Posts

Showing posts from November, 2014

mans marm

Image
मानस का प्रभावशाली पात्ररावण जिसे हिदू समाज दसहरा बाले दिन एक बुराई के रूप में जलता है तथा भगवन श्री राम की जैय धोश करता है  उस रावण के दलबल के बारे में चर्चा करे तो प्रतापी रावण बीस भूजयो बाला था यानि उस का बल इतना अधीक था की शास्त्रों ने उसे बीस भुजयो द्वरा पकटकिया है |इस के साथ साथ दश शीशो द्वरा उस के विवेक का प्रतीक माना जाता है |यानि रावण बल शाली तथा वुधमान माना जाता है रावण के बारें में हिदी साहितिक कवि मैथली शरण गुप्त ne लिखा है की रावण इतना बलवान था कि  ब्रह्मा सो वैद पड़े जाकेद्वारे ,महामीच दासी सदा पैर धोये  यानि बल शैली रावण इतना प्रभवशाली था लवेकिन इस संशार में बुराई का कारण बना  तथा मर्यदा पुसोत्तम भगवन श्रीराम के हाथो मारा गया ।कवि मैथलीशरण के अनुसार विदवान रावण पैरो को सदा मृत्यु धोती थी जो काल समय दुनिया को खता है वह उस के चरणो में था लेकिन रावण अभागा होगया और समय को बस में रखने बाला होकर समय के हाथो मारा गया इतना ही नहीं सीता की शीत लहर गण गण लंका में ऐसी चली कि जल कर राख हो गयी तह दशानन रावण जिसे दसो दशयो का ज्ञान था दशा विहीन हुआ तथा पुत्र पौत्र सभी का नास कराकर

uch nivas nich kartuti

Image
 उच निवास नीच करतूती |  देख न सकए परायी बिभूति | आज देश में चल रहे राजनेतिक प्रभाव जिस में सभी को अपना पद लाभ दिख लायी दे रहा बहलेही वह कोई भी दलहो प्रत दिन जनता के हितो की दुहाई देते हो लेकिन हकीकत यह की सभी राजनेताओ को अपने ही हितो की चिन्ता है |आज तक सभी राजनेताओ को भले ही जनता के हितो की दुहाई देते हो लेकिन यथार्थ यह है जनता के हितो की इस प्रकार की सपने में चिन्ता नहीं देखी गयी है जिस में अपना स्वार्थ न हो यह इतहास स्वतंत्र भारत का आज तक रहा है यही कारण हर राजनेतिक दलमें दल बदल टिकटअदि के झगरे हर साल देखे जाते है एसी स्थति में जहाँ अपना स्वार्थ इतना प्रबल हो जन हित का प्रश्न ही नहीं उठता है और रजोगुण में स्वार्थ न हो एसा संभव नहीं है ये परम्परा पुराणिक है इसे देख मुझे राम के बनोवास कालकी वह बात याद आती है जहाँ राम के राज तिलक की तयारी जोरो पर नगर के चौहराएसजे हूए है नित प्रत पूजन अदि हो रहे है जिसे देख देवो को चिन्ता है की अगर राम को राज्य हो गया तो हमारा क्या होगा  रावणका वध कैसे होगा ?अपने स्वर्थ को लेकर देवो नेमाँ सरवती का सहारा लिया लिया जिस पर माँ सरसती ने देवो के इस

jyotish men pub janm sanskar

Image
ज्योतिष एक एसी विधा है जो मानब के कर्मो के फल को प्रबल मान्यता देती है मानस मर्मग्य गोस्वामी जी ne तो इतना तक लिख दिया है तथा ये चोपाई भगवान श्री राम के मुख से कहलवाई है जो इस प्रकार है - कर्म प्रधान विश्व रच राखा | जो जस करय , तस फल चाखा || हंस बोले रघुवंस कुमारा |    विधि के  लिखे को  मटन  हरा  || -- यानि इस संसार में सुख और दुःख का हेतु जीव के कर्म है ज्योतिष भी पूर्व जन्म के मान्यता देती है तथा आगामी जन्म को भी मानती है कुंडली का पंचम भाव जातक के पूरब जन्म को दर्शाता है जिस के परिणाम दशा अनुसार जीव इस जन्म में भोगता है अगर पंचम भाव पर अशुभ प्रभाव हो तो उस कुंडली को शापित [अभिशाप] बालीकुंडली माना जाता है जिसे ज्योतिष में ऋण अदि बंधन के नाम से भी जाना जाता है यानि जातक के वर्तमान जीवन की सफलता काफी हद तक उसके पुबजन्मके कर्मो पर निभर करती है |इस जीवन में प्रणय सब्न्धो की सफलता असफलता  अछी संतान ,शिक्षा अच्छा ज्ञान  हानी लाभ जीवन और मरणकी व्यवस्था काफी हद तक जातक के पूबजन्म के शुभ अवं अशुभ कर्मो पर निहित होती है | इस संसार में प्रतेक मानब अपने कर्म के बल पर जीवन में अछी सफलत

