विवाहिक जीवन में मांगलिक दोष एवं उस के प्रभाव
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From: Shriniwas Sharma
Date: 2016-03-05 18:43 GMT+05:30विवाहिक जीवन में मांगलिक दोष एवंउसकेपरिहार
Subject: मांगलिक दोष एवं उस के परिहार
To: shriniwas sharma
From: Shriniwas Sharma
Date: 2016-03-05 18:43 GMT+05:30विवाहिक जीवन में मांगलिक दोष एवंउसकेपरिहार
जबमंगल कुंडली के १ ,४ ,७ ,.८ ,एवं१२बेभाव में होता है तोमांगलिकदोषबनता है|जिसेमांगलिक कहते है मांगलिकदोष काप्रभाववैसे तो जीवन केसभीपहलूओ परपड़ता है लेकिन इस का विशेष प्रभाव विवाहिक जीवन परमाना गयाहै
दुहेरा मांगलिक दोष---- जबउपरलिखेभावो मेंमंगल किसीभी भावमें अपनीनीचराशी में हो तोमंगल का अशुभ प्रभाव दोगुना होजाता है |
तीनगुना मांगलिक दोष-जब उपरोक्तभावो में किसी भाव मेंनीच काहोने केसाथ साथ शनि राहू एवंकेतु के साथ हो तोमंगल का प्रभाव सामान्यसे तीनगुना होजाता है|
मांगलिक दोष के परिहार------- मांगलिकदोष कीपुष्टि किसीअछेज्योतिषी द्वार करनीचाहिए तथामांगलिक दोषको लग्न चन्द्र एवं नवांश तीनोकुंडलियो मेंअच्छी प्रकारसे देखनाचाहिए| कुछलोग विनाकुंडलीकीविवेचना केमांगलिकआदि दोष कीमिथ्यापूरणगरना करसमाज कोगुमराहकारते है जिससे समाजमें ज्योतिष केप्रति सम्मानकमजोर हूआहै| अत इसेलोगो से बचनाचाहिए|अगरकुंडली में मांगलिकदोष हैतोमिलानकेसमय निम्नबातेदेखनी चाहिए जिससे मांगलिक दोषभंग होताहै| जोइसप्रकार है--
१- अगरलड़केकी कुंडली मांगलिकदोष हो तथालड़की कीकुंडलीके १, ४,७,८,१२ में भाव में सूर्य शनिया राहू हो तोमांगलिकदोष भंगहोजाता है|
२ कुंडलीके जिसभाव मेंमंगल स्थितहो एवंउसभाबकासवामी बलबानहोकर उसीभाव मेंस्थित होअथवा उसभावको द्रष्टिदेंरहाहो| यासप्तमेश अथवाशुक्रतीसरे भाव में स्थित हो मांगलिकदोष नहीं होता है|
३-मेष राशी कीकुंडली हो तथामंगललग्नमें स्थित हो वर्श्चिकका चौथेभावमें मंगल हो वर्षराशी कासप्तमभावमें हो अथवाकुम्भ राशीका अष्टम भावमें हो एवं धनु राशी का मंगल द्वादशभाव में स्थित हो तोमांगलिकदोष नहीं लगता है|
४अगरकुंडली मेंउच्चराशी कागुरु लग्नमें स्थित हो मांगलिकदोष नहीं होता है|
५ यदि लड़कायालड़की कीकुंडली में शनिग्रह १,४,७.८.१२भाव में तोमिलानअनुसार मांगलिकदोष नष्ट होजाता है|
६ अगरकुंडली के केंद्क भावोमें तथात्रिकोणमें शुभग्रह होएवं ३,६,११ भावोमें अशुभअथवापापग्रह स्थितहो तोमांगलिक दोष सेमुक्ति होतीहै|
७ -कुंडलीमें सप्तमभाव मंगल होएवं उस परशनि कीद्रष्टि होतोमांगलिक दोषसे मुक्ति होती है|
