कुंडली में राहू
कुंडली में राहू का प्रभाव ज्योतिष अनुसार राहू और केतु सूर्य के क्रांति पथ पर पड्नें वाले वो बिंदु हैं जिसका पृथ्वीके जन जीवन पे प्रभाव पड़ता है किन्तु इनको ग्रह नहीं माना जाता है .यह दो बिंदु हैं तथा जिनका सूर्य के चारोँ ओर अन्य ग्रहों की तरह परिक्रमण नहीं है. लेकिन ज्योतिष शास्त्र का मानना है की इनका जन जीवन पर गहरा प्रभाव होता है लेकिन यह किसी भी राशी का अधिपत्य नहीं करते हैं ना ही इनकी कोई राशी होती है. अर्थात यह जिस ग्रह की राशी में स्थित होते हैं उसी का अधिपत्य ले लेते हैं तथा उसी ग्रह के सामान कार्य करते हैं वैसे स्वाभाव के अनुसार केतु को मंगल के सामान बताया गया है और राहू को शनि के सामान बताया गया है राहू का प्रभाव: राहू को शनि के सामान वजा ग्रह कहा गया है अर्थात जिग भाव में स्थित होता है उसे अत्यंत सक्रिय क़र देता है फलस्वरूप अत्यंत सक्रियता के कारण उस भाव का नाश होने लगता हैं .अगर यह स्थिति कुंडली के ६,८,१२ भाव में हो तो अच्छी मानी जाती है. यह भाव ख़राब कहे गाये हैं और इनके सक्रिय होनें से जीवन पर बहुत गहरा प्रभाव नहीं पड़ता है. लेकिन अगर राहू केंद्र या त्रिकोण भाव के स्व...