दीपावली पर करें कन्या पूजन

दीपावली पर करें कन्या पूजन 

वैसे तो हिन्दुओं के प्रतेयक पर्व पर सिध्ही बुध्ही के स्वामी गणेश तथा आदि शक्ति माँ भगवती कीउपासना का अति प्राचीन विधान है. जिसके फल स्वरुप जब तक आदि शक्ति माँ भगवती की कृपा न हो तब तक जीवन से सुख ओर शांति एवं सफलता कोसों दूर रहती है . इस सृष्टि में महामाया देवी की शक्ति के दो रूप हैं अद्रिशय व दृश्य देवी के अद्रिशय स्वरुप को मेधा के नाम से जाना जता है. जो इस संसार को सम्मोहित करने,भ्रमित करनें एवं भावः जंजाल में फसनें का काम करती है. जो ईश्वरीय इच्छा पर चलती रहती है. दूसरी शक्ति जो दृश्य है वह सांसारिक संबंधों को नारी के रूप में स्थापित करती है. जिसके संसार में अनेक रूप बहन, बेटी, माता व भार्या के रूप में है. जो इस संसार में पुरुष के साथ शक्ति संचार हेतु कंधे से कंधा मिला केर इस सृष्टि के कार्यों को करती है. पर्त्येक मानव की इस संसार से चार प्रकार की उपेक्षा प्राचीन काल से ही मानी गयी है. जिनको धरम, अर्थ,काम ओर मोक्ष के नाम से जाना जाता है .इन चारों अवस्थाओं में आदि शक्ति देवी का नारी के रूप में संलगन होना मानवीय सफलता के लिए अत्यंत आवश्येक है वेदों ओंर पुराणो सभी का आदि काल से यह मत रहा है की जब तक सकती स्वरूपा नारी का पुरुष के साथ सहयोग ना हो तब तक उसे जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफलता नहीं मिलती है यही कारण है की हमारे समाज में स्त्रियों के विशेष स्थान हैं. उनके नाम शक्ति के रूप में पहचान हेतु पुरुष के नाम से पहले जोड़े जाते रहे हैं जैसे गौरी शंकर, लक्ष्मी नरेन,राधा क्रिशन व सीता राम इसके साथ साथ समाज में नारियों का विशेष योग दान सरह्निये रहा है. चाहे वो माता के रूप में हो पत्नी के रूप में हो ,बहन या बेटी के रूप में हो परिवार की पावनता व सफलता इन्ही के सहयोग व कृपा पर निर्भर होती है इसलिए धरम कार्यों में नारी को हमेशां ही पुरुष से आगे रखा गया है. हिन्दू दर्शन के अनुसार जिस घर में बेटी न हो उसे अपावन माना जाता है .अतः नारी शक्ति का रूप है वही दुर्गा है ,वही धन की देवी लक्ष्मी है, एवं ज्ञान देने वाली सरस्वती भी वही है. जिनकी चर्चा ओंर पूजा हम प्राचीन काल से नवरात्री पर्व पर नों शक्तियों के रूप में करते आ रहे हैं . दीपावली पर्व पर आदि शक्ति माँ लक्ष्मी की पूजा धन धान की वृद्धि तथा सुख समृद्धि के लिए आठ रूपों में की जाती है. जो इस प्रकार है :
१) आद्य लक्ष्मी
२) विद्या लक्ष्मी
३) सौभाग्य लक्ष्मी
४) अमृत लक्ष्मी
५) कमल लक्ष्मी
६) सत्य लोक्ष्मी
७) भोग लक्ष्मी
८) योग लक्ष्मी
इन सभी रूपों में माँ भगवती की पूजा दीपावली पर्व पर की जाती है जिससे स्पष्ट है की भोग से लेकर योग तक सत्य से लेकर सौभाग्य तक सभी रूपों में आदि शक्ति का नारी रूप में पूजन होता है. आधुनिक समाज का यह बड़ा दुर्भाग्य है की धन को ही लक्ष्मी का रूप तथा धन प्राप्ति के लिए ही लक्ष्मी की साधना की जाती है जो सत्य नहीं है. लक्ष्मी भगवान् विष्णु की पत्नी होने के कारण शांति प्रिये तथा लक्ष्श्नो से युक्त है इस लिए जिस परिवार में लक्ष्मी का वास होता है वहां पर विद्या सौभाग्य सत्य भोग और योग सभी विद्वान् होते हैं दीपावली पर रात्रि के समय जो दीप दान किया जाता है वो ज्ञान और सौभाग्य का प्रतीक है जो स्पष्ट  करता है  की लक्ष्मी का वासा ज्ञान और सत्य के आधार पर निर्भर करता है. जिस पर चल क़र मानव भोग ,योग जैसे फलों को प्राप्त करते हुएजीवन का सौभाग्य प्राप्त करता है.
दीपावली पर देहलीज पूजन दवातपूजन और कलम  पूजन  तथा दीपक पूजन का विधान है जो हमें सत्य पर चल क़र बुरायेयोंबुरायिओं से दूर रहते हुए नयाये संगत जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं. अतः यह कह देना की धनवान ही लक्ष्मीवान है समाज की बहुत बड़ी भूल है. लक्ष्मी उस सौभाग्य व समृद्धि का नाम है जिसका चल क़र कोई राष्ट्र समाज व परिवार चहुमुखी विकास करता है. पुराणों के अनुसार लक्ष्मी की बड़ी बहन का नाम कुलक्ष्मी है. जो कपिल मुनि के साथ ब्याही  गयी थी .उसके सात स्थान समाज में बताये गए  हैं :
१)कल है
२) असत्य
३)बेईमानी
४) जुआ
५)देह व्यापार
६) राष्ट्र द्रोह
७) मदिरापान
इन सभी स्थानों पर कुलक्ष्मी का वास है.
दिवाली जैसे पावन पर्व पर जो लोग इन सातों में से किसी भी लत से ओ़त प्रोत होते हैं उनके घर में कुलक्ष्मी  का वास होता है.और भले ही वो परिवार कितना ही धनवान हो लक्ष्नोन से विहीन होने के कारण उसका चाहू मुखी विकास रुक जाता है. कलह उत्पन्न होने के कारण विनाश को प्राप्त होता है.
अतः आधुनिक समाज में जो नूतन मान्यता का प्रचलन है जिसमें धन को ही लक्ष्मी मान लिया जाता है. और उस से आगे सोच के सभी द्वार बंद क़र लिए जाते हैं यह ल्क्षन लक्ष्मी के नहीं हैं उसकी बड़ी बहन कुलक्ष्निके हैं अतः मेरा अनुरोध है की दीपावली के पावन पर्व पर व्यसनों से बचते हुए शांति स्वभाव से भगवान् श्री हरी को ध्यान में रखते हुए लक्ष्मी पूजन करें. जिससे आप का आपके परिवार का समाज और राष्ट्र का विकास हो सके.

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