८ अगरकुंडली में गुरु एवं मंगल युति हो एवंचन्द्र कीयुति होया चन्द्रकेन्द्रक स्थानोंमें हो तोमांगलिकदोष नहीं होताहै|
९- कुंडली के१,४,७,८,१२ भावोमें मंगल चरराशी [ १, ४,७,१२ भावो होतोमांगलिकदोषनहींलगताहै|
१०-अगरएककुंडलीमें ग्रह मंगलसूर्य तथासूर्यशनि राहू केतु पापग्रह उन्ही भावोमें दूसरीकुंडली में भी पाप ग्रहस्थितहो तोमांगलिकदोष नहींहोता है|
नोट-मांगलिकदोष लग्नकुंडली चन्द्र कुंडली एवंनावश कोदेखने केबाद हीतैय होता है अत नाम या राशी केआधार परमांगलिक दोष काआकलन नहींहोताहै|
अत समाज मेंफैलेमिथ्याचार सेबचे|
विवाहिक जीवन में मांगलिक दोष एवंउसकेपरिहार
जबमंगल कुंडली के १ ,४ ,७ ,.८ ,एवं१२बेभाव में होता है तोमांगलिकदोषबनता है|जिसेमांगलिक कहते है मांगलिकदोष काप्रभाववैसे तो जीवन केसभीपहलूओ परपड़ता है लेकिन इस का विशेष प्रभाव विवाहिक जीवन परमाना गयाहै
दुहेरा मांगलिक दोष---- जबउपरलिखेभावो मेंमंगल किसीभी भावमें अपनीनीचराशी में हो तोमंगल का अशुभ प्रभाव दोगुना होजाता है |
तीनगुना मांगलिक दोष-जब उपरोक्तभावो में किसी भाव मेंनीच काहोने केसाथ साथ शनि राहू एवंकेतु के साथ हो तोमंगल का प्रभाव सामान्यसे तीनगुना होजाता है|
मांगलिक दोष के परिहार------- मांगलिकदोष कीपुष्टि किसीअछेज्योतिषी द्वार करनीचाहिए तथामांगलिक दोषको लग्न चन्द्र एवं नवांश तीनोकुंडलियो मेंअच्छी प्रकारसे देखनाचाहिए| कुछलोग विनाकुंडलीकीविवेचना केमांगलिकआदि दोष कीमिथ्यापूरणगरना करसमाज कोगुमराहकारते है जिससे समाजमें ज्योतिष केप्रति सम्मानकमजोर हूआहै| अत इसेलोगो से बचनाचाहिए|अगरकुंडली में मांगलिकदोष हैतोमिलानकेसमय निम्नबातेदेखनी चाहिए जिससे मांगलिक दोषभंग होताहै| जोइसप्रकार है--
१- अगरलड़केकी कुंडली मांगलिकदोष हो तथालड़की कीकुंडलीके १, ४,७,८,१२ में भाव में सूर्य शनिया राहू हो तोमांगलिकदोष भंगहोजाता है|
२ कुंडलीके जिसभाव मेंमंगल स्थितहो एवंउसभाबकासवामी बलबानहोकर उसीभाव मेंस्थित होअथवा उसभावको द्रष्टिदेंरहाहो| यासप्तमेश अथवाशुक्रतीसरे भाव में स्थित हो मांगलिकदोष नहीं होता है|
३-मेष राशी कीकुंडली हो तथामंगललग्नमें स्थित हो वर्श्चिकका चौथेभावमें मंगल हो वर्षराशी कासप्तमभावमें हो अथवाकुम्भ राशीका अष्टम भावमें हो एवं धनु राशी का मंगल द्वादशभाव में स्थित हो तोमांगलिकदोष नहीं लगता है|
४अगरकुंडली मेंउच्चराशी कागुरु लग्नमें स्थित हो मांगलिकदोष नहीं होता है|
५ यदि लड़कायालड़की कीकुंडली में शनिग्रह १,४,७.८.१२भाव में तोमिलानअनुसार मांगलिकदोष नष्ट होजाता है|
६ अगरकुंडली के केंद्क भावोमें तथात्रिकोणमें शुभग्रह होएवं ३,६,११ भावोमें अशुभअथवापापग्रह स्थितहो तोमांगलिक दोष सेमुक्ति होतीहै|
