karuna nidhan bhagwan

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जिसे हमारे वैद नीति नीति कहते है तथा उसका पार नहीं पते जिस के भो के इशारे पर संसार नाच उठता है वह भगवन कितने करुना निधान है इस का मर्म जानना भी भक्त के लिए बड़ा कठिन है भगवन अपने भक्त की इस प्रकार रक्षा करते है जेसे माँ अपने बच्चे को पलती है इस में कोई संदेह नहीं है |इस संसार में भगवन अपने भक्त हेतु अनेक लीलाए करते है |भगवन श्री राम की करुणा मई पावन कथा मुझे स्मरण हो रही है जिसे में आप सभी मर्मग्य भक्तो के सामने इस अस्यसे प्रकट कर रहा हूँ | मेरी गलती क्षमा कर प्रेम अनुराग की और बढे 
जब राम का राज्य अभिषेक हो गया था रघुकुल नंदन रघुकुल की मर्यादा अनुसार अपने छोटे भाईयो तथा भक्तो को उपहार बाँट रहे थे |प्रभु नेप्रभु कुछ लेने को तैयार नहीं थी लेकिन प्रभु उन्हें  सभी को उनकी इच्छा अनुसार उपहार दिया सभी बहुत खुस थे |जब बारी शत्रुहन पत्नी श्रुति की आई तब बह वह प्रभु से कुछ लेने को तैयार नहीं थी लेकिन प्रभु प्रेम वस् अबस्य कुछ देना चाहते थे |प्रभु के बार बार हट करने कर बाद श्रुति ने भगवन श्रीराम से ये बचन लिया कि जो वह मागेगी वाही प्रभु उसे देंगे भगवन श्रीराम ने मांग अनुसार सब कुछ देने को कहा तब श्रुति ने हाथ जोड़ बंदन करते हूए कहा कि हे करुणा निधान अगर आप मुझ पर प्रशन्न है और मुझे कुछ देना ही चाहते है तो मेरी मांग अनुसार मुझे वह बनवासी वस्त्र प्रदान करें जो बन जाते समय कैकयी नेआप को दिए थे |ये सुन सभी सभा में बैठे लोग चोक गए तथा भगवन श्रीराम पेम बसरो पड़ें और कहने लगे आप ने क्या माँगा तथा क्यों माँगा |इस पर श्रीति ने उत्तर दिया कि प्रभु जो कैकयी श्रीराम को बनवास दें सकती वह हमें भी निकाल सकती है अगर हमें बनवासी बस्त्रपहनने की आदत रहेगी तो इस संसार को छोड़ जाने में कोई आसक्ति नहीं होगी नहीं सुखो के प्रति लगाव होगा नहीं भोगो की इच्छा होगी |इसी लिए मुझे इ वस्त्रो से बड़ा कोई बरदान नहीं लगता है |है करूँ निधान मेरी मांग पूरी करिए एसा कह वह भगवन क चरणों में गिर पड़ी सभी सभासद श्रुति की प्रार्थना सुन कर दांग रह गए |

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कोहू न काहू क़र सुख दुःख दाता |निज कृत कर्म भोग फल पाता||  
गरल सुधा रिपु करें  मिताई ,गोपद सिन्धु अनिल सितलाई .
गरुण सुमेर रैन सम  ताहि ,राम कृपा कर चितवें जाहि  ..
Pt.Shriniwas Sharma
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