बराक हुसैन ओबामा : जन्म कुंडली विश्लेषण

बराक हुसैन ओबामा : जन्म कुंडली विश्लेषण
वर्तमान समय में श्री ओबामा अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गये हैं.उनका जन्म प्राप्त जानकारी के अनुसार ४अगस्त १९६१ सायंकाल ७बज्कर २४ मिनट पर होनोलूलू शहर में हुआ था। जिसका ज्योतिषीय विश्लेषण इस प्रकार है। हिंदू दर्शन के अनुसार ज्योतिष पूर्व जन्म के सिद्धांत व कर्मों पर भी निर्भर है। जिसका फल दशा द्बारा निर्धारित समय पर जातक को भोगना पड़ता है। ओबामा की कुंडली वैदिक ज्योतिष के अनुसार वृशिचक लगन तथा वृष राशि की है।
जिसका नवांश द्वादेशेष तुला राशि से बनता है। जनम कुंडली में ग्रहों की स्थिति इस प्रकार है सूर्य कर्क राशि में चंदर वृष राशि में मंगल व राहू सिंह राशि में गुरु व शनि मकर राशि में केतु कुम्भ राशि में तथा बुद्ध कर्क राशि में हैं। कुंडली में सूर्य का राज योग है जो बुद्ध के साथ है। तीसरे घर में गुरु अपनी नीच राशि में शनि के साथ स्थित होकर नावें घर को देखता है। दसवें घर में मंगलराहू का ग्रहण योग है।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार इनकी कुंडली का विश्लेषण इस प्रकार है।
१) जन्म कुंडली में नावें घर में बुद्ध सूर्य के एक साथ होने के कारण जातक चतुर अधिवक्ता तथा वकील है। जातक की वाणी का प्रभाव नावें घर में बोधाधिक योग होने के कारण सर्वाधिक रहेगा ।
२) लग्नेश मंगल का दसवें घर में राहू के साथ स्थित होना इस बात का संकेत है की जातक को अपने ही करम के द्वारा अनेक कठिनायिओं के बाद सफलता प्राप्त हुई है। दसवें घर में ग्रहण योग के कारण समय समय पर अपने ही करम के द्बारा अनेक असफलताएं प्राप्त होती रहेंगी।
३)लगन कुंडली से सप्तम में चन्द्र का सप्तम में स्थित होना तथा सप्तमेश शुक्र का अष्टम में जाना इस बात की ओर संकेत करता है की जातक को महिला वर्ग की ओर से विशेष सामाजिक प्रतिष्ठा तथा ख्याति प्राप्त हुई है और होती रहेगी। जातक शुक्र की कमजोर स्थिति के कारण आर्थिक तंगी के शिकार तथा महिलासे अपमान भी सहते रहें होंगे।
४) लगा कुंडली के तीसरे घर में स्थित नीच राशि के गुरु व शनि इस बात का संकेत करते हैं की जातक की संगती में कमजोर एवं गरीब लोगों का संयोगं रहा होगा। जिससे इन्हें बड़ी सफलता प्राप्त हुई होगी। ऐसे जातक गरीब समाज के हितैषी तो होते हैं लेकिन बुद्धजीवी वर्ग के साथ इनके विवाद अक्सर देखे जाते हैं।
५) इनका नवांश तुला लगन का उदय होने के कारण जो लगन कुंडली का द्वादशांश है इनके जीवन में अआर्थिक तंगी तथा गरीबी की ओर संकेत करता है। इसके साथ साथ इन्हे वैवाहिक जीवन में परेशानी तथा असफलताओं को भी बताता है।
६) यदि हम चन्द्र कुंडली से भी विचार करें तो इनके नावें घर में गुरु चंडाल योग बनता है। जो भविष्य में अचानक आने वाली कानूनी परेशानी तथा बदनामी का योग दर्शाता है.इस कारण जातक को नज़रबंद भी किया जा सकता है।
७)चन्द्र कुंडली से चौथे घर में मंगल राहू का ग्रहण योग देश के अन्दर आधुनिक समय में हो रही परेशानियों में प्रक्रिया द्वारा हल तथा अचानक ही अच्छी सफलता मिलने का भी योग है।
८)नवांश कुंडली में तीसरे घर में गुरु की राशिः धनु में सूर्य शुक्र मंगल के एक तत्त्व होने से संन्यास योग भी बनता है। अतः अनेक प्रकार की परेशानियां तथा पाबंदियों के बाद भी यह अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा बनाये रखने तथा पुनः स्थापित करने में सफल रहेंगे।
९) वर्तमान समय में जातक पर गुरु में सूर्य की दशा १९-४-२००८ से ७-२-२००९ तक के कारण चलाए जा रही प्रक्रिया में विशेष सफलता प्राप्त होगी तथा राष्ट्रीय हित भी होगा। गुरु में चन्द्र का अंतर ७-६-२०१० तक रहने के कारण चंद्रमा के सप्तम घर में स्थित होने के कारण महिलाओं से प्रसन्नता राष्ट्र की बदती समृद्धि ,चहुमुखी विकास का योग है॥

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