७ -कुंडलीमें सप्तमभाव मंगल होएवं उस परशनि कीद्रष्टि होतोमांगलिक दोषसे मुक्ति होती है|
८ अगरकुंडली में गुरु एवं मंगल युति हो एवंचन्द्र कीयुति होया चन्द्रकेन्द्रक स्थानोंमें हो तोमांगलिकदोष नहीं होताहै|
९- कुंडली के१,४,७,८,१२ भावोमें मंगल चरराशी [ १, ४,७,१२ भावो होतोमांगलिकदोषनहींलगताहै|
१०-अगरएककुंडलीमें ग्रह मंगलसूर्य तथासूर्यशनि राहू केतु पापग्रह उन्ही भावोमें दूसरीकुंडली में भी पाप ग्रहस्थितहो तोमांगलिकदोष नहींहोता है|
नोट-मांगलिकदोष लग्नकुंडली चन्द्र कुंडली एवंनावश कोदेखने केबाद हीतैय होता है अत नाम या राशी केआधार परमांगलिक दोष काआकलन नहींहोताहै|
अत समाज मेंफैलेमिथ्याचार सेबचे|
विवाहिक जीवन में मांगलिक दोष एवंउसकेपरिहार
जबमंगल कुंडली के १ ,४ ,७ ,.८ ,एवं१२बेभाव में होता है तोमांगलिकदोषबनता है|जिसेमांगलिक कहते है मांगलिकदोष काप्रभाववैसे तो जीवन केसभीपहलूओ परपड़ता है लेकिन इस का विशेष प्रभाव विवाहिक जीवन परमाना गयाहै
दुहेरा मांगलिक दोष---- जबउपरलिखेभावो मेंमंगल किसीभी भावमें अपनीनीचराशी में हो तोमंगल का अशुभ प्रभाव दोगुना होजाता है |
तीनगुना मांगलिक दोष-जब उपरोक्तभावो में किसी भाव मेंनीच काहोने केसाथ साथ शनि राहू एवंकेतु के साथ हो तोमंगल का प्रभाव सामान्यसे तीनगुना होजाता है|
मांगलिक दोष के परिहार------- मांगलिकदोष कीपुष्टि किसीअछेज्योतिषी द्वार करनीचाहिए तथामांगलिक दोषको लग्न चन्द्र एवं नवांश तीनोकुंडलियो मेंअच्छी प्रकारसे देखनाचाहिए| कुछलोग विनाकुंडलीकीविवेचना केमांगलिकआदि दोष कीमिथ्यापूरणगरना करसमाज कोगुमराहकारते है जिससे समाजमें ज्योतिष केप्रति सम्मानकमजोर हूआहै| अत इसेलोगो से बचनाचाहिए|अगरकुंडली में मांगलिकदोष हैतोमिलानकेसमय निम्नबातेदेखनी चाहिए जिससे मांगलिक दोषभंग होताहै| जोइसप्रकार है--
१- अगरलड़केकी कुंडली मांगलिकदोष हो तथालड़की कीकुंडलीके १, ४,७,८,१२ में भाव में सूर्य शनिया राहू हो तोमांगलिकदोष भंगहोजाता है|
२ कुंडलीके जिसभाव मेंमंगल स्थितहो एवंउसभाबकासवामी बलबानहोकर उसीभाव मेंस्थित होअथवा उसभावको द्रष्टिदेंरहाहो| यासप्तमेश अथवाशुक्रतीसरे भाव में स्थित हो मांगलिकदोष नहीं होता है|
३-मेष राशी कीकुंडली हो तथामंगललग्नमें स्थित हो वर्श्चिकका चौथेभावमें मंगल हो वर्षराशी कासप्तमभावमें हो अथवाकुम्भ राशीका अष्टम भावमें हो एवं धनु राशी का मंगल द्वादशभाव में स्थित हो तोमांगलिकदोष नहीं लगता है|
४अगरकुंडली मेंउच्चराशी कागुरु लग्नमें स्थित हो मांगलिकदोष नहीं होता है|
५ यदि लड़कायालड़की कीकुंडली में शनिग्रह १,४,७.८.१२भाव में तोमिलानअनुसार मांगलिकदोष नष्ट होजाता है|
