DEEWALI PR LAXMI POOJAN

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नमस्तुते महा लक्ष्मी .नमोस्तुते हरिप्रिया 
नमोस्तुते सुर सरी.नामुस्ताते दयानिधे ||
दीवाली हिन्दुओं के चार मुख्य पर्वो में से एक है जैसा कीदीपावली शव्द दीपा +वली  शव्द से बनता है जिस का हिदी शव्द अर्थ होता है दीपों का पर्व या त्यौहार यानि दीपावली ज्ञान पर्व ज्ञान का त्यौहार है जो इस बात की प्रेरणा देता है की संसार का कठीन से भी काठीन काम वुधि के बल पर ही सफल होता है |इसी लिए हमारे शास्त्रों में बलाद बुद्धि विशेशते कहाँ गया है अर्थात बलों में वुद्धि का बल ही विशेष होता है |अत दीवाली ज्ञान पर्व है इसी लिए इस पर्व पर दीपदान का विशेष महत्व है |
लक्ष्मी गणेश पूजन -वैसे सनातन धर्म की ये निति है कोई पूजन गणेश पूजन के बिना पूरण  नहीं  हो सकता है अब हम गणेश शव्द का अर्थ करें तों बनता है गण +ईश् गण शास्त्रों में इन्द्रियों को कहाँ जाता |मानव के सरीर में दस इन्द्रिय का बास है जिस में पांच कर्म इन्द्रिया है तो पाच ही ज्ञान इन्द्रियाँ है जस के सतियक या तामसिक बल मानव को सफल या असफल बनता है सतवक बल पर जीवन की सफलता तथा तामसबल पर असफलता निर्भर करती है |इसी लिए प्रतेक पूजन में गणेश पूजन इस लिए किया जाता है की तामस परवर्तियो का नासहो तथा सतीक बल पर हमें सफलता मिलें |लेकिन किसी कामकी सफलता ज्ञान के साथ साथ धन पर भी निर्भर  करती है इसी लिए लक्ष्मी पूजन भी अबस्यक है इसी लिए दिवाली कें दिन कार्य के प्रारभ में गणेश लक्ष्मी दोनों का पूजन होता है |
लक्ष्मी के स्वरूप -संसार के अज्ञानी मनाब भले ही धन के अंदर लक्ष्मी के दर्शन मानते है लेकिन शास्त्रों में लक्ष्मी का अर्थ लक्षण  यानि गुण से है इस लिए दिवाली बाले दिन साधक को सभी स्त्री जाति में नारायणी लक्ष्मी के दर्शन करने चाहिए इस के साथ साथ हमारे शास्त्रों में लक्ष्मी के अनेक रूप माने गए है जी का दिवाली कें दिन पूजन अनबारिय माना जाता है जो इस प्रकार है 
लक्ष्मी के स्वरूप -१ गो लक्ष्मी २ असुय लक्ष्मी ३ धन लक्ष्मी ४ ज्ञान लक्ष्मी यानि सरस्वती को भी लक्ष्मी का रूप माना जाता है ५ वैभव लक्ष्मी ६ रतन लक्ष्मी जिस के अंदर आय के सभी स्रोतों बाहन अदि का पूजन होता है 7 यश लक्ष्मी ८ सिद्धि लक्ष्मी जिस में नो निधि एवं अष्ट सिद्धि की पूजा होती है ८ सोक नासनी -ल्क्स्मी को सोक नासनी कहाँ जाता है तथा उन्ही की क्रपा से जीवन में सुख शांति एवं मोक्ष जैसी गति मिलती है 
घर के अंदर लक्ष्मी के स्वरूप में घर की वस्तुओ का पूजन -घर कें अंदर भी वस्तुओ को लक्ष्मी के स्वरूप माना जाता है जिन का पूजन अबश्यकरूप से  करना चाहिए जो इस प्रकार है -१ देहली -धर कें अंदर देहली को भी लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है उस का पूजन करना चाहिए २ झाड़ू पूजन -झाड़ू में सफाई के गुण होते है वह गंद साफ करती है अत इस का पूजन लक्ष्मी के रूप में करना चाहिए ३ तुला पूजन -तराजू धन तोलने के काम आती है अत धनदायी लक्ष्मी के रूप में उसका पूजन करना चाहिए ४-तिजौरी पूजन तिजोरी कुबेर जी का अक्षय पात्र है उस का विधि वत पूजन करने से धन की स्थरता बदती है इस के साथ साथ सिक्का कोडी जो धन का स्वरूप माने जातें है सफी को दूध गंगाजल से साफ कर लक्ष्मी का स्वरूप मन कर पूजन करना चाहिए 
