दरवाजे की घंटी : वास्तुयी प्रभाव

दरवाजे की घंटी : वास्तुयी प्रभाव
वास्तु शास्त्र के आधुनिक प्रचलन के अनुसार रहन सेहन के जीवन में जितना प्रभाव घर में रखे गए आधुनिक घरेलू यंत्रों का है उन सभी में सर्वाधिक महत्वापूर्ण स्थान दरवाजे की घंटी का है। सुरक्षा की दृष्टि से लगे गई दरवाजे की घंटी सुरक्षा व्यवस्था के साथ साथ हमारे रेहान सहन पर भी गहरा प्रभाव डालती है। इसलिए मनचाहे ढंग से दरवाजे की घंटी का प्रचलन दोष पूर्ण माना गया है। वास्तु के अनुसार अगर दरवाजे की घंटी तीव्र ध्वनि के साथ बजने वाली है तो उससे उत्पन्न नकारात्मक उर्जा निश्चय ही हमें मानसिक तनाव देगी। फलस्वरूप हमारे पुरे दिन के कार्यों पर नकारात्मक विपरीत प्रभाव पडेगा। मन की वृत्ति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने के कारण मानसिक रूप से चिड चड़ा होना तथा मानसिक तनाव में आना दोनों ही बातें सम्भव हैं। अतः आप के दरवाजे की घंटी तीव्र ध्वनि से बजने वाली न हो।
इस के साथ साथ लंबे समय तक लगातार बजने वाली दरवाजे की घंटीओं के कारण भी वास्तु दोष उत्पन्न होता है।
लंबे समय तक लगातार बजनेवाली घंटी भले ही उसकी ध्वनि मधुर सुर वाली हो परिवार में तनाव का वातावरण पैदा केर उसके विकास कार्यों में बाधक सिद्ध होती है। घंटी के लगातार लंबे समय तक बजने के कारण परिवार के लोगों का मन विकृत हो जाता है.जिससे वः एक दुसरे के प्रति घृणा का भाव रखने लगते हैं। फलस्वरूप परिवार में कलह के बदल मडराने लगते हैं इस लिए यह अत्यन्त आवश्यक है की दरवाजे पर लगी घंटी तीव्र ध्वनि के साथ साथ अधिक लंबे समय तक बजने वाली भी न हो।
वैसे दरवाजे पर घंटी का ना होना भी अपने में एक भयानक वास्तु दोष है। अतिथि लोग दरवाजे की घंटी ना होने के कारण हाथ से ख़त खटाएंगे या शोर मचा कर आवाज़ देंगे जिससे परिवार के लोगों के मन पर विपरीत प्रभाव पडेगा मानसिक दबाव के फलस्वरूप वो चिड चडऐ व कलह प्रिये हो जाएँगे। अतः दरवाजे पर घंटी का ना होना वास्तुअनुसार अपने में बड़ा दोष है.
कैसी हो दरवाजे की घंटी:
वास्तु के अनुसार आप के दरवाजे की घंटी निम्नवत अनुकूल लक्ष्ण वाली होनी चाहिए।
१) मधुर ध्वनि तथा लंबे समय तक ना बजने वाली हो।
२) टूटी फूटी आवाज़ वाली या अशुभ आवाज़ वाली ना हो।
३) ऐसी ध्वनि ना हो जो मानसिक दबाव उत्पन्न करे।
४)दरवाजे की घंटी में धर्म अनुसार वैदिक ध्वनि हो.

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