६ अगरकुंडली के केंद्क भावोमें तथात्रिकोणमें शुभग्रह होएवं ३,६,११ भावोमें अशुभअथवापापग्रह स्थितहो तोमांगलिक दोष सेमुक्ति होतीहै|
७ -कुंडलीमें सप्तमभाव मंगल होएवं उस परशनि कीद्रष्टि होतोमांगलिक दोषसे मुक्ति होती है|
८ अगरकुंडली में गुरु एवं मंगल युति हो एवंचन्द्र कीयुति होया चन्द्रकेन्द्रक स्थानोंमें हो तोमांगलिकदोष नहीं होताहै|
९- कुंडली के१,४,७,८,१२ भावोमें मंगल चरराशी [ १, ४,७,१२ भावो होतोमांगलिकदोषनहींलगताहै|
१०-अगरएककुंडलीमें ग्रह मंगलसूर्य तथासूर्यशनि राहू केतु पापग्रह उन्ही भावोमें दूसरीकुंडली में भी पाप ग्रहस्थितहो तोमांगलिकदोष नहींहोता है|
नोट-मांगलिकदोष लग्नकुंडली चन्द्र कुंडली एवंनावश कोदेखने केबाद हीतैय होता है अत नाम या राशी केआधार परमांगलिक दोष काआकलन नहींहोताहै|
अत समाज मेंफैलेमिथ्याचार सेबचे|
विवाहिक जीवन में मांगलिक दोष एवंउसकेपरिहार
जबमंगल कुंडली के १ ,४ ,७ ,.८ ,एवं१२बेभाव में होता है तोमांगलिकदोषबनता है|जिसेमांगलिक कहते है मांगलिकदोष काप्रभाववैसे तो जीवन केसभीपहलूओ परपड़ता है लेकिन इस का विशेष प्रभाव विवाहिक जीवन परमाना गयाहै
दुहेरा मांगलिक दोष---- जबउपरलिखेभावो मेंमंगल किसीभी भावमें अपनीनीचराशी में हो तोमंगल का अशुभ प्रभाव दोगुना होजाता है |
तीनगुना मांगलिक दोष-जब उपरोक्तभावो में किसी भाव मेंनीच काहोने केसाथ साथ शनि राहू एवंकेतु के साथ हो तोमंगल का प्रभाव सामान्यसे तीनगुना होजाता है|
मांगलिक दोष के परिहार------- मांगलिकदोष कीपुष्टि किसीअछेज्योतिषी द्वार करनीचाहिए तथामांगलिक दोषको लग्न चन्द्र एवं नवांश तीनोकुंडलियो मेंअच्छी प्रकारसे देखनाचाहिए| कुछलोग विनाकुंडलीकीविवेचना केमांगलिकआदि दोष कीमिथ्यापूरणगरना करसमाज कोगुमराहकारते है जिससे समाजमें ज्योतिष केप्रति सम्मानकमजोर हूआहै| अत इसेलोगो से बचनाचाहिए|अगरकुंडली में मांगलिकदोष हैतोमिलानकेसमय निम्नबातेदेखनी चाहिए जिससे मांगलिक दोषभंग होताहै| जोइसप्रकार है--
१- अगरलड़केकी कुंडली मांगलिकदोष हो तथालड़की कीकुंडलीके १, ४,७,८,१२ में भाव में सूर्य शनिया राहू हो तोमांगलिकदोष भंगहोजाता है|
२ कुंडलीके जिसभाव मेंमंगल स्थितहो एवंउसभाबकासवामी बलबानहोकर उसीभाव मेंस्थित होअथवा उसभावको द्रष्टिदेंरहाहो| यासप्तमेश अथवाशुक्रतीसरे भाव में स्थित हो मांगलिकदोष नहीं होता है|
३-मेष राशी कीकुंडली हो तथामंगललग्नमें स्थित हो वर्श्चिकका चौथेभावमें मंगल हो वर्षराशी कासप्तमभावमें हो अथवाकुम्भ राशीका अष्टम भावमें हो एवं धनु राशी का मंगल द्वादशभाव में स्थित हो तोमांगलिकदोष नहीं लगता है|