jyotish kee prmarkta

Image
हमारे शास्त्रों में ज्योतिष को वेदों की आंख माना गया है वेदों के सवालाख श्लोको में से दश हजर ज्योतिष के है ज्योतिष समय का विज्ञानं है |जिस की प्रमरिकता काल समय है |ज्योतिष समय की एसी गरिना है जो पल पल का अंतर स्थानीय आधार पर करती है |यानि ज्योतिष वह विज्ञानं है जो ये सिद्ध करती है कि प्रक्रति एक पल में एक स्थान पर एक अधुवुध वस्तु पैदा करती है |पल जितनी देरमें मानव पलक झपकत है |हमारे शास्त्रों कें अनुसार इस स्रष्टि में चार हजार प्रकार के मानव पाए जाते है तथा दश हजार प्रकार के व्रक्ष है इस के साथ जलचर  पशु  पक्षी सभी को मिलालिया जाय तो कुल ८४ प्रकार बनते है जिनका वरण हमारे शास्त्रों में है  इन सभी पर ब्रह्मांड में दिख लायी देने बाले ग्रहों का पड़ता है |लेकिन इन सभी में मानब की प्रवर्ती भिन्न है |मनाब इस सभी प्रकार के जीवो में सभी से अधीक जागृत है | इस लिए मानब अपने शारीरक एवं मानसिक सुवधा हेतु अनेक प्रकार के ज्ञान एवं विज्ञानं का सहारा लेता है जिस में ज्योतिष सबसे अधीक महत्व पूरण है क्योकी इस श्रस्ती में समय स्वतंत्र रूप से कार्य करता है तथा सबसे अधीक शक्त्सली साली है जो पल पल में बदल

ramchart mans maram

हिदुओ के पावन सद्ग्रंथो में से रामचरित मानस एक है \रामचरित मानस की पावन कथा जीव के सभी पापो से मुक्त के एक जीवन जीने की कला शिखलाती है माता पिता के प्रति एक पुत्र का क्या कर्तव्य है भृतप्रेम क्या होता है उस की शिक्षा भारत जैसे पावन चरित्र को पढने से खूब मिलती है |पति का पत्नी तथा पत्नी का पति के प्रति क्या कर्तव्य है राम वनवास तथा सुंदर कांड तक सभी गाथाएं व्र्रणकरती है |सेवक का अपने स्वमी राष्ट के प्रति क्या कर्तव्य है उसकी कथा महाराज दशरथ के सचिव सुमंत्र की जीवन गाथासे खूब शीखने को मिलती है |इस दुनियां में लोग उपदेश करते हूए मंदिरों में पूजा करते तथा तीर्थ करते खूब देखे गए है लेकिन जहाँ आचरण की बात आती है तो अधिकतर थोते नजर आते है मानस के अनुसर मानब का सत्य के सामान कोई दूसरा धर्म नहीं है लेकिन लोग पल पल पर झूट बोलते दुसरे को धोका देते है और इसे अपनी चतुराई मानते है |जब तक मानब मन कर्म वचन से मानस रुपी सरोवर में स्नान नहीं करेगा तब तक उद्धार नहीं हो सकता है |आज राज नैतायोको जनता के हितो की कोई चिन्ता नहीं राजनेता तथा अधिकारी सभी मन मानी कर देश को लुटने में लगे है |किसी को विधि की

