गजेन्द्र के पूर्व जन्म संस्कार लोक शिक्षा के लिए अवतार था ,जिस ने लिया। जन अदृशय हो कर के भी , जन स्दृशय को कौतिक किया ॥ राम नाम ,नाम जिसका सर्व मंगल धाम है । नमन है श्री कृष्ण को ,श्रद्घा में प्रणाम है ॥ भगवान् श्री हरि के दर्शन पा कर ग्रह श्री हरि के समान रूप बना कर सभी देवताओं के देखते देखते देव लोक को चला गया तथा गजेन्द्र भी अपने हाथी की योनी को छोड़ कर श्री हरि के समान रूप वाला होकर वैकुण्ठ धाम को गया। इस रहस्य के पीछे भगवत महा पुराण में गज और ग्रह दोनों के पूर्व जन्म संकार की कथा मिलती है जिस से यह सिद्ध होता है कि सृष्टि का प्रत्येक जीव अपने पूर्व जन्म के कर्मों के अनुसार ही सुख और दुःख भोगता है। सुखदेव जी ने अर्जुन पौत्र परीक्षत को समझाते हुए उनके पूर्व जनम कि कथा का वर्णन इस प्रकार किया कि गज पूर्व जन्म में पांडव कुल में उत्पन्न इन्देर्धुमन नाम का राजा था जो प्रजा पालन में कुशल वैष्णो का चरण अनुरागी था कालांतर में उसने इस आशय से राज पाठ स्त्री और पुत्र सभी का त्याग कर दिया कि वह प्रभु भक्ति कर अपने जीवन को सफल और सुखद बनाएगा फलस्वरूप इन्देर्धुमन जंगल में जा कर प्रभु चरणों...
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