४अगरकुंडली मेंउच्चराशी कागुरु लग्नमें स्थित हो मांगलिकदोष नहीं होता है|
५ यदि लड़कायालड़की कीकुंडली में शनिग्रह १,४,७.८.१२भाव में तोमिलानअनुसार मांगलिकदोष नष्ट होजाता है|
६ अगरकुंडली के केंद्क भावोमें तथात्रिकोणमें शुभग्रह होएवं ३,६,११ भावोमें अशुभअथवापापग्रह स्थितहो तोमांगलिक दोष सेमुक्ति होतीहै|
७ -कुंडलीमें सप्तमभाव मंगल होएवं उस परशनि कीद्रष्टि होतोमांगलिक दोषसे मुक्ति होती है|
८ अगरकुंडली में गुरु एवं मंगल युति हो एवंचन्द्र कीयुति होया चन्द्रकेन्द्रक स्थानोंमें हो तोमांगलिकदोष नहीं होताहै|
९- कुंडली के१,४,७,८,१२ भावोमें मंगल चरराशी [ १, ४,७,१२ भावो होतोमांगलिकदोषनहींलगताहै|
१०-अगरएककुंडलीमें ग्रह मंगलसूर्य तथासूर्यशनि राहू केतु पापग्रह उन्ही भावोमें दूसरीकुंडली में भी पाप ग्रहस्थितहो तोमांगलिकदोष नहींहोता है|
नोट-मांगलिकदोष लग्नकुंडली चन्द्र कुंडली एवंनावश कोदेखने केबाद हीतैय होता है अत नाम या राशी केआधार परमांगलिक दोष काआकलन नहींहोताहै|
अत समाज मेंफैलेमिथ्याचार सेबचे|
विवाहिक जीवन में मांगलिक दोष एवंउसकेपरिहार
जबमंगल कुंडली के १ ,४ ,७ ,.८ ,एवं१२बेभाव में होता है तोमांगलिकदोषबनता है|जिसेमांगलिक कहते है मांगलिकदोष काप्रभाववैसे तो जीवन केसभीपहलूओ परपड़ता है लेकिन इस का विशेष प्रभाव विवाहिक जीवन परमाना गयाहै
दुहेरा मांगलिक दोष---- जबउपरलिखेभावो मेंमंगल किसीभी भावमें अपनीनीचराशी में हो तोमंगल का अशुभ प्रभाव दोगुना होजाता है |
तीनगुना मांगलिक दोष-जब उपरोक्तभावो में किसी भाव मेंनीच काहोने केसाथ साथ शनि राहू एवंकेतु के साथ हो तोमंगल का प्रभाव सामान्यसे तीनगुना होजाता है|
मांगलिक दोष के परिहार------- मांगलिकदोष कीपुष्टि किसीअछेज्योतिषी द्वार करनीचाहिए तथामांगलिक दोषको लग्न चन्द्र एवं नवांश तीनोकुंडलियो मेंअच्छी प्रकारसे देखनाचाहिए| कुछलोग विनाकुंडलीकीविवेचना केमांगलिकआदि दोष कीमिथ्यापूरणगरना करसमाज कोगुमराहकारते है जिससे समाजमें ज्योतिष केप्रति सम्मानकमजोर हूआहै| अत इसेलोगो से बचनाचाहिए|अगरकुंडली में मांगलिकदोष हैतोमिलानकेसमय निम्नबातेदेखनी चाहिए जिससे मांगलिक दोषभंग होताहै| जोइसप्रकार है--
१- अगरलड़केकी कुंडली मांगलिकदोष हो तथालड़की कीकुंडलीके १, ४,७,८,१२ में भाव में सूर्य शनिया राहू हो तोमांगलिकदोष भंगहोजाता है|
२ कुंडलीके जिसभाव मेंमंगल स्थितहो एवंउसभाबकासवामी बलबानहोकर उसीभाव मेंस्थित होअथवा उसभावको द्रष्टिदेंरहाहो| यासप्तमेश अथवाशुक्रतीसरे भाव में स्थित हो मांगलिकदोष नहीं होता है|