SHUKR SHANI KEE YUTI

Image
दिनांक 12 -१० २०१४ से शुक्र वरशिक राशी में शनि के साथ है शनि का शुक्र के साथ एक साथ गोचर समाज में संदेह पैदा करेगा शनि एवं शुक्रसुख का  कारक माना जाता है शनि के साथ युति होने के कारण सुख में कमी आएगी दूसरा समाज में पैसा अनाबस्क रूप से अब्सक विहीन कार्यो में खर्च होगा इस के साथ साथ महला पुरुषो में योनसंबंधो से सबंधित बीमारी पैदा होगी अश्लील कार्यो में समाज का धन खर्च होगा लोग मिथ्याचारी होगें |इसी लिए समाज के सभ्रांत लोगो को चाहिए की खर्चा करते समय साबधानीरखे एवं उत्पन्न बीमारियों से बचें |शनि शुक्र की युती धार्मिक प्रवर्तियाछीन करती है इस लिए धार्मिक अभरुचीबढाई जाये |शनि शुक्र की युति बाजार में बनने बली वस्तु चीक्नाहित आदि बीमारी पैदा होगी अत तली हूई वस्तु बीमारी पैदा करेगी जिस से पेटगले के बिकार होना संभव है अत इन से बचा जाये |जिन जातको के सप्तम घर या द्वतीय भाव में राहू है उन्हें सब्धानी रखने की अति अबसकता है अन्यथा मोसमी बीमारी फूड पोयजन सम्बन्धी बीमारी संभव है | इस के साथ साथ शुक जिन जातको का नीच राशी या नीच नवश में है या सूर्य मंगल के साथ पाप प्रभाव में है उनेह सब्धानी रखने की

karuna nidhan bhagwan

Image
> जिसे हमारे वैद नीति नीति कहते है तथा उसका पार नहीं पते जिस के भो के इशारे पर संसार नाच उठता है वह भगवन कितने करुना निधान है इस का मर्म जानना भी भक्त के लिए बड़ा कठिन है भगवन अपने भक्त की इस प्रकार रक्षा करते है जेसे माँ अपने बच्चे को पलती है इस में कोई संदेह नहीं है |इस संसार में भगवन अपने भक्त हेतु अनेक लीलाए करते है |भगवन श्री राम की करुणा मई पावन कथा मुझे स्मरण हो रही है जिसे में आप सभी मर्मग्य भक्तो के सामने इस अस्यसे प्रकट कर रहा हूँ | मेरी गलती क्षमा कर प्रेम अनुराग की और बढे  जब राम का राज्य अभिषेक हो गया था रघुकुल नंदन रघुकुल की मर्यादा अनुसार अपने छोटे भाईयो तथा भक्तो को उपहार बाँट रहे थे |प्रभु नेप्रभु कुछ लेने को तैयार नहीं थी लेकिन प्रभु उन्हें  सभी को उनकी इच्छा अनुसार उपहार दिया सभी बहुत खुस थे |जब बारी शत्रुहन पत्नी श्रुति की आई तब बह वह प्रभु से कुछ लेने को तैयार नहीं थी लेकिन प्रभु प्रेम वस् अबस्य कुछ देना चाहते थे |प्रभु के बार बार हट करने कर बाद श्रुति ने भगवन श्रीराम से ये बचन लिया कि जो वह मागेगी वाही प्रभु उसे देंगे भगवन श्रीराम ने मांग अनुसार सब कुछ देने

bhagwan sriram ke do lal bhart lal tatha hanumat lal

Image
भगवान् श्री राम करुना तथा मर्यादा के अबतार कहें जातें है |गोस्वामी तुलसी दास जी हनुमत लाल एवं भारत लाल को मानस का पावन चरित्र माना है यदपि मानस के सभी चरित्र अपने में अद्भुद शक्ति रखते है |चाहे वह रावन के असुर समूह हो या रामा दलतथा राम सहित सभी रघुकुल बासी तथा श्री राम की लीला में सहोग करने बाले ऋषि मुनि बानर पक्षी भील निषाद सभी चरित्र महान है इस सभी पर राम अनुपम क्रपा है | इस के साथ साथ मानस के अंदर दो चरित्र एसे है जिन की क्रपा के राम स्वम् भगवान् होकर भी अधीन है |ये देखा गाया है की भगवान श्री राम पर जब भी शक्त रहा उन्होंने जिन पावन चरित्रों को याद किया उन में प्रथम नाम भारत लाल का आता है तो दूसरा नाम हनुमत लाल का अता है ये दोनों भगवन श्री राम को प्राणों से अधिक प्रिय है दूसरी और हनुमत लाल एवं भारत लाल से प्रभु बिरक्त नहीं है जिस का वरन जगह जगह मिलता है कुछ संतो का मत है भगवान् श्री राम जब बाल लीलाए करते थे तो खलते समय भारत लाल जी से जानकर भक्त मान बढाईहेतु हार जाते थे |इतना ही नहीं जब प्राण प्यारे भारत लाल सभी नगर बासीएवं माँ कैकयी के साथ प्रभु को मानाने जा रहे थे मिली सुचना के