स्कन्द माता




नव रात्रि के पंचम दिन देवी स्कंद माता का पूजन होता है |पुराणों में स्कन्द नाम भगवन कार्तिकेय  जी का है |जो देवासुर संग्राम में देवो के सेनापति बने तथा भयानक देत्य तारका सुर का नाश किया था | पुराणों में कर्तिके  जी को  शक्ति धर के नाम से भी जाना जाता है इन का बहन मोर है |
भगवन कार्तिके की देवी को माँ होने के कारण स्कन्द माता के नाम से जाना जाता है |इन की पूजा नवरात्री के पाचवे दिन होती है |उस दिन साधक का मन विशुद्ध  चक्र में होता है |इन के विग्रह में भगवन स्कन्द जी माँ की गोद में बेठे होते है |देवी की दाई भुजा  जो उपर को उठी होती है कमल पुष्प है |वाई उपर बलि भुजा बर  मुद्रा में है |वाई तरफ की नीचे से उपर की और उठी भुजा देवी कमल पुष्प लिए हूए है देवी का  सुरूप पूर्ण ते शुभ्र है |माँ भगवती का बाहन सिंह है 
नवरात्री के पांचवे दिन कमल पुष्प  महत्व माना जाता है इस चक्र में उपस्थित मन बाले साधक समस्थ बह किर्या एवं चित विर्तियो का लोप हो जाता  है |

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