३-मेष राशी कीकुंडली हो तथामंगललग्नमें स्थित हो वर्श्चिकका चौथेभावमें मंगल हो वर्षराशी कासप्तमभावमें हो अथवाकुम्भ राशीका अष्टम भावमें हो एवं धनु राशी का मंगल द्वादशभाव में स्थित हो तोमांगलिकदोष नहीं लगता है|
४अगरकुंडली मेंउच्चराशी कागुरु लग्नमें स्थित हो मांगलिकदोष नहीं होता है|
५ यदि लड़कायालड़की कीकुंडली में शनिग्रह १,४,७.८.१२भाव में तोमिलानअनुसार मांगलिकदोष नष्ट होजाता है|
६ अगरकुंडली के केंद्क भावोमें तथात्रिकोणमें शुभग्रह होएवं ३,६,११ भावोमें अशुभअथवापापग्रह स्थितहो तोमांगलिक दोष सेमुक्ति होतीहै|
७ -कुंडलीमें सप्तमभाव मंगल होएवं उस परशनि कीद्रष्टि होतोमांगलिक दोषसे मुक्ति होती है|
८ अगरकुंडली में गुरु एवं मंगल युति हो एवंचन्द्र कीयुति होया चन्द्रकेन्द्रक स्थानोंमें हो तोमांगलिकदोष नहीं होताहै|
९- कुंडली के१,४,७,८,१२ भावोमें मंगल चरराशी [ १, ४,७,१२ भावो होतोमांगलिकदोषनहींलगताहै|
१०-अगरएककुंडलीमें ग्रह मंगलसूर्य तथासूर्यशनि राहू केतु पापग्रह उन्ही भावोमें दूसरीकुंडली में भी पाप ग्रहस्थितहो तोमांगलिकदोष नहींहोता है|
नोट-मांगलिकदोष लग्नकुंडली चन्द्र कुंडली एवंनावश कोदेखने केबाद हीतैय होता है अत नाम या राशी केआधार परमांगलिक दोष काआकलन नहींहोताहै|
अत समाज मेंफैलेमिथ्याचार सेबचे|
To: shriniwas sharma
विवाहिक जीवन में मांगलिक दोष एवंउसकेपरिहार
जबमंगल कुंडली के १ ,४ ,७ ,.८ ,एवं१२बेभाव में होता है तोमांगलिकदोषबनता है|जिसेमांगलिक कहते है मांगलिकदोष काप्रभाववैसे तो जीवन केसभीपहलूओ परपड़ता है लेकिन इस का विशेष प्रभाव विवाहिक जीवन परमाना गयाहै
दुहेरा मांगलिक दोष---- जबउपरलिखेभावो मेंमंगल किसीभी भावमें अपनीनीचराशी में हो तोमंगल का अशुभ प्रभाव दोगुना होजाता है |
तीनगुना मांगलिक दोष-जब उपरोक्तभावो में किसी भाव मेंनीच काहोने केसाथ साथ शनि राहू एवंकेतु के साथ हो तोमंगल का प्रभाव सामान्यसे तीनगुना होजाता है|
विवाहिक जीवन में मांगलिक दोष एवंउसकेपरिहार
जबमंगल कुंडली के १ ,४ ,७ ,.८ ,एवं१२बेभाव में होता है तोमांगलिकदोषबनता है|जिसेमांगलिक कहते है मांगलिकदोष काप्रभाववैसे तो जीवन केसभीपहलूओ परपड़ता है लेकिन इस का विशेष प्रभाव विवाहिक जीवन परमाना गयाहै
दुहेरा मांगलिक दोष---- जबउपरलिखेभावो मेंमंगल किसीभी भावमें अपनीनीचराशी में हो तोमंगल का अशुभ प्रभाव दोगुना होजाता है |
तीनगुना मांगलिक दोष-जब उपरोक्तभावो में किसी भाव मेंनीच काहोने केसाथ साथ शनि राहू एवंकेतु के साथ हो तोमंगल का प्रभाव सामान्यसे तीनगुना होजाता है|
