
              आशा ,त्रष्णा नहीं मारी ,कह गए दास कबीर || यानि म्रत्यु केवल शारीर को नष्ट करती है  जीव के मन के भाव आशा त्रष्णा सभी साथ जाते है जो कारण सरीर या पुनर जन्म का कारण बनता है |इस में कोई संदेह नहीं है 

--
कोहू न काहू क़र सुख दुःख दाता |निज कृत कर्म भोग फल पाता||  
गरल सुधा रिपु करें  मिताई ,गोपद सिन्धु अनिल सितलाई .
गरुण सुमेर रैन सम  ताहि ,राम कृपा कर चितवें जाहि  ..
Pt.Shriniwas Sharma
Mo:9811352415                                                      
http://vedicastrologyandvaastu.blogspot.com/
www.aryanastrology.com
Professional charges :Rs1100/Patri,...Prashan  Rs 500
Central bank a/c: SB no: CBIN0280314/3066728613




Comments

Popular posts from this blog

विवाहिक बिलब को दूर करता है जानकी मंगल या पारवती मंगल का पाठ

दत्तक पुत्र

uch nivas nich kartuti