गजेन्द्र मोक्ष स्त्रोत्र : मूल पाठ



गजेन्द्र मोक्ष स्त्रोत्र : मूल पाठ


विश्व की उत्पत्ति का कारण हरि जो स्वयं बने,


सत चित और आनंद के रस से सने ॥


दूर करते तीन ताप को कृपा मय द्रष्ट से ।


नमन है श्री क्रष्ण को सुख दे हमें निज द्रष्ट से।।


इस सम्पुरण संसार की रचना इश्वर की इच्छा पर ही हुई है वाही सृष्टि की उत्पत्ति संघार और पालन के कार्य और कारण है जिन का स्वरुप सत्य चित और आनंद से परिपूरण है। जिनकी कृपा मय दृष्टि दैविक ,दैहिक और भौतिक सभी प्रकार के कष्टों कोप दूर करने वाली है। ऐसे परमात्मा भगवान् श्री क्रष्ण को हमारा नमन है। निवेदन है कि अपनी कृपा मय दृष्टि सुख और आनंद दें।


गज ग्रेह

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