मांगलिक दोष के परिहार------- मांगलिकदोष कीपुष्टि किसीअछेज्योतिषी द्वार करनीचाहिए तथामांगलिक दोषको लग्न चन्द्र एवं नवांश तीनोकुंडलियो मेंअच्छी प्रकारसे देखनाचाहिए| कुछलोग विनाकुंडलीकीविवेचना केमांगलिकआदि दोष कीमिथ्यापूरणगरना करसमाज कोगुमराहकारते है जिससे समाजमें ज्योतिष केप्रति सम्मानकमजोर हूआहै| अत इसेलोगो से बचनाचाहिए|अगरकुंडली में मांगलिकदोष हैतोमिलानकेसमय निम्नबातेदेखनी चाहिए जिससे मांगलिक दोषभंग होताहै| जोइसप्रकार है--
१- अगरलड़केकी कुंडली मांगलिकदोष हो तथालड़की कीकुंडलीके १, ४,७,८,१२ में भाव में सूर्य शनिया राहू हो तोमांगलिकदोष भंगहोजाता है|
२ कुंडलीके जिसभाव मेंमंगल स्थितहो एवंउसभाबकासवामी बलबानहोकर उसीभाव मेंस्थित होअथवा उसभावको द्रष्टिदेंरहाहो| यासप्तमेश अथवाशुक्रतीसरे भाव में स्थित हो मांगलिकदोष नहीं होता है|
३-मेष राशी कीकुंडली हो तथामंगललग्नमें स्थित हो वर्श्चिकका चौथेभावमें मंगल हो वर्षराशी कासप्तमभावमें हो अथवाकुम्भ राशीका अष्टम भावमें हो एवं धनु राशी का मंगल द्वादशभाव में स्थित हो तोमांगलिकदोष नहीं लगता है|
४अगरकुंडली मेंउच्चराशी कागुरु लग्नमें स्थित हो मांगलिकदोष नहीं होता है|
५ यदि लड़कायालड़की कीकुंडली में शनिग्रह १,४,७.८.१२भाव में तोमिलानअनुसार मांगलिकदोष नष्ट होजाता है|
६ अगरकुंडली के केंद्क भावोमें तथात्रिकोणमें शुभग्रह होएवं ३,६,११ भावोमें अशुभअथवापापग्रह स्थितहो तोमांगलिक दोष सेमुक्ति होतीहै|
७ -कुंडलीमें सप्तमभाव मंगल होएवं उस परशनि कीद्रष्टि होतोमांगलिक दोषसे मुक्ति होती है|
८ अगरकुंडली में गुरु एवं मंगल युति हो एवंचन्द्र कीयुति होया चन्द्रकेन्द्रक स्थानोंमें हो तोमांगलिकदोष नहीं होताहै|
९- कुंडली के१,४,७,८,१२ भावोमें मंगल चरराशी [ १, ४,७,१२ भावो होतोमांगलिकदोषनहींलगताहै|
१०-अगरएककुंडलीमें ग्रह मंगलसूर्य तथासूर्यशनि राहू केतु पापग्रह उन्ही भावोमें दूसरीकुंडली में भी पाप ग्रहस्थितहो तोमांगलिकदोष नहींहोता है|
नोट-मांगलिकदोष लग्नकुंडली चन्द्र कुंडली एवंनावश कोदेखने केबाद हीतैय होता है अत नाम या राशी केआधार परमांगलिक दोष काआकलन नहींहोताहै|
अत समाज मेंफैलेमिथ्याचार सेबचे|
विवाहिक जीवन में मांगलिक दोष एवंउसकेपरिहार
जबमंगल कुंडली के १ ,४ ,७ ,.८ ,एवं१२बेभाव में होता है तोमांगलिकदोषबनता है|जिसेमांगलिक कहते है मांगलिकदोष काप्रभाववैसे तो जीवन केसभीपहलूओ परपड़ता है लेकिन इस का विशेष प्रभाव विवाहिक जीवन परमाना गयाहै
दुहेरा मांगलिक दोष---- जबउपरलिखेभावो मेंमंगल किसीभी भावमें अपनीनीचराशी में हो तोमंगल का अशुभ प्रभाव दोगुना होजाता है |
तीनगुना मांगलिक दोष-जब उपरोक्तभावो में किसी भाव मेंनीच काहोने केसाथ साथ शनि राहू एवंकेतु के साथ हो तोमंगल का प्रभाव सामान्यसे तीनगुना होजाता है|
