श्री कर्षण जन्म की बधाई






-- करुना अबतार भगवानश्रीक्रष्णकेजन्मकी आपको बहुतअधिक बधाई
आपसभीभक्तएवं मित्रगणों को आजका उत्सव आनंदएवं भक्ति से परिपूरन हो
करुनाअबतारभगवान श्रीक्रष्ण का जन्म भद्रमासक्रष्णपक्ष अष्टमी दिनबुधवार अर्धरात्रि के अभिजितमहूर्त[११.४० से१२.२० जोप्रतिदिन होताहै] कोमथुरा के बंदीग्रह में देवकीएवं बासुदेवके यहाँहूआ| शास्त्रोंके अनुसार भगवान जोसर्वब्यप्त है को जन्मएवं म्रत्यु नहीं होतीहै इसलिए यहजन्मकालनहीं प्रकटनकाल था | जब भगवानअपने भक्तोके उदारएवं पैदाअसुर कंस, बकासुर अकसुर पूतना एवं वर्तासुर ज्रासिस्न्ध कल्याबन जैसे असुरोकाभ्रष्टाचार इसप्रथ्वी परभयानकरूपलें चूका था|
एकबात भक्तोएवं मित्रोकोसमझनीहोगी किइसस्रष्टिकानिर्माण भगवानकी इच्छा एवं शंक्ल्ब पर हूआ जोएककल्पतकइसस्रष्टिका संचालन करते है| इसीलिए इसस्रष्टि में नैतिकमूल्योंकी रक्षाकरना भगवानकाही कार्य है | इसीलिए प्राकतिकसंतुलन बनाने एवंनेतिकमूल्योंके संरक्षण तथाभक्तोकीगतिकेलिए प्रभु हर युग में अबतारलेते है| एवं अनेकलोकशिक्षा हेतुलोकलीलाकरतेहूए अपनेभक्तजो निरंतर उनकेचरणों का चिंतन करते हूए आनंदसागरमें मंगन रहते है एसे शरणागत भक्तो की रक्षा करते है|
जैसे बच्चेको अपनीमाँ एवं सेवकको अपनेस्वमी एवंएकपतिव्रतास्त्रीको अपने पति पर भरोशा होता है| उससेभी अधिक एक भक्तको भगवान के करुनाभाव पर होता है| भगवानकी इच्छासे इसप्रक्रतिके हरआतंककाअंतहोता है|
भगवानश्रीक्रष्ण नेगीता के१८बे अध्याय में शरणागति होने एवंसंसारकेसभीबन्धनोंसे मुक्त करनेकीबात कंहीहै|उसमेंकोईआश्चर्य नहींहै| जैसे एकबच्चा माँकीगोदको पाकरनिर्भय हो जाता है जैसेएकपालतूपशुयाकुत्ता अपनेस्वमी को पाकर निर्भीक होता है वैसे ही एकभक्त भगवानकी शरणागतीको को पाकर संसार में निर्भीक होता है एवं मायाकात्रास ख़त्महोताहै उस करुनाअबतारभगवान का नामश्रीक्रष्णहै| आजएसेप्रभुके जन्मउत्सवका आनंद मनाये एवं अपनेजीवन को अलोकिक एवं मधुर बनाये
नोट आज रोहणी नक्षत्रतो तोपूरीरात रहेगालेकिन अष्टमीतिथिका मान रात्रि08 बजेतक रहेगा इसलिए रात्रि 08 तकपूजनकेबिशेषमहत्व है|
आपसभीको श्रीक्रष्णजन्म की फिरसेलाखलाख बधाई |
कोहू न काहू क़र सुख दुःख दाता |निज कृत कर्म भोग फल पाता||  
गरल सुधा रिपु करें  मिताई ,गोपद सिन्धु अनिल सितलाई .
गरुण सुमेर रैन सम  ताहि ,राम कृपा कर चितवें जाहि  ..
Pt.Shriniwas Sharma
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