मेष राशी में ग्रहगोचर : सरकार पर प्रभाव

मेष राशी में ग्रहगोचर : सरकार पर प्रभाव 
इस समय बुद्ध ,शुक्र,मगल व् गुरु का गोचर मेष राशी में है जिसका स्वामी मंगल है नवांश में मंगल और शनि के बुद्ध के नवांश में स्थित होने के कारण तथा गुरु के मंगल के नवांश में होने से यह समय जनता के लिए कष्ट दाई तथा प्राकृत आपदा से युक्त सिद्ध हो सकता है जिसमें भूकंप आदि के झटके या सुनामी जैसी आपदा संभव है. अगर हम देश की कुंडली की बात करें तो देश की कुंडली में यह गोचर कुंडली के दसवें घर को जागृत करता है. जो केंद्र व राज्य सरकार की कार्य क्षेत्र कही जाती है .कुंडली का सप्तमेश शनि जो जनता के भाव को प्रकट करता है अपनें से नवं घर में है तथा मंगल के साथ बुद्ध के नवांश में है अर्थात इन दिनों केंद्र सरकार कीकुछ ख़राब नीतिओं के चलते देश के अन्दर आंतरिक कलह हो सकती है.जिसका कारण केंद्र सरकार का पूर्व इतिहास होगी. देश की कुंडली में वर्तमान समय में चलनें वाली दशा(१५ अगस्त २००९ से १५ अगस्त २०१५ तक) में अन्तर्दशा राहू जो ३ फ़रवरी २०११ तक रहेगा ही,तथा  गुरु का प्रत्यंतर  ११ अक्टूबर २०११ तक होने के कारण राजनीती में महिलाओं के बढते कदम संकट प्रदान करेंगे. अर्थात महिला आरक्षण का मुद्दा,महंगाई तथा भूमि अधिकरण के मामले ,पडोसी देशों से खतरा इस अवधि तक बना रहेगा वस्तुत: ११ अक्टूबर २०११ तक देश की कुंडली अनुसार समय कमजोर एवं सरकार के लिए विशेष प्रतिकूल है जिसमें देश की छवि ख़राब होनें की सम्भावना है.   

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