ज्योत्शीय गरना का आधार

काल शव्द दो रूपों में उपयुक्त होता है १ भूतों का प्रन्यंत्र अर्थात म्रत्यु |जिस के देवता यमराज है |दुसरे कार्य संपादन के लिए समय निर्धारण जिनकी गरना किसी इकाई के नाम से की जाती है यहगरनातमककाल है| इसकीगरनाकाप्रयोजन ज्योतिषमेंकियागयाहै जोइसप्रकारहै-
१-परमाणु-कालकीसूक्ष्मअबस्था
२-दोपरमाणु-एकअणु
३-तीनअणु-एकत्रसरेणु
४-तीनत्रसरेणु-एक त्रुटी
५-१०त्रुटी-एकप्राण
६-१०प्राण-एकवेध
७-तीनवेध -एक लव
८-तीनलव-एकनिमेष
९-एकनिमेष-एकपलकझपकनेसमय
१०-दोनिमेष-एक विपुल
११-तीननिमेष- एकक्षण
१२-०५निमेष-२/१२ त्रुटी
१३-२ -१/२ त्रुटी -०१सैकेंड
१४-२०निमेष -१०बिपुल ४सैकेंड
१५-५ क्षण-एक कष्टा
१६-१५कष्टा-एकदंड एक लघु
१७-०२दंड- एकमहूर्त
१८-१५ लघु-एकघटीएक नाडी
१९-एकघटी-२४मिनट
२०-तीनमहूर्त-एकप्रहर
२१-दोघटी-एकमहूर्त४८मिनट
२२-एकप्रहर-एक याम
२३-६०घटी-एकअहोरात्र[एकदिनरात]
२४-०८ प्रहर--एकअहोरात्र[ एकदिनरात]
२५-०८प्रहर-एकअहोरात्र
२६-१५दिनरात -एकपक्ष
२७-०२पक्ष-०१मास
२७ -०२मास-एकऋतू
२८ तीनऋतू-छमास
२९छमास- एकअयन
३० दो अयन -०१वर्ष
३१ दोअयन-एकवर्षएकसंवत्सर एकअब्द
३२-१० अब्द-एक दशाब्द
३३-१००अब्द -एकशताब्द

यह गरना ज्योत्शीय आधार पर है जिस से काल गरना कर भविष्य वाणी करी जाती है |

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