हँसी के द्वारा भाग्य के लक्षण

हँसी के द्वारा भाग्य के लक्षण 

मनुष्य का भाग विधाता के द्वारा पूर्व ही निर्धारित होता है जिसका प्रगटन शारीर के अंग प्रत्यंग तथा मनोवृति द्वारा प्रत्यक्ष रूप से देखा जा सकता है यही कारण है की ज्योतिषियों नें होनी को बड़ा प्रबल माना है .मनुष्य के शारीर के लक्षण तथा शारीरिक हावभाव जो उसके प्रारब्ध के ही कारण है .भाग्य के निर्माण एवं पतन में काफी हद तक सिद्ध होते हैं .
शास्त्रों के अनुसार हँसी को तीन भागों में बांटा  गया है.
१) अट्टाहास- हँसतें समय अन्यंत जोर से आवाज़ करना  
२) खिलखिलाहट - तेज़ आवाज़ के साथ हाथों से तालियाँ बजनें की आवाज़ होना
३) मुस्कराहट-हँसते समय केवल अधरों का ही खुलना -दांत आदि दिखाई न देना  

तीनों प्रकार की हँसियाँ मनुष्य के मानसिक बल को प्रकट करती हैं तथा मनुष्य की मनोवृति को बताती हैं जिस के सहारे समाज में वह सफल या असफल होता है.

अट्टहास हँसी:

मनुष्य की एक बड़ी विकृत का भी प्रतीक है ऐसी परिस्थिति में मनुष्य अपने मन की कमजोरी के कारण दुःख या सुख के समय भावनाओं को रोक नहीं पाता है तथा हँसी के माध्यम से तीव्रता  के साथ प्रकट 
करता है फलस्वरूप उसके समाज में मटर कम और शत्रु अधिक हो जाते हैं तथा कमजोर मानसिकता के कारण वो अधिकतर कामों में सफल नहीं हो पाता  है .

खिलखिलाहट : ये भी एक विकृत मानसिकता का ही प्रतीक है जो मानव की प्रतिशोध भावनाओं को प्रकट करता है.अर्थात मनुष्य खिलखिलाहट  के द्वारा बड़ी कामयाबी के कारण अपनी भावनाएं रोक नहीं पाता दूसरी ओर अपनी हँसी के माध्यम से अपने प्रतिद्वंदी एवं समाज में न चाहनें वाले लोगों को अपनी कमजोरी का सन्देश देता है ऐसे जातक बुद्ध के कमजोर होनें के कारण मुहफट भी होते हैं .इनके द्वारा किसी भी बात का छिपाया जाना नामुमकिन होता है. अर्थात यह अपनें विकास में आलोचना एवं पर्तिदुयन्दीओं  से घिरे रहते हैं 

मुस्कराहट :
ऐसे जातक प्रबल मानसिकता तथा बुद्ध की अच्छी स्थिति को लेकर होता हैं ऐसे जातक गंभीर से गंभीर परिस्थिति को भी अपनें अंदर दबानें की क्षमता रखते हैं तथा विषम परिस्थितिओं में भी अपना गलत भाव या सन्देश समाज को नहीं देते. फलस्वरूप समाज में चाहने वाले लोगों की संख्या बहुत अधिक होने के कारण यह अपने हर प्रयतन में सफल हो जाते हैं ऐसे जातक अत्यंत मृदुल भाषी होने के कारण अपनी वाणी की कला के द्वारा सभी को सम्मोहित करते रहते हैं फलस्वरूप जीवन के दुखसुख में इनका हाथ बटानें वाले लोगों की संख्या बहुत अधिक होती है .      

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