imandari kee saja


Subject: ईमानदरी की सजा



भारतीय कानून सत्यमेव जयते का नारा १९४७ से देता रहा है लेकिन अंदर की व्यवस्था कुछ और ही है |सरकारी तंत्र का इतना करप्ट है |जब तक किसी को कुछ दो गे नहीं तब तक कुछ होगा नहीं |जिस में पुलिस की बात करे तो नजारा ही अलग है |जब तक उन्हें कुछ मिले नहीं तब तक किसी कानून का पालन नहीं करते भले ही उनके उपर कितने ही कानून बने हो या फिर कितने ही अधिकारी बैठे हो |लेकिन काम आपका जब होगा जब उनको कुछ मिलेगा |अगर इस में उत्तर प्रदेश पुलिस की बात करे तो नजारा कुछ अलग ही बनता है जिस को देखते हूए एक बात याद आती है जो इस प्रकार है  अंधेर नगरी  चौपट राजा |ताका सेर भाजी  ताका सेर खाजा | वैसे राज नेता जनता को न्याय की लाख दुहाये देते हो लेकिन व्यवस्था का हाल है की इस देश की गरीब जनता को लिखा ही नहीं |पार्टी कोई हो अधिकारी कोई हो कानून कैसा भी हो |लेकिन सफलता उस को है जिस के पास पैसा है |आज देश में मोदी जी की लहर है तथा भ्रष्टाचार को ख़तम करने की लाख दुहाई देते है लेकिन हकीकत कुछ अलग है की गरीब व्यक्ति को कोई सफलता नहीं |केबल पार्टी बदलती है समय समय पर ससक बदलते है लेकिन देश की प्रस्थति नहीं  जिसे देखते हूए मुझे प्रगति शील कबी नागार्जुन की कबीता की पंक्ति याद आती है जो इस प्रकार है-
आजादी का रावण आब के नागा  होकर नाचा  है ,|सूरत सकल वही है भईया  केवल बदला ढाचा  है || यह हल इस देश की व्यवस्था का है |मुझे कहते हूए शर्म महसूस हो रही है सांसद  अधिकारियो के दवार पर धक्का खाने के बाद गौतम बुध नगर नॉएडा की पुलिस एक कानून काम के खुले ३०० हजार रूपये हम से मांग रही है तथा कोई अधिकारी कोई भी कुछ बोलने को तैयार नहीं है इतना ही नहीं पुलिस की खुली चेतावनी भी है आप हमें रिस्बत दें नहीं जिस से चाहे काम करा लें  ये घटना नॉएडा सेक्टर ६२ की है |जब की यह मामला नॉएडा के भा जा पा सांसद महेश शर्मा के संज्ञान में भी है जो एक मंत्री है |ये व्यवस्था है |
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