bhagwan sriram ke do lal bhart lal tatha hanumat lal




भगवान् श्री राम करुना तथा मर्यादा के अबतार कहें जातें है |गोस्वामी तुलसी दास जी हनुमत लाल एवं भारत लाल को मानस का पावन चरित्र माना है यदपि मानस के सभी चरित्र अपने में अद्भुद शक्ति रखते है |चाहे वह रावन के असुर समूह हो या रामा दलतथा राम सहित सभी रघुकुल बासी तथा श्री राम की लीला में सहोग करने बाले ऋषि मुनि बानर पक्षी भील निषाद सभी चरित्र महान है इस सभी पर राम अनुपम क्रपा है |
इस के साथ साथ मानस के अंदर दो चरित्र एसे है जिन की क्रपा के राम स्वम् भगवान् होकर भी अधीन है |ये देखा गाया है की भगवान श्री राम पर जब भी शक्त रहा उन्होंने जिन पावन चरित्रों को याद किया उन में प्रथम नाम भारत लाल का आता है तो दूसरा नाम हनुमत लाल का अता है ये दोनों भगवन श्री राम को प्राणों से अधिक प्रिय है दूसरी और हनुमत लाल एवं भारत लाल से प्रभु बिरक्त नहीं है जिस का वरन जगह जगह मिलता है कुछ संतो का मत है भगवान् श्री राम जब बाल लीलाए करते थे तो खलते समय भारत लाल जी से जानकर भक्त मान बढाईहेतु हार जाते थे |इतना ही नहीं जब प्राण प्यारे भारत लाल सभी नगर बासीएवं माँ कैकयी के साथ प्रभु को मानाने जा रहे थे मिली सुचना के आधार पर  भारत लाल जी से आशय लगाया जा रहा था की भारत लाल श्री राम जी का बध करने आ रहे है तथा लखन मुकबला करने को तैयार हो गए थे इस भगवन श्री राम नेप्यारे लखन को समझाया की भारत मेरा बध नहीं कर सकता है क्योकि वह मुझे वहुत प्यार करता है |अगर वह बदल गाया है मुझ सबंध नहीं रखना चाहता है तो भी में उस से युध नहीं करूँगा अब आप ही बिचार करो की भारत का मुकबला कैसे करोगे |यधपि सारा संसार जनता है की भारत राम जी को मानाने आये थे |
एक बात और मुझे याद आती है जो भगवान् श्री राम की भक्त के प्रति प्रेम और बढ़ाती है जिस का में सक्षेप में वरनकर रहा हूँ |एक बार देव ऋषि नारद श्री राम की राजधानी अयोध्या आये प्रभु नेसम्मान दिया तथा उचित आसनपर बैठायातथा नारद जी से पधारने का कारण पूछा तब नारद बोले प्रभु आपका सबसे बड़ा भक्त कौन है ?भगवान् नेउत्तर दिया   नारद  नारद जीने आगे पूछा दूसरा नम्बर किस का है   भगवान् ने बताया  लक्ष्मण  नारद जी बड़े खुस थे की भारत लाल एवं हनुमत लाल का किसी खाते में नाम नहीं है |इतना ही नहीं देव ऋषि ये सब बतलाने के लिए भारत लाल तथा हनुमत लाल के पास बारी बारी  से गए  |तब हनुमत लाल जी नेत तंग होकर कहाँ कहाँ की आप को गलती लगी है भगवन श्री राम जी के पास एक गुप्त खता है जिस में वह अपने प्रय भक्तो का हिसाब रखते है ये सुन कर नारद जी चोक गए तथा राम दरवार में बापिस आ गए तथा भगवन श्री राम को सकल बात कही तथा दूसरा गुप्त खाते की मांग करी भगवान् श्री राम बात समझ गए तथा उन्होंने नारद जी का अभिमान तोड़ ने के लिए गुप्त खाते का नाम दिखा दिए जिस में पहला नाम था भारत लाल एवं दूसरा नाम हनुमत लाल नारद जी नेअपना नाम न होने का कारण पूछा तब भगवान् श्रीराम जी ने उत्तर दिया की पहले खाते में वह नाम है जो मेरी भक्ति करते है तथा दुसरे खाते में वह नाम है जिन की में भक्ति करता हूँ अर्थात जो मेरे अधीन है उनका खता पहला है जिस में पहला नाम नारद है दूसरा लक्ष्मण है |लेकिन जिन के में अधीन हूँ उन में पहला नाम भारत लाल दूसरा नाम नारद है |
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कोहू न काहू क़र सुख दुःख दाता |निज कृत कर्म भोग फल पाता||  
गरल सुधा रिपु करें  मिताई ,गोपद सिन्धु अनिल सितलाई .
गरुण सुमेर रैन सम  ताहि ,राम कृपा कर चितवें जाहि  ..
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