यंत्र पूजन -शास्त्रों में तीन प्रकार  से  किसी देवी देवता की पूजा करी जाती है  क -मन्त्र  ख --यंत्र  ग तंत्र |  लक्ष्मी पूजन में मन्त्र पूजन के साथ साथ यंत्र पूजन का विशेष महत्व है  कहाँ जाता है जब मुनि भृगु जी ने भगवान श्री विष्णू को लात मारी थी  तब पति की अपमानता के के कारण लक्ष्मी रुष्ट हो गयी परिणाम स्वरूप संसार के सभी कार्य रूक गए तब महर्षि वशिष्ट जी को बड़ी चिन्ता हूई और उन्होंने संसार कें कल्याण हेतु देवी लक्ष्मी का यंत्र रूप में पूजन किया जिस व्यापर जगत के सारे काम चलने के कारण खुशाली आ गयी तभी से यंत्र रूप में लक्ष्मी का पूजन घर घर में होने लंगा |मन्त्र का उल्टा साधन तंत्र माना जाता है जो संसार के हित के लिए जीव को एकत्रत ऊष्मा देता है |वेसे संसार में रोज ही किसी न किसी रूप में साधक तंत्र का प्रयोग करते है लेकिन ज्ञान  न होने के कारण तंत्र के नाम से डरते है तथा संसार में अघोरी स्वरूप तथा श्मशानमें की जाने बली किर्या को ही तंत्र मानते है |
पूजन के प्रकार -हमारे शास्त्रों में तीन प्रकार के उपचार कहें गए है १ षोडश उपचार  यानि सोलह प्रकार की वस्तुओ से देव पूजन २- पंच उपचार यानि पांच प्रकार की वस्तुओ से देव पूजन ३ -यथा लाभदो उपचार  यानि जो भी संभव हो उसी से देव पूजन करना चाहिए  यानि आप के पास जैसे भी साधन है उसी से प्रशन्न मुद्रा में पूजन करना चाहिए 
नारायण पूजन -दिवाली की रात्रि में कुछ लोग लक्ष्मी  पूजन करते है  | किन्तु नारायण पूजन नहीं करते यह पूजा असफल होती है क्योकि लक्ष्मी नारायणी है तथा पतिव्रता नारी है जो पति अपमानता सहन नहीं कर सकती है अत लक्ष्मी पूजन में पहले उनके पति नारायण का पूजन करना चाहिए उस के बाद लक्ष्मी पूजन करना चाहिए  लक्ष्मी पूजन के बाद धनदायी कुबेर पूजन भी अबश्यक है  या सभी पूजन आप जल अष्टगंध रोली अक्षत कुमकुम किसी से भी किया जा सकता है उपचार कोई हो लेकिन पूजन सभी का करना चाहिए 
नवग्रह पूजन -इस प्रकार पूजन को पूरण करते हूए  अंत में नो ग्रहों का पूजन करना अनवार्य है वैसे नौ ग्रह पूजन सभी पूजनो में होता ही है इस प्रकार आरती कर पूजन को पूरण करना चाहिए 
नोट मैंने यह उपचार बहुत सूक्ष्म में कहाँ  है जिस से आम साधक साधारण रूप से पूजन कर लक्ष्मी पूजन का लाभ उठा सकें | संपन व्यक्ति पूजन विदुयान पंडित के द्वरा करा सकते है 
   अज्ञान तथा दरद्य का नास कर ज्ञान प्रदान करने बाली महा लक्ष्मी अज्ञान का नास कर हम सभी पर क्रपा करें |
  दिवाली महापर्व सभी को आनंद दाई हो   इसी आशय के साथ ढेर सारी दिवाली की सुभ कामनाएं 
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कोहू न काहू क़र सुख दुःख दाता |निज कृत कर्म भोग फल पाता||  
गरल सुधा रिपु करें  मिताई ,गोपद सिन्धु अनिल सितलाई .
गरुण सुमेर रैन सम  ताहि ,राम कृपा कर चितवें जाहि  ..
Pt.Shriniwas Sharma
Mo:9811352415                                                       Image by FlamingText.com
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Professional charges :Rs500/patri,prashan  Rs 250
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