पीपल के व्रक्ष के पूजन का महत्व


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From: Shriniwas Sharma 




सभी कामनाये पूर्ण करता है पीपल व्रक्ष का पूजन 
हमारे शास्त्रों में पीपल को ब्रह्मण का स्वरूप माना गया है यानि हमारे शास्त्रों में तीन प्रकार के बरहमो  चर्चा है | जातीय मानब ब्रह्म  दूसरा गौ को पशुओ में ब्रह्म माना गया है |शास्त्रों को मन ना है को इन को नष्ट करने कष्ट पहुचाने से मनाब का भरी पताक लगता है जिस से उस का यह जन्म तथा आगे होने बाला जन्म ख़राब होता है |अगर हम प्रकति की बात करे तो इस स्रष्टि को संतुलित रखने में सबसे अधिक पीपल व्रक्ष का महत्व है |पीपल का व्रक्ष ही एसा व्रक्ष है जो रविवार को छोड़ शेष सभी दिन ओक्स्शिजन गैस मानवीय जीवन केलिए अब्स्यक है छोड़ते है |शेष पौधे २४ घंटो में से 12 घंटे ही ओक्स जन छोड़ते है इतना महत्व पूरण कार्य है वर्क्षो में पीपल का 
भगवान् श्री क्रष्ण गीता में स्वय को वर्क्षो में पीपल बतलाते है | स्कन्द पुराण के अनुसार पीपल के व्रक्ष की जड़ में विष्णू तने में केशव शाखयो में नारायण तथा इस व्रक्ष के पत्तो में नारायण का बास है |अर्थात पीपल का व्रक्ष साक्षत विष्णू का स्वरूप है |इतना ही नहीं पीपल के पत्तो में श्री हरि तथा इस व्रक्ष के फलो में लक्ष्मी सहित सभी देवता बास करते है |

पीपल को जल या गंगा जल से सीचना धार्मिक कार्य माना गया है तथा इसे नष्ट करना महा पाप कहाँ गया है |पीपल के जल से सीचने से मर्नीय सोच शुद्ध होती है |पीपल के स्पर्शन से असोच की प्रवर्ती पूर्ण रूप से नष्ट होती है |पीपल की सप्र्स्ता हमें सम्पुरण इश्वर की शक्ति की अनुभूति करता है |पीपल के व्रक्ष के रोपण का भी विशेष महत्व है |कहा जाता है जो पीपल के व्रक्ष का रोपड़ करते है उस के परिवार का किसी प्रकार से विच्छेदन नहीं होता है सभी शुभदाये उसे परिवार में प्राप्त होते है एवं उस के पितृ अगर नरक की यातना भोग रहे हो तो छुट जाते है इस में कोई संदेह नहीं है |हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि पीपल के व्रक्ष काटना अपने पुर्बजो को मार्ग में काटे बोने के सामान है एसा करने से बंस को भी हानि होती है |लेकिन यज्ञअदि शुभ कार्यो में पीपल की लकड़ी उपयोग लायी जा सकती है इस से पुन्य की प्राप्ति एवं अक्षय फल मिलता है |पीपल के अंदर सभी देवता नारायण एवं लक्ष्मी का बासा होने के कारण सभी देव माय व्रक्ष है जो सभी कामनाये पूरण करता है |
पीपल के पूजन के वार एवं तिथि -पीपल का पूजन विशेष रूप से शनिवार को किया जाता है इस के अलावा द्वादशी एवं रविवार को छोड़ किसी दिन किया जा सकता है |इस के अलावा आषाढ़ चैत्र यावं पौष मास विशेष कहे गए है |इन महीनो में पीपल का पूजन सभी कामनाये पूरण करने वाला सिद्ध होता है 

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