शनि का तुला राशी में गोचर


शनि का तुला राशी में गोचर 

१४ नबम्बर २०११ की अर्ध रात्री को  शनि गोचर वश  कन्या  राशी  का  त्याग  कर  अपनी  उच्च राशी  तुला  में  प्रवेश  करेगा |फल स्वरुप्  सिह राशी से शनि  के  साढ़े साती  का  प्रभाव  समाप्त  होना  शुरू   होगा | जिस  से उन्हे   धीरे  धीरे मानसिक  तनाब  से  शांति  मिलेगी तथा उन्हें धीरे  जीवन में रुके  कामो में सफलता  मिलने  लगेगी |इस के साथ  साथ कन्या राशी पर  शनि  के  साढ़े  साती  का  गोचर  आरंभ  होने के  कारण जीवन  में  तनाब  बढ़ने लगेगा | इस के साथ  साथ तुला राशी वृश्चक  राशी  पर शनि की  साढ़े  साती  का अंतिम  तथा माध्यम  दौर  शु रू  हो जायेगा |
ज्योतिष के अनुसार  शनि  भौगोलिक  शुभदायोसंसाधन  आदि  का  कारक  माना गया  है इस लिए अत शनि  के  साढ़े साती का प्रभाव अगर नकारात्मक है है जो निश्चय ही  अत्यनत   दुख  दाई  बन  जाता है |अगर शनि  योग कारक है  तो  शनि  की  साढ़े साती सभी प्रकार  की सफल दाई  बन  जाती है |इसी  लिए  शनि  की  साढ़े साती दोने  प्रकार फल देने बाली होती है  | इसी लिए शनि  के  प्रभाव  को बिना जाने भय भीत होने  की आवश्यकता  नहीं  है | अगर शनि  की साढ़े साती  तथा  शनि  नकरात्मक  प्रभाव देने  बाला  है  तो ज्योतिष  अनुसार  उस के उपाय करने  की आवश्यकता  है.
ज्योतिष के अनुसार शनि को जनता ,भौगोलिक  साधन ,भूमि के नीचे मिलने  बाली खनिज संपदा  आदि  का  कारक  माना  गया  है | १४ नबंर २०११  को  जब  शनि अपनी  उच्च राशी  में  प्रवेश  करेगे  तो  शनि  से  सम्बन्ध रख ने  वाली   वस्तु ओ  के  भाव  जैसे  लोहा ,सोना ,कोयला .तरल पदार्थ तेल  आदि  की कीमते  अधीक  बढ़ने की  सम्भावना  है इस  के साथ  समाज में जीवन सत्र  उच्च  होगा  तथा  लोंग साधन  सम्प्पन  होगे  देश सम्पनता  की ओर  बढेगा | दूसरी  ओर मंगल  का  जब तक सूर्य  की राशी  सिह में  पवेश  रहेगा तब  तक सरकार  ,पुलिस  के जनता पर अत्य  चारों  की  कमी  नहीं  होगी  सरकार इन दिनों  जनता  के भविष्य  के साथ  जम  कर  खिलवाड़   करेगी  इसी लिए  जिन  जातको  पर शनि की साढ़े  साथी का नकारत्मक  प्रभाव  है उन्हें शासन  के  नकारात्मक  रैवये  से सावधान रहने  की  जरूअत है |
अत शनि के  साढ़े साती के नकारत्मक  प्रभाव  बाले  जातक शनि  शांति  हेतु  उपाय  करे .

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