bhart banega vishw guru
अगर हम भारत की कुंडली की बात करे तो स्वतंत्र भारत की कुंडली दिनाक 14 अगस्त 1947 समय रात्रि ००.30 दिल्ली पर विचार करे तो स्वंत्र भारत की कुंडली वृषभ लग्न एवं मिथुन राशि की बनती है लग्न कुंडली अनुसार सूर्य ,बुध ,शनि,शुक्र तीसरे भाव यानि कर्क राशि में है अगर चंद्र कुंडली की बात करे तो यह युति दूसरे भाव में बनता है यानि अगर लग्न से विचार करे तो तीसरा भाव जिसे संबंधित भाव कहा जाता है पीड़ित है अगर चंद्र से विचार करे दूसरा भाव पीड़ित हो जाता है जो आंतरिक कलह की और संकेत करते है। अत यह बात स्पष्ट है कि भारत को आंतरिक कलह एवं पडोशी राष्टों से हमेशा जूझना पड़ेगा। भारत के लग्न में राहु देश की धर्म निरपेक्षता को प्रकट करता है एवं सप्तम भाव में केतु जो मंगल की राशि वर्षिक में है एवं इस का स्वमी अपने से अष्टम भाव में मंगल के साथ है। अगर हम हिन्दुतय की बात करे तो हिन्दुतय का कारक गुरु जो छटे भाव में शुक्र की राशि तुला में है एवं शुक्र के नवांश में है अत देश के अंदर...