पितृ ऋण से मुक्ति हेतु उपाय





 पितृ पक्ष में पितृ पूजा कर पाए पितृ ऋण से मुक्ति
मानव जीवन में तीन प्रकार के ऋणों का समावेश  है जो इस प्रकार है १ पितृ ऋण  जिस में माता पिता  गुरु ऋषि  के ऋण सामिल किये गए है |२  दूसरा ऋण देव ऋण कंहा जाता है  जिस में भगवान  देव एम् क्षेत्र पालो का ऋण सामिल होता है |३  तीसरा एवं अंतिम ऋण  मात्र भूमि  एवं राष्ट ऋण है  जिस जमीनएवं राष्ट में जातक का जन्म हुआ है  उस के प्रति सच्ची निष्ठा रखना एवं देश वाशियों से प्रेम  करना  सभी इसी ऋण में सामिल है |
पितृ पक्ष  पितरो के ऋण से मुक्ति पाने का यह सबसे अच्छा अबसर होता है  अधपी पितृ ऋण का  भुगतान  मानव कभी  नही कर सकता है  लेकिन उसे मान लेना एवं उनके प्रति सद्भावना प्रकट करना ही मानव का परम कर्तव्य है |
ऋण कोई भी हो जीने की व्यवस्था  में  बाधा पैदा ही करते है | जब इनका समय जीवन में प्रकट होता है तो मनाब का जीवन रुक जाता  है उसका हर प्रयास  निर्थक  जाता है | पितृ ऋण  इतना भयानक  होता है  मनाब को हर कार्य में असफलता  ही झेलनी  पड़ती  है | इस ऋण  के चलते परिवारिक  कलेश  संतान का न होना , कोट कचहरी  का के अर्चन  , आजीवका की परेशानी  भी  इस ऋण के चलते हो जाती है | केई वार तो  इस ऋण के चलते  परिवार में म्रत्यु तक हो जाती है | अत पितृ ऋण  बड़ा भयानक  एवं कष्ट दाई सिद्ध होता है |
पितृ शांति हेतु उपाय – पितृ पक्ष  पितृ ऋण से शांति  हेतु  सबसे प्रबल अबसर होता है अगर पितृ ऋण है तो  पितृ पक्ष में पितृ गायत्री का सवा लाख जप करना चाहिए  , इस के साथ साथ पितरो को प्रति दिन अवाहन कर उनको जल , गंगा जल से तिरपन करे गीता का १६ व अध्याय का पितृ पक्ष में पाठ करने से पितृ ऋण से शांति मिलती है , अगर पितृ ऋण अधिक बड गया है तो किसी पावन नदी के किनारे  नारायण बाली पूजा करने  से ऋण  विरक्ति होती है . गया में पिंड भरने से भी पितृ ऋण से छुटकारा  मिलता है |
अगर यह सभी संभव नहीं हो तो विष्णु सहसरनाम एवं गजेन्द्र मोक्ष का पाठ भी जो पितरो के निम्त किया गया हो पितृ ऋण से छुटकारा  देता है |
अत पितृ पक्ष में उपाय कर पितृ ऋण शांति कर अपने जीवन को सरल एवं सहज  बनाये |
                पंडित –श्रीनिवास शर्मा
                    वास्तु विद एवं ज्योतिष  विशारद 

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मंगल भवन  अमंगल  हारी, द्र्वयु सो  दशरथ  अजर बिहारी |
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