ramchart mans maram




हिदुओ के पावन सद्ग्रंथो में से रामचरित मानस एक है \रामचरित मानस की पावन कथा जीव के सभी पापो से मुक्त के एक जीवन जीने की कला शिखलाती है माता पिता के प्रति एक पुत्र का क्या कर्तव्य है भृतप्रेम क्या होता है उस की शिक्षा भारत जैसे पावन चरित्र को पढने से खूब मिलती है |पति का पत्नी तथा पत्नी का पति के प्रति क्या कर्तव्य है राम वनवास तथा सुंदर कांड तक सभी गाथाएं व्र्रणकरती है |सेवक का अपने स्वमी राष्ट के प्रति क्या कर्तव्य है उसकी कथा महाराज दशरथ के सचिव सुमंत्र की जीवन गाथासे खूब शीखने को मिलती है |इस दुनियां में लोग उपदेश करते हूए मंदिरों में पूजा करते तथा तीर्थ करते खूब देखे गए है लेकिन जहाँ आचरण की बात आती है तो अधिकतर थोते नजर आते है मानस के अनुसर मानब का सत्य के सामान कोई दूसरा धर्म नहीं है लेकिन लोग पल पल पर झूट बोलते दुसरे को धोका देते है और इसे अपनी चतुराई मानते है |जब तक मानब मन कर्म वचन से मानस रुपी सरोवर में स्नान नहीं करेगा तब तक उद्धार नहीं हो सकता है |आज राज नैतायोको जनता के हितो की कोई चिन्ता नहीं राजनेता तथा अधिकारी सभी मन मानी कर देश को लुटने में लगे है |किसी को विधि की व्यवस्था की न कोई जानकारी है नहीं उस से कोई भय है |आज का मानब अपने स्वार्थ के चलते विधि के विधान को परिवर्तित कर जीवन जीना चाहता है तथा प्रुभता अभिमानी के बसी भुत होकर विधि के विधान को बदल कर सुख भोगना चाहता है |जब की ये प्रमाणिक है कि इश्वर इच्छा के विरुद्ध जीव को सपने भी सुख नहीं होता है |इस लिए जीवो परमात्मा के बनाये नियमों का पालन कर दुःख सुख हानी लाभ ग्रहण करते हूई जीवन यापन करना चाहिए |मनाब को चाहिए परमात्मा के बनाये नियमो को निज स्वार्थ के कारण नहीं परमार्थ के कारण अपनाना चाहिए |हमारे दर्शन शास्त्र के अनुसर मनाब पर तीन प्रकार के ऋण है १-इश्यरियऋण   02मात पिता का ऋण ०३ राष्टीय ऋण या समाज का ऋण  इन सभी को पूरण तय निबहाना चाहिए 

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कोहू न काहू क़र सुख दुःख दाता |निज कृत कर्म भोग फल पाता||  
गरल सुधा रिपु करें  मिताई ,गोपद सिन्धु अनिल सितलाई .
गरुण सुमेर रैन सम  ताहि ,राम कृपा कर चितवें जाहि  ..
Pt.Shriniwas Sharma
Mo:9811352415                                      

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