क्रष्ण पूजन विधान






-- ॐ क्ली गोविन्दाय ,राधाबल्ल्भाये गोविन्दाये गोपीबल्ल्भाय स्वहा
मन्त्रद्वराक्रष्णजन्म अष्टमीसे भगवान श्रीक्रष्णकीछटी तक निरंतरपूजनएवं जपतथा हवन करनेसे सधककीसभी कामनाये पूरण होतीहै| साधक इसमन्त्रके द्वरा काले तिलोंसे१०८ आहुति डाले एवं विधिवत पूजनकर ब्रह्मणोंको श्रद्धाएवं दक्षिणासहित भोजनकराए एवं प्रतेकमहाकीसप्तमीको व्रत रखे एवं तिलोंकेद्वरा लिखेगएमन्त्रसे हवनकरे| एवंसाधकस्वयम बिल्वफलएवं षडरस सहित भोजन प्रतेकसप्तमीको करे एवं गोसेवाया गोदानका संकल्व लें एवं गोविन्दकानिरंतरध्यानकरे एसा करने से साधक की सभी कामनाये पूरण होती है |इसमेंकोईसंदेहनहीं है|
आपसभीको नन्दउत्सवकी बहुत बहुत बधाई
कोहू न काहू क़र सुख दुःख दाता |निज कृत कर्म भोग फल पाता||  
गरल सुधा रिपु करें  मिताई ,गोपद सिन्धु अनिल सितलाई .
गरुण सुमेर रैन सम  ताहि ,राम कृपा कर चितवें जाहि  ..
Pt.Shriniwas Sharma
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