मांगलिक दोष के परिहार------- मांगलिकदोष कीपुष्टि किसीअछेज्योतिषी द्वार करनीचाहिए तथामांगलिक दोषको लग्न चन्द्र एवं नवांश तीनोकुंडलियो मेंअच्छी प्रकारसे देखनाचाहिए| कुछलोग विनाकुंडलीकीविवेचना केमांगलिकआदि दोष कीमिथ्यापूरणगरना करसमाज कोगुमराहकारते है जिससे समाजमें ज्योतिष केप्रति सम्मानकमजोर हूआहै| अत इसेलोगो से बचनाचाहिए|अगरकुंडली में मांगलिकदोष हैतोमिलानकेसमय निम्नबातेदेखनी चाहिए जिससे मांगलिक दोषभंग होताहै| जोइसप्रकार है--
१- अगरलड़केकी कुंडली मांगलिकदोष हो तथालड़की कीकुंडलीके १, ४,७,८,१२ में भाव में सूर्य शनिया राहू हो तोमांगलिकदोष भंगहोजाता है|
२ कुंडलीके जिसभाव मेंमंगल स्थितहो एवंउसभाबकासवामी बलबानहोकर उसीभाव मेंस्थित होअथवा उसभावको द्रष्टिदेंरहाहो| यासप्तमेश अथवाशुक्रतीसरे भाव में स्थित हो मांगलिकदोष नहीं होता है|
३-मेष राशी कीकुंडली हो तथामंगललग्नमें स्थित हो वर्श्चिकका चौथेभावमें मंगल हो वर्षराशी कासप्तमभावमें हो अथवाकुम्भ राशीका अष्टम भावमें हो एवं धनु राशी का मंगल द्वादशभाव में स्थित हो तोमांगलिकदोष नहीं लगता है|
४अगरकुंडली मेंउच्चराशी कागुरु लग्नमें स्थित हो मांगलिकदोष नहीं होता है|
५ यदि लड़कायालड़की कीकुंडली में शनिग्रह १,४,७.८.१२भाव में तोमिलानअनुसार मांगलिकदोष नष्ट होजाता है|
६ अगरकुंडली के केंद्क भावोमें तथात्रिकोणमें शुभग्रह होएवं ३,६,११ भावोमें अशुभअथवापापग्रह स्थितहो तोमांगलिक दोष सेमुक्ति होतीहै|
७ -कुंडलीमें सप्तमभाव मंगल होएवं उस परशनि कीद्रष्टि होतोमांगलिक दोषसे मुक्ति होती है|
८ अगरकुंडली में गुरु एवं मंगल युति हो एवंचन्द्र कीयुति होया चन्द्रकेन्द्रक स्थानोंमें हो तोमांगलिकदोष नहीं होताहै|
९- कुंडली के१,४,७,८,१२ भावोमें मंगल चरराशी [ १, ४,७,१२ भावो होतोमांगलिकदोषनहींलगताहै|
१०-अगरएककुंडलीमें ग्रह मंगलसूर्य तथासूर्यशनि राहू केतु पापग्रह उन्ही भावोमें दूसरीकुंडली में भी पाप ग्रहस्थितहो तोमांगलिकदोष नहींहोता है|
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कोहू न काहू क़र सुख दुःख दाता |निज कृत कर्म भोग फल पाता||
गरल सुधा रिपु करें मिताई ,गोपद सिन्धु अनिल सितलाई .
गरुण सुमेर रैन सम ताहि ,राम कृपा कर चितवें जाहि ..
Pt.Shriniwas Sharma
Mo:9811352415
http://vedicastrologyandvaastu.blogspot.com/
www.aryanastrology.com
Professional charges :Rs1100/Patri,...Prashan Rs 500
Central bank a/c: SB no: CBIN0280314/3066728613
गरुण सुमेर रैन सम ताहि ,राम कृपा कर चितवें जाहि ..
Pt.Shriniwas Sharma
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