vastu men utpann bhirantiya
आज मनाब समाज में वास्तु का भारी प्रचलन है वास्तु बसने की एक अनोखी कला है कोयोकिकी मनाब सरीर की राचन पांच भोतिक तत्वों से हूई है जो इस प्रकार है क्षित [प्रथ्वी ,जल ,पावक [अग्नि ] समीरा [वायु ] एवं आकाश से मिलकर हूई है |इन पांच तत्वों में कोई कमी होने पर मनाब को बीमारी उत्पन्न हो जाती है |वैसे इन पांच तत्वों का बिकाश मानब के साथ साथ सभी के सरीर में होना चाहिए लेकिन प्रकतिक रचना अनुसार मनाब का सरीर अधीक कोमल होता है |इस लिए मानब को अधिक शुभ्दयो की अबस्कता होती है अत मानब की रहने बसने की कलम प्रकति के अनुसार आनी चाहिए अत इस कारण हमरे ऋषि मुनियों द्वरा वास्तु यानि बसने की कला की खोज करी जिस से मानब जाति का चहुमुखी विकाश में प्राकतिक योग दान मिल सके इस रहने ठहरने की कला को वास्तु कहते है और मनाब को अपने रहन सहन के तौर तरीके आने भी चाहिए अब प्रश्न ये उठता है की की जब प्रकति के नियम सिधांत समय तथा स्थान के साथ बदलते रहते है तो क्या नानब को वास्तु के नियमो यानि रहने की परम्परा स्थान समय के अनुसार नही बदलनी चाहिए जैसे अमेरिका एवं भारत दोनों की प्राकतिक व्यवस्था भिन्न है चीनतथा भारत की परम्परा भिन्न है तो मानब के रहने के नियम सिधांत एक होना संभव है अगर एसा नहीं है तो चीन की फेगसुयीके सिधांत भारत में कैसे संभव है या अमेरिका की वस्तु भारत की वास्तु से सामान कैसे हो सकती है |
भारत प्रथ्वी के उतरी गोलार्ध में स्थित होने के कारण उत्तर दशा से उतम ऊष्मा मिलती है दुसरे भारत में अधिकतर नदियाँ हिमालय से निलती है तथा देश के उत्तरी भाग में होकर निकलती है इस लिए ऊष्मा का स्रोत उत्रर भाग से प्राप्त होता है येही कारण है भारत में प्रवामुखीउत्तरमुखी मकानअच्छे माने जाते है इस लिए भारत की वस्तु उतर दशा से उत्पन्न ऊष्मा तथा दक्षिण मुखी ऊष्मा को उतम मानती है जबकि पक्षिममुखी एवं दक्षण मुखी ऊष्मा को मन्बीयजीवन के विकाश हेतु उतम नहीं माना जाता है |
चीन में उतर एवं पूरब दशा एवं उतर दशा से धुल भरी अधियाँ चलने के कारणं ये दशा उतम नहीं मानी जाति है |इस प्राकतिक अपवाद के कारण चीन में उत्तर एवं पूरब मुखी माकन अच्छे नहीं माने जाते है जबकि पक्षिम तथा दक्षिण मुखी माकन आधी अदि के प्रकोप से रहित होने के कारण अच्छे माने जाते है |लेकिन भारत के अंदर चीन की वस्तुओ का वस्तु दोष निवारण हेतु भरी मात्रा में प्रचलन है देश के अंदर फेगसुयी का तथा चीन से निर्मित वस्तु का प्रचलन हैरान करने बाला है जबकि उनका देश की वास्तु में प्राक्रतिक सिधांत भिन्न होने के कारण कोई विशेष महत्व नहीं है |लेकिन समाज में भेड़ चालके कारण इनका भरी प्रचलन है |सत्य तो ये हे की इनका प्रचलन भारत के अंदर मनबीयविकाश में बाधा उत्पन्न करता है लेकिन समाज में इनका प्रचलन दिनों दिन बडरहा है जो बड़े दुर्भाग्य की बात है
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