रक्षाबंधन पर्व

१० अगुस्त २०१४ दिन रविवार श्रवणनक्षत्र अद्रायोग वि योग चन्द्र मकर राशी में पर रहा है |रक्षाबंधन पर्व हिन्दू समाज में काफी प्राचीन परम्परागत है |इस पर्व के पीछे अनेक पौराणिक मान्यता है जो पर्व की मह्त्यता को और अधीक बड़ा देते है जो इस प्रकार है |
देवासुर संग्राम ----------एक समय जब देवता देवासुर संग्राम में व्र्तासुर नामक देत्यसे हर रहे थे तब देतो के रजा इंद्र को काफी चिन्तामनाब मूल्यों को लेकर हूई |तथा इस समस्या के समाधान हेतु भगवन विष्णूके पास गए तब भगवन विष्णु nनेe महर्षि दाधीच के पास गए तथा उन से सरीर से हड्डियों की मांग करी महर्षी दाधीच नेलोक हित को ध्यान में रख कर सरीर का दान किया किया दाधीच के सरीर की हड्डियों का वज्र वनायागाया तथा पुन युध हूआ तथा देवताओ को विजय प्राप्त हूई तथा विश्व भर में विजय दिवश मनाया गाया |तभी से रक्षा बंधन पर्व रक्षा दिवश के रूप में मनाया जाता है बहन भाई के हाथ में राखी बाधशंकटके समय रक्षा का बचन लेती है |रक्षा बंधनपर्व ब्रहामणोंका भी सवसे श्रेष्ट पर्व है ब्रहामणदेवता भगवन को रक्षा सूत्र बाध कर विश्व कल्याण की कामना करता है तथा समाज को राष्टीय ऋण में बाधते है |
चितौर की रानी पद्मावती को हुमायु को रक्षा सूत्र भेजना -----------रक्षा बंधन पर्व लोक कल्याण के साथ साथ बहन भाई यो का प्रेम पर्व के रूप में भी व्ख्यत है जिससमयशाहजहानेचितोड़पर आक्रमण किया था उस समय चितोरनरेश रतन सेन की स्थति बहुत कमजोर थी महारानी पद्मावती बहुत सुंदर भी थी जिसे लेकर मुगलों के आक्रमण होते रहते थे पद्मावती मुग़ल सम्राट को हुमायु को अपना भाई मानती थी |शहाजहा केआक्रमण के समय चितोर के किले को घीरा देख पद्माबातीहिमत हार गयी तथा दूत क भेज सन्देश अपने भाई हुमायु को भिजवाया सन्देश पाकर मुग़ल सम्राट हुमायु बहन की रक्षा हेतु सेना लेकर चल पड़ा लेकिन समय अधीक लगने के कारण पद्मा वती को जीवत नहीं पा सका क्योकि किला टूट गाया था पद्मा वती अपने चरित्र की रक्षा हेतु जलकर नष्ट हो चुकी थी |तभी यह पर्व हिन्दू मुस्लमसमाज को एक साथ जोड़ता है
लक्ष्मी का रजा बलि के द्वार पर आना ----------जिस समय भगवन विष्णू रजा बलि के दवारपर डोरीवनके रूप कार्य कर रहे थे इसे देख लक्ष्मी जी चिन्ता हूई तथा देवर्षि नारद जी से प्राप्त समाचार के अनुसार भगवन बलि के यहाँ पहरेदार है |लक्ष्मी बलि की बहन बनकर गयी तथा देत्य राज बलि को राखी बधीतथा रजा बलि से बचन लिया की राखी की दक्षिणा में डोरिबानभगवन विष्णू को मगलिया तभी से इस पर्व का महत्व और बडगाया है |

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