2012 का दीपावली पर्व का महत्व

2012 का दीपावली पर्व का महत्व

दीपावली हिन्दुओं के मुख्य पर्वों में से एक है। दीपावली के दिन लोग परिवार में शांति एवं सद्भावना हेतु ऋद्धी  सिद्धी के दाता  गणेश एवं लक्ष्मी का नारायण के साथ पूजन होता है।। धन देने वाली लक्ष्मी अन्य देविओं की तरह सभी सुलाक्ष्नो से युक्त हैं इसके आलावा उनमें खास बात यह है की वो अज्ञान व अन्धकार से दूर रहनें वाली शांतिप्रिय हैं .यही कारण है की समुद्र मंथन से उत्तप्न लक्ष्मी नें भगवान् विष्णु को अपना पति इसलिए चुना के उनका चित्त शांत था .संसार में उनकी पूजा सदभावना के साथ साथ शांतिप्रिय होने के कारण होती रही है। इसलिए दीपावली पर्व अन्ध्लार को दूर करनें वाला धन और ज्ञान देने वाला एवं सभी कामनाओं को पूर्ण करनें वाला कहा जाता है। शास्त्र अनुसार लक्ष्मी का वाहन उल्लू मन गया है जिसे मात्र रात्री में ही दिखाई देता है।इस से स्पष्ट है की लक्ष्मी का वास ताम अन्धकार का नाश करने वाला ज्ञान ,धन व शांति देने वाला है। लक्ष्मी गुणों की देवी है,अवगुण व अज्ञान से उसका कोई सम्बन्ध नहीं है। दीवाली के दिन इसलिए जो लोग जुआ आदि खेलते हैं या मदिरा पान करते हैं भगवती लक्ष्मी का निरादर अपमान करते हैं।

वर्ष 2012 का दीपावली पर्व 
इस बार दीपावली पर 13 नवम्बर दिन मंगलवार नक्षत्र  विशाखा जिसका स्वामी गुरु है योग सौभाग्य तिशी अमावस्या के दिन पद रहा है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार दीपावली पर्व के मंगलवार से शुरू होने के बारे में एक लोकोक्ति प्रसिद्ध है कि :- मंगल की पड़े दीवाली हर्षित किसान दुखी व्योपारी 

अर्थात इस बार का दीपावली पर्व फसलों की अच्छी पैदावार कर एवं अनाजों के भाव अच्छे मिलनें से किसान हर्षित होगा .सरकारी नीतियाँ भी किसानों के हित में होंगी। दूसरी ओर  व्योपार में सरकार की नीतियों के चलते उन्हें हानि उठानी पड़ेगी अर्थात व्योपार जगत इस वर्ष इस साल अधिक सफल होता प्रतीत नहीं हो रहा है। इस तरह स्पष्ट है की धन की देवी लक्ष्मी इस वर्ष व्योपरिओं से खासी नाराज़ रहेगी तथा अन्नदाता किसान को भरपूर आशीर्वाद प्रदान करेगी इस वर्ष के दीपावली पर्व को दिन मंगलवार तथा विशाखा नक्षत्र से सम्बंधित होनें के कारण अग्नि का भय व्याप्त रहेगा एवं अग्नि के द्वारा भरी नुक्सान होनें की संभावना है। 

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