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हिन्दू ओ का सोलहवा संस्कार म्रत्यु पर अपव्य

हिन्दू में मरत्यु अपरांत पनपने बाली अनेक कुरीतियाँ हिन्दुओ के सोलह संस्कारओ में एक म्रत्यु कर्म संस्कार भी है जो जन्मसंस्कारसेकईगुना पुन्य कारी माना जातारहाहै| गरुण पुराण केअनुसार जो पुत्र अपनेमातापिता के म्रत्युकेबाद उन को यम के त्राश से छुड़ाता सही मायनेमें वाही पुत्र कहलानेकाअधिकारी है| इस साथ साथअगर हमएकबात परऔरगंभीरतासेबीचार करे जनेऊसंस्कार केसमयव्यक्ति को तीनप्रकार के ऋणों से प्रभाबीतकियाजाता है इसमें सबसे अन्तं ऋण माता पिताका है अत म्रत्यु केसमय सहीमायनेमें पुत्रधर्मकीपरीक्षा शुरू हो जाती है | लेकिन इससमयसमाज में फैली कुरीतियों केचलते पुत्रधर्म कानिरंतर पतन हो रहाहै > समाज में फेली कुरीतिया जिनका शास्त्र गत कोई परिणाम नहीं है  जीवन पर दिन प्रति दिन बोझ बनती जा रही है |इतना ही इन कुर्तियो के चलते शास्त्रों के निर्देशन पर जो कर्म होने चाहिए वह नहीं हो पाते है और लोग बिना सोचे समझे उन परम परायो को अपनाने में जौर देते है  जिनका कोई महत्व नहीं है  जिस से मानब अपने सही कर्तव्य से भटक जाता है और समाज में बदनामी के भय से वह