काल गरना ज्योतिष गरना

ज्योत्शीय आधार पर समय की गरना जो हमारे वेदों के अनुसार है जिसे चेत्र मास प्रतिपदा शुक्ल पक्ष से गुना जाता है |मना जाता है जब ब्रह्म लोक का एक दिन होता है इतने समय में प्रथ्वी लोक पर चार युग बीत जाते हैजिसेएककल्ब कहते है| यहश्र्स्ती एक कलप तकचलतीहै|जोइसप्रकारहै|
१०००दिव्यवर्ष और१००दिव्यवर्षसंध्याऔर१००दिव्यवर्ष का संध्या कहलातीहै| इसमें१२००दिव्यवर्षका कलियुग कहाजाताहै|अन्य तीनयुगोंकीगरना इसप्रकारहै-
क्रत्युग -४८००दिव्य युग
त्रेता-३६०० दिव्ययुग
दूआपुर-२४०० दिव्ययुग
कुल12,000 दिव्यवर्षोकाएकमहायुगकहतेहै| प्रथ्वीलोक का एक महायुग ब्रह्मलोकका एकदिनहोताहै| यहश्रष्टिब्रह्मलोककेएकदिनतकचलतीहै| इसकेबादब्रह्माकीसहस्रों युगोंकीरात्रिहोतीहै | जिसेमहाप्रलयकहतेहै इससमयसम्पुरणश्रष्टिसोजातीहै|फिरपरमात्माकीइच्छापर पुन सूर्य चन्द्रलोकलोक पाल इंद्रअदिदेवोकीरचनाहोतीहै| फिरदीगयीगरना केअनुसार काल अपनाकार्य करनेलगताहै | इससिधांतपरभारतीयज्योतिषकार्यकरतीहै|

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