उत्तर-पूर्व में खुला भवन -प्रसन्नता देता है

उत्तर-पूर्व में खुला भवन -प्रसन्नता देता है
वास्तु अनुसार पूर्व उत्तर में किसी भवन का खुला होना अत्यन्त आवश्यक है कुओंकी सूर्य के पुर्व में उदय के कारण सम्पूरण ऊष्मा पूरब से ही प्राप्त होती है.जो मानवीय जीवन के चाहू विकास के लिए परम आवश्यक हैकिसी भवन में अगर सूर्य का प्रकाश नहीं आता है या कम मात्र में आता है या फिर दोपहर के बाद आता है तो निश्चय ही उस परिवार के सदस्यों में बीमारियाँ हो जायेंगीतथा अशांति और आलस्य का जीवन परिवार में बन जायेगाफल स्वरुप भवन में रहने वाले सभी सदस्यों का विकास रुक जायेगा अगर किसी भवन का पूर्वी भाग खुला हुआ है तो भवन में प्रयाप्त मातृ में प्रकाश मिलने के कारण पारिवारिक लोग उद्यमशील तथा अपने विकास कार्यों में सफल होंगे
शुभफल प्रदान करने वाले होंगेअगर उत्तर पूर्व दिशा(ईशान) में शौचालय या रसोई घर है तो उसकी शुभता कम हो जाने के कारण पारिवारिक जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगाइसलिए यह नितांत आवश्यक है की कोई भवन उत्तरपूर्व में खुला हुआ तो हो लेकिन उसके अन्दर उत्तर -पूर्व ईशान दशा में शौचालय रसोईघर नहीं होना चाहिए
अगर किसी भवन में उत्तरपूर्व (ईशान) दिशा में शौचालय है तो वास्तु पुरूष का सिर एवं भगवान् शिव का स्थान होने के कारण परिवार के लोगों पर अनेक प्रकार की दैविक परेशानी जाने के कारण देवाज्ञ्ता के कारण अनेक प्रकार की परेशानी बनती रहेंगी
यद्यपि वास्तु अनुसार उत्तर पूर्व में खुले है भवन बसने या रहनें की सभी सुविधाएं प्रदान करने के साथ साथ सभी प्रकार के मनोरथों को भी सिद्ध करनेवाले होते हैंजिसके अनेक प्रमाण हमारे सद ग्रन्थ पुराण गीता रामायण में मिलते हैं वाल्मीकि रामायण में मह्रिषी वाल्मीकि जी नें भगवान् श्री राम की पावन कुटिया को मदगिनी तट पर पूर्वमुखी होने के कारण अनुकूल बताया हैइसके साथ साथ अगर आपका भवन आपके भवन का जल निकास किन्ही दो दशाओं में हो कर है तो पारिवारिक मत भेद तथा आर्थिक तंगी के कारण विकास कार्यों पर विपरीत प्रभाव पड़ेगाअतः यह अत्यन्त आवश्यक है की हमें शुभ परिणाम प्रदान करनेवाला भावा उत्तरपूर्व में खुला हुआ एवं उसका फर्श अन्य सभी दिशों से नीचा होईश्वर की कृपा प्राप्त करनें तथा शंतिपुरण जीवन जीने के लिए यह भी आवश्यक है की हमारा पुर्वुत्तर ईशान दशा में ही होजहाँ तक भवन में खिड़की और दरवाजों की बात है,तो अधिकतर दरवाजे खिड़कियाँ उत्तर पूर्व में हों तथा बड़ी आकृति वाले होंजिससे ऊष्मा पर्याप्त मात्रा में मिल सकेअगर इनके विपरीत दिशा में दरवाजे और खिड़कियाँ लगानें की परस्थिति है तो वो संख्या में कम तथा छोटे होने चाहिएपुराने फर्नीचर से जीवन में नकारात्मक ऊष्मा मिलने के कारण जीवन पर विपरीत प्रभाव पड़ता हैइसीलिए भवन के सभी खिड़की और दरवाजे मजबूत और नई लकड़ी के बनें होने चाहिएजो हमें सकारात्मक प्राकृत ऊष्मा प्रदान कर सफल बना सकें.

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