तीन ग्रहणों के प्रभाव

तीन  ग्रहणों  के  प्रभाव 

ज्योतिष में ग्रहणों को प्राकृत घटनाओं का कारक तथा मानव तत्वों को प्रभावित करने वाला माना जाता है |ज्योतिषी आधार पर यह माना गया है की ग्रहण के समय खगोलीय मंडल से आनें वाली किरणें विकृतिक तथा विनाश कारी हो जाती हैं जिस से की मनुष्य पशु पक्षी एवं अन्य प्राकृतिक तत्वों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है. कई बार ग्रहणों के दुष्प्रभाव इतनें भयानक हो जाते हैं की पृथ्वी का गर्भाशय फटने या भूकंप आदि आने तथा सुनामी आदि का पूरा खतरा रहता है |ज्योतिष में यह माना गया है की जब एक ही पक्ष में दो ग्रहण लगें तो राजा तथा प्रजा दोनों के लिए खतरनाक होते हैं अगर यह पक्ष १३ दिन का हो तो दो देशों के युद्ध की पूरी सम्भावना हो जाती है कहा जाता है की महाभारत का विनाशकारी युद्ध जिस वर्ष में हुआ उस वर्ष में २ ग्रहण १३ दिन के पाख के अन्दर ही लगे थे, ज्योतिषी आधार पर इस हगात्ना को टालना असंभव था फलस्वरूप भयानक युद्ध हुआ और पुर्वन्शी जो इस धरती पर सब से शक्तिशाली वंश था का १८ दिन के अन्दर पांडवों के हाथ पूर्णतया सफाया हो गया |
इस वर्ष में ग्रहणों की कुल संख्या पांच है जिसमे से ३ ग्रहण सूर्य ,चन्द्र तथा सूर्य १ जून से ३० जून के अंदर ही हैं. यद्यपि लगनें वाले सूर्य ग्रहण भारत वर्ष में दिखाई ही नहीं देंगे लेकिन १५ जून को लगने वाला चन्द्र ग्रहण पूरी तरह से प्रभाव देने वाला होगा .हिन्दू वर्षानुसार इस वर्ष का स्वामी भी चन्द्र है अर्थात १५ जून का ग्रहण राजा के उपर यानि विपरीत राजनैतिक परिस्थिति उत्पन्न कर सकता है. जिस पर सरकार को भारी संकट का सामना करना पड़ सकता है. इसके साथ साथ लगनें वाले २ सूर्य ग्रहण भले ही भारत वर्ष में दिखलाई न दें लेकिन विश्व की घटनाओं को प्रभावित करने वाले तो होंगे.इनदिनों २ देशों की बीच युद्ध होने की सम्भावना भी है. जिसमें भारत भी अप्रत्यक्ष  रूप से संलगन हो |इसके साथ साथ प्राकृतिक आपदा भूकंप ज्वालामुखी या सुनामी यूरोप में आनें की सम्भावना है. क्यूंकि सूर्य ग्रहण का परभाव वहीँ ज्यादा होगा. 
लकिन चन्द्र ग्रहण का प्रभाव एशिया के विभन्न राष्ट्रों में देखने को मिल सकता है जिसमें भारत में राज्नैतिल संकट हलकी फुलकी प्राकृतिक घटना ,२ सरकारों के बीच गृह-क़ानूनी युद्ध एवं जनता के द्वारा प्रबल बगावत संभव है जिस से राष्ट्रिय सरकार को काफी नुक्सान हो सकता है. 


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