गर्भ रक्षक श्री वासुदेव सूत्र





गर्भ रक्षक श्रीवासुदेवमन्त्र-
भगवान श्रीक्रष्ण द्वरा उतराके गरब कीउस समयरक्षाकरी जब अशुशथामा द्वरा उतराके गरब को खंडित करने केलिएब्रह्म शाश्त्र का प्रयोग किया जिस से प्रथ्वी काप उठीसभीदशाये भयभाय होने लगी यहघटनाउस समय हुयीजब भगवानश्रीक्रष्ण द्वरिकाकेलिएजानेकेलिए रथपरसवार होकर द्वारिका जारहे थे| उतराकीचीखजबभगवानश्रीक्रष्ण ने सुनी तबउसे अपनेपीताम्बर से ढक लिया और मक्षर का रूपधारण करगर्भ में प्रवेश किया जिस सेउसकेगर्भकीरक्षा हो सकी उतराकेगर्भकीरक्षा उसमन्त्र जिसका नाम श्रीवासुदेव सूत्र केप्रभाव से हूई यहभगवतकरोकामाननाहै|
मन्त्रकाविधान-श्रीवासुदेवसूत्र का पाठकिसीअनुभवीपंडितयास्वयम भगवानकेप्रतिपूर्णश्रधा रखकर उस समय करनी चाहिए जबतीनमहीने सेअधिक अधिकका गर्भ हो| इसकीसाधनाकेलिएसाधकको सूर्यकीतरफ मुहकरकेखड़ा होना चाहिए तथासूतके धागेसे साधककोपैरो से सिर तक नाप कर गाठ लगा देनी चाहिए तथा धागे केप्रतेक छोर परअमोघअक्षरकोलिखनाचाहिएतथागाठबालेछोरपरस्वहालिखदेनाचाहिए इस प्रकारसातफेरेपूरण होनेके बादउस लपेटकरमालाबनालेनी चाहिए मालाबनतेसमय यहध्यानरखेकी सूतका धागा टूटे नहीं| इसमालाकोसाधिकाकेगले में डाल देने ध्यानरहे कीइससूतमालाको प्रसव होने से पूरब खोलदेना चाहियेएवं प्रसब पूरणहोनेकेबाद सुद्धि होनेकेबाद साधिकाकेगले मेंपुन डाला जासकता है| इस के प्रभाव से प्रसबमेंहीसफलतानहींमिलती बलिकी संतानगुणकरीएवंविकशितमानसिकताबला होताहै| वैसेसंतानकेगुणकरी एवंविकाशकेलिए भगवत केछठेस्कंधके अथवाअध्यायकापाठ जिसे नारायणवर्मकापाठकरनाचाहिए| इसकेप्रभावसे भगवानकीपूरणक्रपा बनीरहेगी इसमेंकोईसंदेहनहीं है|
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कोहू न काहू क़र सुख दुःख दाता |निज कृत कर्म भोग फल पाता||  
गरल सुधा रिपु करें  मिताई ,गोपद सिन्धु अनिल सितलाई .
गरुण सुमेर रैन सम  ताहि ,राम कृपा कर चितवें जाहि  ..
Pt.Shriniwas Sharma
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